अंतर्राष्ट्रीय संबंध
FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ पाकिस्तान
- 28 Oct 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:FATF, ग्रे लिस्ट, ब्लैक लिस्ट, G7, OECD, यूरोपीय आयोग, गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल मेन्स के लिये:FATF- ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट, आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने में FATF की दक्षता, FATF ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान का निष्कासन और भारत पर इसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) ने पाकिस्तान को " निगरानी सूची" (ग्रे लिस्ट) के तहत देशों की सूची से हटा दिया है।
- ग्रे लिस्ट में भारत के दूसरे पड़ोसी, म्याँमार को वर्ष 2021 के तख्तापलट के बाद सैन्य नेतृत्व द्वारा की गई कार्रवाई के कारण "ब्लैक लिस्ट" में वर्गीकृत कर दिया गया था।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
- परिचय:
- FATF वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण का निगरानीकर्त्ता है। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करना और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का विरोध करना है।
- FATF का गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था।
- इसका सचिवालय पेरिस में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) मुख्यालय में स्थित है।
- सदस्य:
- FATF में वर्तमान में 37 सदस्य क्षेत्राधिकार और दो क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग व खाड़ी सहयोग परिषद) शामिल हैं, जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इंडोनेशिया FATF का एकमात्र पर्यवेक्षक देश है।
- भारत वर्ष 2006 में 'पर्यवेक्षक' देशों की सूची में शामिल हुआ और वर्ष 2010 में FATF का पूर्ण सदस्य बन गया।
- भारत FATF के क्षेत्रीय साझेदारों, एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) और यूरेशियन ग्रुप (EAG) का भी सदस्य है।
- FATF में वर्तमान में 37 सदस्य क्षेत्राधिकार और दो क्षेत्रीय संगठन (यूरोपीय आयोग व खाड़ी सहयोग परिषद) शामिल हैं, जो दुनिया के के लगभग सभी हिस्सों के सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट देश:
- एफएटीएफ प्लेनरी (FATF Plenary) की निर्णय करने वाले देशों की "पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट्स" (MER) के लिये प्रतिवर्ष तीन बार (फरवरी, जून और अक्तूबर) इसके सत्र का आयोजन होता है।
- जिन देशों को आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिये सुरक्षित स्थल माना जाता है, उन्हें FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया जाता है। इस सूची में शामिल किया जाना संबंधित देश के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है।
- AML/CFT का अर्थ "धन शोधन रोधी/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना" है।
- ब्लैक लिस्ट में असहयोगी देश या क्षेत्र (Non-Cooperative Countries or Territories-NCCT) शामिल हैं ये देश आतंकी वित्तीयन और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों का समर्थन करते हैं। अभी तक ईरान, उत्तर कोरिया और म्याँमार तीन ब्लैक लिस्टेड देश हैं।
- सूचीबद्ध देशों में वित्तीय सख्ती बढ़ गई है, इस प्रकार उनके लिये FATF से संबद्ध वित्तीय संस्थानों (पर्यवेक्षकों के रूप में) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक आदि से ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो गया है।
FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर हुए पाकिस्तान से संबंधित मुख्य बिंदु:
- FATF का स्टैंड: FATF ने "पाकिस्तान की महत्त्वपूर्ण प्रगति" की सराहना करते हुए कहा कि देश ने वर्ष 2018 से इस अवधि में 34-सूत्रीय कार्यसूची वाली दो कार्य योजनाओं को पूरा किया है।
- पाकिस्तान को चार साल बाद सूची से हटा दिया गया है। पाकिस्तान को पहली बार वर्ष 2008 में सूची में रखा गया था, वर्ष 2009 में इसे सूची से हटा दिया गया और वर्ष 2012 से वर्ष 2015 तक यह पुनः निगरानी के अधीन रहा।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारत ने देश पर हमलों के लिये ज़िम्मेदार सीमा पार आतंकवादी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई में कमी का विरोध किया है, हालाँकि वह पाकिस्तान को सूची से हटाने के निर्णय पर सहमत हो गया, क्योंकि बाद में उसने नामित आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई के "दस्तावेज़ी साक्ष्य" प्रस्तुत किये थे।
- भारत का मानना है कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में विकसित होने वाले आतंकी समूहों के खिलाफ "विश्वसनीय, सत्यापन योग्य, अपरिवर्तनीय और टिकाऊ" कार्रवाई जारी रखनी चाहिये।
पाकिस्तान को सूची से हटाने के निहितार्थ:
- पाकिस्तान के लिये: "ग्रे लिस्ट" से निकाले जाने के परिणामस्वरूप, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने आतंकवाद के प्रायोजन के संबंध में पाकिस्तान को क्लीन बिल ऑफ़ हेल्थ के रूप में स्वीकार किया है जिससे पाकिस्तान की प्रतिष्ठा मज़बूती मिलेगी।
- देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, इसे अनिवार्य रूप से अन्य देशों से निवेश की सख्त ज़रूरत है। ग्रे लिस्ट से हटाने से निश्चित तौर पर इस संदर्भ में कार्रवाई होगी।
- भारत के लिये: जबकि चार साल की ग्रेलिस्टिंग ने सीमा पार आतंक को कम कर दिया है, आतंकवादियों की घुसपैठ की सामयिक घटनाओं और सीमा पर हथियार-पेलोड वाले ड्रोनों के नियमित रूप से देखे जाने से पता चलता है कि भारत के खिलाफ निर्देशित पाकिस्तान का आतंकवाद का ढांँचा वर्तमान में एक शिथिल अवस्था में है लेकिन अभी भी समूल नष्ट होने से व्यापक रूप से दूर है।
- भारत को सभी उपलब्ध साधनों और विकल्पों को जुटाना जारी रखना होगा ताकि पाकिस्तान को आतंकी-हथियार चलाने के लिये परिचालन स्थान से वंचित किया जा सके।
- भारत के हित इस क्षेत्र को अधिक स्थिर और सुरक्षित बनाने के लक्ष्य के साथ इन कूटनीतिक रणनीतियों को अनवरत रखने में निहित हैं।