LHDCP के तहत पशु औषधि केंद्र | 12 Mar 2025

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र, खुरपका और मुँहपका रोग, ब्रुसेलोसिस, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

पशुधन स्वास्थ्य एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु सरकारी पहल, सस्ती पशु चिकित्सा देखभाल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारत सरकार पशुपालन एवं डेयरी से जुड़े लोगों को सस्ती पशु चिकित्सा दवाइयाँ उपलब्ध कराने हेतु पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) के तहत पशु औषधि केंद्र शुरू करेगी।

पशु औषधि केंद्र क्या हैं?

  • परिचय: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (PMBJKs) की तर्ज पर बनाए गए पशु औषधि केंद्र, पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के साथ किसानों के खर्च को कम करने के क्रम में पशु चिकित्सा हेतु “जेनेरिक दवाएँ” प्रदान करने पर केंद्रित हैं।
    • पशु औषधि केंद्रों पर एथनोवेटरनरी दवाइयाँ भी बेची जाएंगी, जो पारंपरिक भारतीय ज्ञान एवं स्थानीय प्रथाओं पर आधारित होती हैं।
    • LHDCP के तहत शुरू की गई पशु औषधि पहल में पशु चिकित्सा दवाओं एवं बिक्री प्रोत्साहन के लिये 75 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
  • संचालन मॉडल: ये स्टोर सहकारी समितियों और प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (PMKSKs) द्वारा संचालित किये जाएंगे।
    • PMKSK किसानों के लिये बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि जैसे विभिन्न उत्पादों की एक ही स्थान पर पूर्ति करने वाला केंद्र है।
  • उद्देश्य: पशुओं में होने वाली बीमारियों जैसे खुरपका और मुँहपका रोग (FMD), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR-जिसे भेड़ और बकरी प्लेग के रूप में भी जाना जाता है), क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF-सूअरों को प्रभावित करने वाला) और लम्पी स्किन डिज़ीज़ (मवेशियों को प्रभावित करने वाला) को रोकना एवं उनका इलाज करना।
  • महत्त्व: भारत की 20वीं पशुधन गणना (2019) के अनुसार, देश में लगभग 536 मिलियन पशुधन हैं, जिनमें 303 मिलियन गोजातीय पशु शामिल हैं। बीमारियों के कारण दूध, मांस उत्पादन और कृषि आय पर असर पड़ता है, साथ ही दवाइयों की उच्च लागत के कारण किसानों पर बोझ में वृद्धि होती है। 
    • टीकाकरण अभियान के साथ-साथ इस पहल का उद्देश्य रोग की व्यापकता एवं वित्तीय तनाव को कम करना है।

नोट: "जेनेरिक दवाएँ" मूल रूप से गैर-ब्रांडेड दवाएँ होती हैं, जिनका ब्रांड नाम के बजाय अन्य अनुमोदित नाम के तहत विपणन किया जाता है।

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम क्या है?

  • LHDCP: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD), मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। 
    • LHDPC का ध्यान पशुधन स्वास्थ्य, उत्पादकता और रोग प्रबंधन को बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसका कुल परिव्यय वर्ष 2024-26 तक 3,880 करोड़ रुपए है।
  • उद्देश्य: कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2030 तक PPR का उन्मूलन करना, राष्ट्रव्यापी सुअर टीकाकरण के माध्यम से CSF को नियंत्रित करना है।
  • घटक: LHDPC में तीन घटक शामिल हैं: राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LH&DC), और पशु औषधि। 
    • LH&DC के तीन उप-घटक हैं, जो हैं गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (उन्मूलन के लिये PPR और CSF को लक्ष्य बनाना), पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण - मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई (घर-द्वार तक पशुधन स्वास्थ्य सेवा का समर्थन करना), और पशु रोगों के नियंत्रण के लिये राज्यों को सहायता (राज्य-प्राथमिकता वाले रोगों का समाधान करना)।

भारत में पशुधन क्षेत्र

  • विकास और योगदान: पशुधन क्षेत्र 12.99% (वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23) की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है। इसने वर्ष 2022-23 में भारत के कुल सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 5.50% का योगदान दिया।
    • कृषि और संबद्ध क्षेत्र GVA में पशुधन क्षेत्र का योगदान 24.38% (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 30.23% (वर्ष 2022-23) हो गया।
    • पशुधन दो-तिहाई ग्रामीण समुदायों को आजीविका प्रदान करता है। यह भारत की लगभग 8.8% आबादी को रोज़गार भी प्रदान करता है।
  • दुग्ध, मांस और अंडा उत्पादन: भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है, जो वैश्विक उत्पादन में 24.76% का योगदान देता है।
    • दुग्ध उत्पादन 146.31 मिलियन टन (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 239.30 मिलियन टन (वर्ष 2023-24) हो गया, जो 5.62% की CAGR से बढ़ रहा है।
    • भारत विश्व स्तर पर अंडा उत्पादन में दूसरे स्थान पर है (चीन के बाद पहला ) और मांस उत्पादन में 5 वें स्थान पर है (खाद्य और कृषि संगठन, 2022)।
      • अंडे का उत्पादन 6.87% की CAGR पर 78.48 बिलियन (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 142.77 बिलियन (वर्ष 2023-24) हो गया।
      • मांस उत्पादन 4.85% की CAGR पर 6.69 मिलियन टन (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 10.25 मिलियन टन (वर्ष 2023-24) हो गया।
  • विकास को गति देने वाली सरकारी पहल: राष्ट्रीय गोकुल मिशन देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम दुग्ध प्रसंस्करण को बढ़ाता है, जबकि राष्ट्रीय पशुधन मिशन बीमा और चारा उत्पादन का विस्तार करता है। 
    • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (AHIDF) डेयरी, मांस और पशु चिकित्सा अवसंरचना में निजी निवेश का समर्थन करती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: पशुपालकों के लिये किफायती पशु चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने में पशु औषधि केंद्रों की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषीतर रोज़गार और आय का प्रबंध करने में पशुधन पालन की बड़ी संभाव्यता है। भारत में इस क्षेत्रक की प्रोन्नति करने के उपयुक्त उपाय सुझाते हुए चर्चा कीजिये। (2015)