पैकेज्ड खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ | 20 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पोषण संस्थान, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), हाइपरटेंशन, टाइप 2 मधुमेह

मेन्स के लिये:

सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा, भारत का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के संबंध में चिंताएँ, स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के भारत के प्रयास

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान (National Institute of Nutrition- NIN) ने स्वास्थ्य जोखिमों से बचने के लिये खाद्य पदार्थों को ध्यान से पढ़ने के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

  • उनकी हालिया रिपोर्ट स्वस्थ खान-पान की आदतों के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करती है और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर भ्रामक दावों के विरुद्ध चेतावनी देती है।

स्वस्थ जीवनशैली के लिये मुख्य सिफारिशें क्या हैं?

  • उपभोग में संयम: ये दिशा-निर्देश तेल और वसा का उपयोग संयम से करने तथा नमक एवं चीनी का सेवन कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
  • व्यायाम और शारीरिक गतिविधि: दिशा-निर्देश मोटापे जैसी बीमारियों को रोकने के लिये संतुलित आहार के साथ-साथ नियमित शारीरिक गतिविधि पर ज़ोर देते हैं।
    • कम शारीरिक गतिविधि और अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी एवं अधिक वजन जैसी समस्या को बढ़ाती है।
  • आहार विविधता और पोषक तत्त्वों का सेवन: दिशा-निर्देश संतुलित आहार के लिये न्यूनतम आठ खाद्य समूहों से मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स को प्राप्त करने की सलाह देते हैं।
    • इसका उद्देश्य सभी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूर्ति करना और सभी आयु समूहों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को रोकना है।
  • अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को सीमित करना: दिशा-निर्देश आहार में अति-प्रसंस्कृत या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत को सीमित करने के महत्त्व पर ज़ोर देते हैं।
    • इन इंस्टेंट फूड्स विकल्पों में चीनी, नमक और वसा की मात्रा अधिक होती है, जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकते हैं, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी में योगदान कर सकते हैं और अधिक वजन जैसी समस्या को बढ़ा सकते हैं।
  • सूचित खाद्य विकल्प: दिशा-निर्देश उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने में सक्षम बनाने के लिये उन्हें खाद्य पदार्थों की जाँच करने की आदत डालने का आग्रह करते हैं।
    • यह आदत उपभोक्ताओं को शर्करा, वसा और नमक वाली उच्च खाद्य पदार्थों से बचने में सक्षम बनाकर मोटापे को रोकने में सहायता कर सकती है।
  • प्रोटीन अनुपूरकों से बचाव: दिशा-निर्देश मांसपेशियों के विकास के लिये प्रोटीन अनुपूरकों के उपयोग को हतोत्साहित करते हैं।
    • ये सुझाव देते हैं कि अत्यधिक मात्रा में उच्च-प्रोटीन अनुपूरक लेने से गुर्दे की क्षति और हड्डियों में खनिजों की हानि (Bone Mineral Loss) जैसी समस्याएँ हो सकती हैं तथा प्रोटीन अनुपूरक केवल मांसपेशियों की ताकत और आकार को बढ़ाते हैं।

दिशा-निर्देश आबादी को कैसे लाभान्वित कर सकते हैं?

  • गर्भवती महिलाएँ और सद्य प्रसूताएँ: अतिरिक्त पौष्टिक आहार तक पहुँच माँ और बच्चे के समग्र स्वास्थ्य के विकास में सहायता करता है, जिससे जोखिमों का खतरा कम हो जाता है।
  • शिशु और छोटे बच्चे: छह माह तक विशेष स्तनपान इष्टतम शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास का समर्थन करता है, इसके बाद पूरक खाद्य पदार्थों की शुरुआत होती है।
  • बच्चे और किशोर: संतुलित आहार इष्टतम विकास के साथ सीखने, शारीरिक वृद्धि और शारीरिक गतिविधि का समर्थन करता है।
  • बुजुर्ग: पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देने से हड्डियाँ मज़बूत होने के साथ ही यह शारीरिक प्रतिरक्षा, जीवन की गुणवत्ता में सुधार जैसी विशिष्ट आवश्यकताओं का समाधान करता है।                

डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ कैसे भ्रामक हो सकते हैं?

  • ध्यान आकर्षित करने वाले लेबल: डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर अक्सर उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करने और स्वास्थ्य लाभ की जानकारी देने के लिये डिज़ाइन किये गए लेबल का उपयोग किया जाता है, जो भ्रामक हो सकता है।
  • 'प्राकृतिक' दावे: प्रसंस्कृत भोजन, जिसे 'प्राकृतिक' रूप में लेबल किया गया है, में संक्षारक और हानिकारक रंग शामिल हो सकते हैं।
    • इस शब्द का उपयोग अक्सर एक या दो प्राकृतिक अवयवों को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं। "प्राकृतिक", "जैविक" और "चीनी-मुक्त" जैसे शब्द अस्पष्ट हो सकते हैं और इनकी उपभोक्ताओं द्वारा गलत व्याख्या की जा सकती है, जो संभावित रूप से अस्वास्थ्यकर विकल्पों की ओर ले जा सकते हैं।
    • वास्तव में भोजन परिरक्षकों, स्वाद, रंगों, कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से मुक्त होना चाहिये। केवल इन मानदंडों को पूरा करने वाले उत्पादों में ही भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा अनुमोदित 'जैविक भारत' लोगो का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा-53 के तहत भ्रामक दावे करना अथवा विज्ञापन देना दंडनीय अपराध है।
  • पैकेज्ड जूस लेबल: FSSAI के नियमों के अनुसार, 10% से कम प्राकृतिक फल वाले जूस को असली गूदे अथवा रस ( Real Pulp Or Juice) से बना लेबल किया जा सकता है, जो उपभोक्ताओं को वास्तविक सामग्री के बारे में गुमराह कर सकता है।
  • फलों का पकना: फलों को  पकाने के लिये कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर भ्रामक हो सकता है क्योंकि इस तरह से पकने वाले फलों से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम जुड़े होते हैं।
    • कैल्शियम कार्बाइड एसिटिलीन गैस उत्सर्जित करती है, जिसमें आर्सेनिक और फास्फोरस के हानिकारक अंश होते हैं, जिन्हें "मसाला" कहा जाता है।
    • इनके परिणामस्वरूप चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, चिड़चिड़ापन, कमज़ोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर सहित कई स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त एसिटिलीन गैस की देखरेख करना स्वयं में खतरनाक हो सकता है।
    • इन खतरों के कारण खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के तहत फलों को पकाने के लिये कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
      • इसके बजाय FSSAI ने भारत में फलों को पकाने के लिये एक सुरक्षित विकल्प के रूप में "एथिलीन गैस" के उपयोग की अनुमति दी है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हार्मोन है जो फलों के पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
  • रसायन का संदूषण: संदूषण को लेकर सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग के साथ-साथ भारतीय ब्रांडों के कुछ मसाला मिश्रणों पर नेपाल का हालिया प्रतिबंध भ्रामक पैकेजिंग और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा करता है।
    • धूम्रीकरण में उपयोग किये जाने वाले रसायन एथिलीन ऑक्साइड (EtO) संदूषण से इन उत्पादों के दूषित होने का संदेह है।
  • साबुत अनाज की गलत प्रस्तुति: उत्पाद साबुत अनाज का विज्ञापन कर सकते हैं जबकि इसका केवल एक छोटा सा प्रतिशत ही इसमें होता है, शेष परिष्कृत अनाज होते हैं।

भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की क्या स्थिति है?

स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के लिये भारत ने क्या प्रयास किये हैं?

आगे की राह 

  • शब्दावली का मानकीकरण: उपभोक्ताओं द्वारा अस्पष्टता और गलत व्याख्या से बचने के लिये "प्राकृतिक," "जैविक," और "चीनी मुक्त" जैसे शब्दों की स्पष्ट परिभाषा और मानकीकृत उपयोग लागू कीजिये।
    • संभावित संदूषकों के बारे में जानकारी सहित उपयोग की गई सभी प्रसंस्करण विधियों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने के लिये खाद्य लेबल अनिवार्य कीजिये।
  • पोषण संबंधी साक्षरता: कम उम्र से ही खाद्य लेबल पढ़ने और भोजन के विकल्प चुनने की आदत डालने के लिये स्कूली पाठ्यक्रम में पोषण संबंधी साक्षरता को शामिल करना।
  • कराधान और सब्सिडी: स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों को और अधिक किफायती बनाने के लिये अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कराधान लागू करना और संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी प्रदान करना
  • मोबाइल एप्लिकेशन: ऐसे मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करना जो उत्पाद बारकोड को स्कैन कर सकें और पोषण संबंधी सामग्री और स्वास्थ्य रेटिंग का विस्तृत विश्लेषण प्रदान कर सकें।
  • भोजन योजना उपकरण: भारतीय आबादी के अनुरूप साक्ष्य-आधारित आहार दिशा-निर्देश विकसित और प्रसारित करना। स्वस्थ, संतुलित आहार को बढ़ावा देने के लिये सुलभ भोजन योजना उपकरण और संसाधन प्रदान करना।
  • स्वास्थ्य नीतियाँ: दिशा-निर्देश राष्ट्रीय पोषण नीति के लक्ष्यों का समर्थन करते हैं और समग्र पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों के पूरक हैं।
    • स्थानीय किसानों के बाज़ारों का समर्थन करने और किचन गार्डन को बढ़ावा देने से ताज़ा उपज तक पहुँच भी बढ़ सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों पर भ्रामक लेबल सहित पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में भ्रामक प्रथाओं के निहितार्थ पर चर्चा कीजिये और संतुलित पोषण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहल की प्रभावशीलता का आकलन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में पूर्व-संवेष्टित (प्री-पैकेज्ड) वस्तुओं के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार किसी निर्माता को मुख्य लेबल पर निम्नलिखित में से कौन-सी सूचना अंकित करनी अनिवार्य है? (2016)

  1. संघटकों की सूची, जिसमें संयोजी शामिल हैं 
  2. पोषण-विषयक सूचना
  3. चिकित्सा व्यवसाय द्वारा दी गई किसी एलर्जी प्रतिक्रिया की संभावना के संदर्भ में संस्तुतियाँ, यदि कोई हैं
  4. शाकाहारी/मांसाहारी

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (c)