भारतीय राजनीति
व्यक्तित्त्व अधिकार
- 05 Jun 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:पर्सनैलिटी राइट्स, निजता का अधिकार, अनुच्छेद 21, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)। मेन्स के लिये:सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हॉलीवुड एक्ट्रेस और OpenAI के बीच हालिया विवाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल के संदर्भ में पर्सनैलिटी राइट्स के महत्त्व को उजागर करता है।
- अभिनेत्री ने ChatGPT की कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी OpenAI पर उसकी आवाज़ का उपयोग करने का आरोप लगाया, जबकि उन्होंने पहले कंपनी के CEO के लाइसेंस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
- इससे पहले, न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) ने OpenAI और माइक्रोसॉफ्ट के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की थी, जिसमें ChatGPT सहित AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिये इसकी कॉपीराइट सामग्री के अनधिकृत उपयोग का आरोप लगाया गया था।
पर्सनैलिटी राइट्स (व्यक्तित्त्व अधिकार) क्या हैं?
- परिचय:
- पर्सनैलिटी राइट्स से तात्पर्य किसी व्यक्ति के अपने व्यक्तित्व की रक्षा करने के अधिकार से है, जो निजता या संपत्ति के व्यापक अधिकार का एक हिस्सा है।
- ये अधिकार किसी सेलिब्रिटी के सार्वजनिक व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हैं, जिसमें उसका नाम, आवाज़, हस्ताक्षर, छवि, विशिष्ट विशेषताएँ, तौर-तरीके, मुद्राएँ आदि शामिल होते हैं।
- प्रकार:
- निजता का अधिकार:
- यह किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जानकारी और मामलों पर नियंत्रण की रक्षा करता है।
- यह व्यक्तिगत विवरणों के अनधिकृत प्रकटीकरण या किसी के निजी जीवन में हस्तक्षेप को रोकता है।
- पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ, 2017 मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में इसकी पुष्टि की गई है।
- प्रचार का अधिकार:
- इससे व्यक्तियों को अपने नाम, छवि, समानता या अन्य पहचान योग्य विशेषताओं के व्यावसायिक उपयोग पर नियंत्रण मिलता है।
- वे चुन सकते हैं कि उनकी पहचान के इन पहलुओं का उपयोग उत्पाद समर्थन या विज्ञापन के लिये कैसे किया जाए अथवा नहीं किया जाए।
- निजता का अधिकार:
- महत्त्व:
- ये अधिकार मशहूर हस्तियों के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि विभिन्न कंपनियाँ अपनी बिक्री बढ़ाने के लिये विभिन्न विज्ञापनों में उनके नाम, फोटो या यहाँ तक कि आवाज़ का सरलता से दुरुपयोग कर सकती हैं।
भारत में व्यक्तित्त्व अधिकारों की क्या स्थिति है?
- यद्यपि भारतीय कानूनों में व्यक्तित्त्व अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, फिर भी उन्हें निजता और संपत्ति अधिकार से संबंधित सिद्धांतों के माध्यम से संरक्षित किया गया है।
- प्रमुख कानूनी प्रावधान:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21:
- यद्यपि व्यक्तित्त्व अधिकारों के लिये कोई विशिष्ट कानून नहीं है, फिर भी संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित निजता का अधिकार भारत में निकटतम कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
- कॉपीराइट अधिनियम, 1957:
- कॉपीराइट अधिनियम 1957, हालाँकि प्रत्यक्ष रूप से व्यक्तित्त्व अधिकारों को संबोधित नहीं करता है, लेकिन बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) मामलों में "पासिंग ऑफ (Passing off)" और "धोखा" जैसी अवधारणाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष सुरक्षा प्रदान करता है।
- "पासिंग ऑफ" तब होता है जब कोई व्यक्ति अपने सामान या सेवाओं को किसी और का बताकर मिथ्यापूर्ण तरीके से प्रस्तुत करता है।
- यह व्यक्तित्व अधिकारों के लिये प्रासंगिक हो सकता है, यदि:
- कोई व्यक्ति किसी सेलिब्रिटी के नाम या छवि का उपयोग किसी उत्पाद के प्रचार के लिये उनकी अनुमति के बिना करता है, जिससे आम जनता में यह धारणा बनती है कि सेलिब्रिटी उस उत्पाद से जुड़ा हुआ है।
- कोई व्यक्ति किसी प्रसिद्ध व्यक्तित्व से इतना मिलता-जुलता चरित्र या छवि निर्मित कर देता है कि जनता को यह भ्रम हो जाता है कि यह वास्तविक व्यक्ति है।
- धोखा तब होता है जब कोई, किसी व्यक्ति के नाम या छवि का उपयोग धोखाधड़ी या किसी को गुमराह करने के उद्देश्य से करता है, कॉपीराइट उल्लंघन का तर्क देना संभव हो सकता है, विशेषकर यदि उपयोग व्यक्ति की प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाता है।
- भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999:
- धारा 14 व्यक्तिगत नाम और प्रतिनिधित्व के उपयोग को प्रतिबंधित करती है।
- न्यायालय के निर्णय:
- न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सार्वजनिक हस्तियों को भी प्रचार का समान अधिकार है। न्यायालय ने इस बात पुष्टि की कि प्रचार के अधिकार विरासत में मिलते हैं और उन्हें विभाजित किया जा सकता है।
- कृष्ण किशोर सिंह बनाम सरला ए. सरावगी केस, 2021 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रचार का अधिकार निजता के अधिकार से अलग है।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि नाम, व्यक्तिगत पहचानकर्त्ता होने के अलावा, अपना विशिष्ट महत्त्व भी प्राप्त कर सकता है।
- अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, 2011 मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी व्यक्ति की लोकप्रियता या प्रसिद्धि इंटरनेट पर भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी वास्तविक जीवन में।
- न्यायालयों ने प्रचार के अधिकार को मान्यता दी है, जिससे मशहूर हस्तियों को अपने नाम, छवि और व्यक्तित्त्व को अनधिकृत उपयोग से बचाने की अनुमति मिलती है।
- उदाहरण:
- मई 2024 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने जैकी श्रॉफ के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों को बरकरार रखा तथा विभिन्न ई-कॉमर्स स्टोर, AI चैटबॉट्स (AI Chatbots) व अन्य को अभिनेता की सहमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज़ एवं समानता का उपयोग करने से रोक दिया।
- इसी तरह, सितंबर 2023 में अभिनेता अनिल कपूर को भी उनके चित्राधिकार या छवि अधिकार हेतु कानूनी संरक्षण प्राप्त हुआ।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाते हुए उन्हें वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये उनके नाम, छवि या प्रतिरूपी का उपयोग करने से रोक दिया।
- वर्ष 2010 में डी.एम. एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड बनाम बेबी गिफ्ट हाउस के मामले में, दलेर मेहंदी की कंपनी दिल्ली उच्च न्यायालय में विजयी हुई। यह मामला दलेर मेहंदी की शक्ल की नकल करके उनके गाने गाने वाली गुड़िया बेचने वाली दुकानों से जुड़ा था।
- न्यायालय ने मेहंदी के अपनी सार्वजनिक छवि को व्यावसायिक रूप से नियंत्रित करने के अधिकार को बरकरार रखा।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21:
भारत में AI विनियमन की स्थिति क्या है?
- भारत में AI के लिये कोई विशिष्ट विनियमन नहीं:
- वर्तमान में भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) के लिये कोई विशिष्ट विनियमन नहीं है।
- लेकिन समय-समय पर विभिन्न सलाह, दिशानिर्देश और IT नियमों ने भारत में AI, जनरेटिव AI तथा लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) की उन्नति के लिये कानूनी पर्यवेक्षण प्रदान किया है।
- नीति आयोग का नेतृत्व:
- वर्ष 2018 में नीति आयोग ने "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये राष्ट्रीय रणनीति #AIForAll" जारी की, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा और स्मार्ट बुनियादी ढाँचे में AI के विकास एवं तैनाती की रूपरेखा तैयार की गई।
- डेटा सुरक्षा एवं वैश्विक सहयोग:
- हाल ही में अधिनियमित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, (2023) सरकार को AI के उपयोग से उत्पन्न निजता संबंधी चिंताओं को दूर करने का अधिकार देता है।
- इसके अतिरिक्त, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI) में भारत की सदस्यता ज़िम्मेदार AI विकास, डेटा गवर्नेंस और नैतिक विचारों पर सहयोग को बढ़ावा देती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में व्यक्तित्त्व अधिकारों के लिये कानूनी ढाँचे पर चर्चा कीजिये। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ उन्हें सामंजस्य स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत 'निजता का अधिकार' संरक्षित है? (2021) (a) अनुच्छेद 15 उत्तर: (c) प्रश्न 2. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध उत्तर: (c) प्रश्न 3. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) निम्नलिखित में से किस
नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1,2,3 और 5 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. वैश्वीकृत संसार में, बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व हो जाता है और वे मुकद्दमेबाज़ी का एक स्रोत हो जाते हैं। कॉपीराइट, पेटेंट और व्यापार गुप्तियों के बीच मोटे तौर पर विभेदन कीजिये। (2014) |