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जैव विविधता और पर्यावरण

पीक प्लास्टिक्स: बेंडिंग द कंज़म्पशन कर्व

  • 04 Mar 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

G20, माइक्रोप्लास्टिक्स, सिंगल यूज़ प्लास्टिक और प्लास्टिक अपशिष्ट के उन्मूलन पर राष्ट्रीय डैशबोर्ड, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2022, REPLAN परियोजना, चक्रीय अर्थव्यवस्था।

मेन्स के लिये:

प्लास्टिक से संबंधित मुद्दे, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित हालिया सरकारी पहल।

चर्चा में क्यों?  

एक नई रिपोर्ट के अनुसार, G20 देशों में प्लास्टिक की खपत वर्ष 2019 के 261 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2050 तक 451 मिलियन टन यानी लगभग दोगुनी हो जाएगी।

  • "पीक प्लास्टिक्स: बेंडिंग द कंज़म्पशन कर्व" रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की प्लास्टिक संधि वार्ताकारों द्वारा विचाराधीन नीतियों के संभावित प्रभावों की पड़ताल करती है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रिपोर्ट में उत्पादन से लेकर निपटान तक प्लास्टिक के संपूर्ण जीवनचक्र को शामिल करते हुए तीन प्रमुख नीतियों के संभावित प्रभावों की पड़ताल की गई।
    • इन नीतियों में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध, एक प्रदूषक की पूर्ण समाप्ति की लागत के लिये विस्तारित निर्माता ज़िम्मेदारी योजना और नए प्लास्टिक उत्पादन पर कर का भुगतान करना है
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, अधिक महत्त्वाकांक्षी उपायों के साथ-साथ इन नीतियों के कार्यान्वयन, जैसे कि वर्जिन प्लास्टिक के निर्माण को सीमित करने से भविष्य में प्लास्टिक के उपयोग में कमी आएगी।
    • शोधकर्त्ताओं ने पीक प्लास्टिक खपत को उस समय बिंदु और मात्रा के रूप में वर्णित किया जब वैश्विक प्लास्टिक की खपत में वृद्धि होना बंद हो जाता है।
  • यह विश्लेषण G20 के 19 देशों- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका पर आधारित है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विस्तारित उत्पादक ज़िम्मेदारी योजनाओं का सिंगल यूज़ वाले प्लास्टिक उत्पादों की खपत पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा।
    • सबसे प्रभावी नीति अनावश्यक सिंगल यूज़ वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर वैश्विक प्रतिबंध होगी। दक्षिण कोरिया वर्ष 2019 में कुछ उत्पादों पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लागू करने वाला पहला देश था, बाद में अन्य वस्तुओं को शामिल करने के लिये प्रतिबंध का विस्तार किया गया। भारत, फ्राँस, जर्मनी, इटली, कनाडा और चीन में भी राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाए गए हैं।

प्लास्टिक का महत्त्व: 

  • प्लास्टिक प्रतिरोधी, निष्क्रिय और हल्का होने के कारण व्यवसायों, उपभोक्ताओं और समाज को कई प्रकार से लाभ प्रदान करता है। यह सब इसकी कम लागत और बहुमुखी प्रकृति के कारण है।
    • प्लास्टिक का उपयोग चिकित्सा उद्योग में सामग्री को कीटाणुरहित रखने के लिये किया जाता है। सीरिंज और सर्जिकल उपकरण सभी सिंगल यूज़ प्लास्टिक होते हैं।
    • ऑटोमोबाइल उद्योग में प्लास्टिक के उपयोग से वाहन के वज़न में उल्लेखनीय कमी हुई है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल उद्योग से पर्यावरण को कम क्षति हो रही है। 

प्लास्टिक से जुड़े मुद्दे:

  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक:
    • प्लास्टिक मुख्य रूप से कच्चे तेल, गैस या कोयले से उत्पादित होता है और कुल प्लास्टिक का 40% को एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है।
      • प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी कम समय के लिये होता है। इनमें से कई उत्पाद, जैसे कि प्लास्टिक बैग और खाद्य रैपर का उपयोग तो केवल मिनटों से लेकर घंटों तक ही होता है, फिर भी वे सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में बने रह सकते हैं। 
  • माइक्रोप्लास्टिक्स: 
    • प्लास्टिक कचरा समुद्र, धूप, हवा और लहरों की क्रिया से छोटे कणों में टूट जाता है, जो अक्सर एक इंच के पाँचवें हिस्से से भी कम होता है, जिसे माइक्रोप्लास्टिक के रूप में जाना जाता है। ये विश्व के हर कोने में पाए जाते हैं और पूरे जल तंत्र में विद्यमान हैं।
      • माइक्रोप्लास्टिक्स और भी छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित हो रहे हैं जिन्हें ‘माइक्रोफाइबर प्लास्टिक’ के नाम से जाना जाता है। ये नगरपालिका द्वारा उपलब्ध कराए गए पेयजल प्रणालियों के साथ-साथ हवाओं में भी पाए गए हैं
  • अन्य मामले:  
    • खाद्य शृंखला को असंतुलित करता है: 
      • प्रदूषणकारी प्लास्टिक विश्व के सूक्ष्म जीवों जैसे- प्लैंकटन पर दुष्प्रभाव डालता है। जब प्लास्टिक के अंतर्ग्रहण के कारण ये जीव विषाक्त हो जाते हैं, तो उन स्थूल जीवों के लिये समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जो भोजन के लिये इन पर निर्भर होते हैं। 
        • प्लास्टिक की थैलियों और स्ट्रॉ जैसी बड़ी वस्तुओं के कारण समुद्री जीवन अवरुद्ध होने के साथ ही जलीय जीव भूखे मर सकते हैं।
    • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: 
      • वर्ष 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चौंकाने वाले शोध के अध्ययन से पता चला कि 90% बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद थे। 
        • हम अपने कपड़ों के माध्यम से प्लास्टिक को अवशोषित करते हैं, जिनमें से 70% सिंथेटिक सामग्री से बने होते हैं और त्वचा के लिये सबसे नुकसानदायक होते हैं

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित पहल:

आगे की राह  

  • हॉटस्पॉट्स की पहचान: 
    • प्लास्टिक के उत्पादन, खपत और निपटारे से जुड़े प्लास्टिक के प्रमुख हॉटस्पॉट की पहचान करने से सरकारों को प्रभावी नीतियाँ विकसित करने में मदद मिल सकती है जो सीधे प्लास्टिक समस्या के समाधान में भी मदद कर सकती है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट का अपघटन: 
    • प्लास्टिक का हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में इस प्रकार समावेश हो गया है कि इसके अपघटन के लिये बैक्टीरिया विकसित हो चुके हैं। 
      • जापान में प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया का उत्पादन किया गया और पॉलिएस्टर प्लास्टिक (खाद्य पैकेजिंग तथा प्लास्टिक की बोतलें) का जैव अपघटन कर इसे संशोधित किया गया
  • प्लास्टिक प्रबंधन के संदर्भ में चक्रीय अर्थव्यवस्था: 
    • चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) में प्लास्टिक सामग्री के उपयोग को कम करने, सामग्री को कम संसाधन गहन बनाने हेतु नया स्वरूप देने तथा नई सामग्रियों एवं उत्पादों के उत्पादन के लिये संसाधन के रूप में "अपशिष्ट" को पुनः प्राप्त करने की क्षमता है। 
      • चक्रीय अर्थव्यवस्था न केवल प्लास्टिक और कपड़ों की वैश्विक उपयोग पर लागू होती है, बल्कि सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाने वाली 'सूक्ष्म मणिकाओं (माइक्रोबीड्स)' के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है? (2019)

(a) उन्हें समुद्री परितंत्रों के लिये हानिकारक माना जाता  है।
(b) यह बच्चों में त्वचा कैंसर होने का कारण मानी जाती है।
(c) यह इतनी छोटी होती है कि सिंचित क्षेत्रों में फसल पादपों द्वारा अवशोषित हो जाती है।
(d) अक्सर इनका इस्तेमाल खाद्य-पदार्थ मिलावट के लिये किया जाता है।

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में 'विस्तारित उत्पादक ज़िम्मेदारी' को निम्नलिखित में से किसमें एक महत्त्वपूर्ण विशेषता के रूप में पेश किया गया था? (2019)

(a) बायो-मेडिकल वेस्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 1998
(b) पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक (विनिर्माण और उपयोग) नियम, 1999
(c) ई-वेस्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011
(d) खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011

उत्तर: (c)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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