भारतीय अर्थव्यवस्था
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2024
- 12 Apr 2025
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, SMILE, रोज़गार मेला, फ्यूचर स्किल्स प्राइम मेन्स के लिये:भारत में श्रम सुधार और रोज़गार के आँकड़े, शहरी बनाम ग्रामीण रोज़गार की गतिशीलता, भारत के श्रम बल में लैंगिक असमानताएँ |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2024 जारी किया। यह डेटा ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भारत के उभरते श्रम बाज़ार की गतिशीलता के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण
PLFS 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- वर्तमान साप्ताहिक स्थिति में श्रम बल संकेतक (CWS):
- श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): शहरी LFPR पुरुषों के लिये (74.3% से 75.6%) बढ़ा और महिलाओं के लिए थोड़ा बढ़ा (25.5% से 25.8%), जिससे समग्र शहरी LFPR बढ़कर 51.0% हो गया। अखिल भारतीय LFPR 56.2% पर स्थिर रहा।
- बेरोज़गारी दर (UR): ग्रामीण बेरोज़गारी दर में अल्प गिरावट आई और यह 4.2% पर आ गई। शहरी पुरुषों की बेरोज़गारी दर में वृद्धि हुई, जबकि महिलाओं की बेरोज़गारी दर में गिरावट आई, जिससे कुल शहरी बेरोज़गारी दर 6.7% पर बनी रही। अखिल भारतीय बेरोज़गारी दर 5.0% से घटकर 4.9% हो गई।
- बेरोज़गारी दर (UR): ग्रामीण बेरोज़गारी दर में अल्प गिरावट आई और यह 4.2% पर आ गई। शहरी पुरुषों की बेरोज़गारी दर में वृद्धि हुई, जबकि महिलाओं की बेरोज़गारी दर में गिरावट आई, जिससे कुल शहरी बेरोज़गारी दर 6.7% पर बनी रही। अखिल भारतीयबेरोज़गारी दर 5.0% से घटकर 4.9% हो गई।
- प्रमुख और सहायक स्थिति में श्रम बल संकेतक (PS+SS):
- LFPR: 59.8% से 59.6% की नगण्य गिरावट के साथ, राष्ट्रीय स्तर पर काफी हद तक स्थिर रहा।
- WPR: अखिल भारतीय WPR 58.0% से नगण्य रूप से घटकर 57.7% हो गया, जो रोज़गार में अल्प गिरावट को दर्शाता है।
- UR: अखिल भारतीय UR 3.1% से थोड़ा बढ़कर 3.2% हो गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में आँकड़े भिन्न-भिन्न रहे।
भारत की श्रम शक्ति के संबंध में चिंताएँ क्या हैं?
- लैंगिक अंतराल: महिला LFPR पुरुषों की तुलना में काफी कम है, शहरी महिला बेरोज़गारी दर 8.2% है। 25 वर्ष से अधिक आयु की कार्यरत महिलाओं में से केवल 3% के पास उन्नत डिग्री है, जिससे शिक्षित महिलाओं का कम उपयोग तथा कौशल और नौकरी के अवसरों के बीच असंतुलन का पता चलता है।
- रोज़गार में स्थिरता: WPR और LFPR में वर्ष-दर-वर्ष न्यूनतम परिवर्तन दिखातें है, जो रोज़गार सृजन की धीमी गति को दर्शाता है।
- रोज़गार वृद्धि आर्थिक वृद्धि के अनुपात में नहीं है, जो बेरोज़गारी या निम्न-गुणवत्ता वाली नौकरी वृद्धि को दर्शाता है।
- युवा बेरोज़गारी: बेरोज़गार कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है, विशेषकर वे जो माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। ILO के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक युवा बेरोज़गारी 13.3% थी। इसके विपरीत, भारत की युवा बेरोज़गारी दर वर्ष 2023-24 में 10.2% थी।
- निम्न उत्पादकता: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, भारत में वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे दीर्घतम औसत कार्य सप्ताह 46.7 घंटे का है, जिसमें 51 % लोग 49 घंटों से अधिक कार्य करते हैं। यह भूटान में सर्वाधिक है।
- इसके बावजूद, भारत की श्रम उत्पादकता निम्न बनी हुई है जहाँ प्रति कार्य घंटे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) केवल 8 अमेरिकी डॉलर है और वर्ष 2023 में इसका स्थान विश्व में 133वाँ था।
- ग्रामीण रोज़गार की निर्भरता: ग्रामीण कार्यबल का एक व्यापक हिस्सा निम्न उत्पादकता अथवा जीवन निर्वाह के कार्य में संलग्न है, जिससे अल्परोज़गार और गुणवत्तापूर्ण, कौशल-प्रधान रोज़गार की तुलना में अनौपचारिक, असुरक्षित नौकरियों के प्रचलन को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
रोज़गार से संबंधित भारत में कौन-सी पहलें हैं?
भारत के श्रमिक बल का वर्द्धन करने हेतु क्या किया जा सकता है?
- कौशल-उद्योग असंतुलन को पाटना: निजी अभिकर्त्ताओं के साथ राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) की साझेदारी के माध्यम से परिणाम-आधारित कौशल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे उद्योग 4.0 कौशल से लैस करने के लिये फ्यूचर स्किल्स प्राइम इकोसिस्टम को एकीकृत किया जाना चाहिये।
- समावेशिता के साथ औपचारिकता को बढ़ावा देना: ई-श्रम, आधार और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के संयोजन का उपयोग कर असंगठित श्रमिकों के लिये 'एक राष्ट्र, एक पंजीकरण' को संस्थागत बनाने की आवश्यकता है।
- पीएम विश्वकर्मा और उद्यम पोर्टल जैसी योजनाओं के माध्यम से माइक्रो क्रेडिट पहुँच और MSME की डिजिटल ऑनबोर्डिंग की सुविधा प्रदान किये जाने की आवश्यकता है।
- नगरीय रोज़गार और आवागमन को संस्थागत बनाना: केरल की अय्यंकाली नगरीय रोज़गार योजना के आधार पर नगरीय पारिश्रमिक रोज़गार मॉडल का विस्तार करना (नगरीय क्षेत्रों के परिवारों में अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्कों को प्रति वर्ष 100 दिनों का मज़दूरी रोज़गार की गारंटी देना)।
- अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के लिये आवास और बीमा सहायता के साथ श्रमिक आवागमन गलियारों का निर्माण किया जाना चाहिये।
- रोज़गार सृजन में जलवायु परिवर्तन की उपयोगिता: पर्यावरणीय लाभ के साथ रोज़गार सृजन के लिये हरित क्षेत्रों (सौर, ई.वी., अपशिष्ट से ऊर्जा) में निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- उच्च कार्बन क्षेत्रों के श्रमिकों को पुनः कौशल प्रदान करने के लिये न्यायोचित संक्रमण सिद्धांतों को शामिल किया जाना चाहिये।
- लैंगिक आधारित श्रम सुधारों की रूपरेखा तैयार करना: राज्यों को ज़िला स्तर की बाधाओं (जैसे, परिवहन, देखभाल कार्य, पितृसत्तात्मक मानदंड) का मानचित्रण करने और लक्षित हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार करने के लिये महिला कार्यबल भागीदारी सूचकांक का संचालन करना चाहिये।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व व्यय अधिदेशों को महिलाओं के कौशल विकास, मार्गदर्शन और कार्य पर वापसी कार्यक्रमों के समर्थन के साथ संबद्ध करने की आवश्यकता है।
- नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना: रोज़गार-संबद्ध प्रोत्साहन योजनाएँ (ELI) प्रदान करना, जहाँ कर राहत नए औपचारिक रोज़गारों के सृजन के अनुपात में हो।
- समावेशी नियुक्ति प्रथाओं (महिलाओं, दिव्यांगजनों, वृद्धजनों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों) को अपनाने वाली कंपनियों के लिये वित्तीय लाभ प्रदान करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. उच्च आर्थिक विकास के बावजूद, भारत को रोज़गार विहीन संवृद्धि और युवा बेरोज़गारी की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निरपेक्ष तथा प्रति व्यक्ति वास्तविक GNP में वृद्धि आर्थिक विकास की ऊँची स्तर का संकेत नहीं करती, यदि: (2018) (a) औद्योगिक उत्पादन कृषि उत्पादन के साथ-साथ बढ़ने में विफल रह जाता है। उत्तर: (c) प्रश्न: प्रच्छन्न बेरोज़गारी का आमतौर पर अर्थ होता है- (2013) (a) बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार रहते हैं उत्तर:(c) मेन्स:प्रश्न. भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धतियों का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023) प्रश्न. “मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता कौशल भारत कार्यक्रम और क्रांतिकारी श्रम सुधारों की सफलता पर निर्भर करती है।" तार्किक तर्कों के साथ चर्चा कीजिये। (2019) प्रश्न. "जिस समय हम भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) को शान से प्रदर्शित करते हैं, उस समय हम रोज़गार-योग्यता की पतनशील दरों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।" क्या हम ऐसा करने में कोई चूक कर रहे हैं? भारत को जिन जॉबों की बेसबरी से दरकार है, वे जॉब कहाँ से आएँगे? स्पष्ट कीजिये। (2014) |