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सामाजिक न्याय

पोषण स्मार्ट गाँव कार्यक्रम

  • 11 Nov 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पोषण अभियान, पोषण स्मार्ट गाँव, आज़ादी का अमृत महोत्सव, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

मेन्स के लिये:

कुपोषण को दूर करने संबंधित कार्यक्रम, पोषण अभियान का महत्त्व   

चर्चा में क्यों?

पोषण अभियान को मज़बूत करने के लिये "पोषण स्मार्ट गाँव" नामक एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • यह पहल प्रधानमंत्री के आह्वान के अनुरूप 75 गाँवों को गोद लेने और उन्हें स्मार्ट गाँव में बदलने को संदर्भित करता है। 
    • खिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) केंद्रों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान (ICAR-CIWA) द्वारा कुल 75 गाँवों को गोद लिया जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • कृषि कार्यों में संलग्न महिलाओं और स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण संबंधी जागरूकता, शिक्षा और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना।
    • कुपोषण को दूर करने के लिये स्थानीय विधि के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करना।
    • घरेलू कृषि एवं न्यूट्री-गार्डन के माध्यम से पोषण-संवेदी कृषि को क्रियान्वित करना।
  • पोषण अभियान:
    • परिचय:
      • 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन शुरू किया गया था।
      • अभियान का उद्देश्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों में) तथा जन्म के समय कम वज़न को क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रतिवर्ष कम करना है।
      • इसमें वर्ष 2022 तक 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों में स्टंटिंग को 38.4% से कम कर 25% तक करने का भी लक्ष्य शामिल है।
    • पोषण 2.0:
      • हाल ही में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोषण 2.0 का उद्घाटन किया और सभी आकांक्षी ज़िलों से पोषण माह (1 सितंबर, 2021 से) के दौरान एक पोषण वाटिका (पोषण उद्यान) स्थापित करने का आग्रह किया।
  • भारत में कुपोषण परिदृश्य:
    • इस अस्वस्थता से निपटने के लिये दशकों के निवेश के बावजूद भारत की बाल कुपोषण दर अभी भी दुनिया में सबसे जोखिमयुक्त देशों में से एक है।
      • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (2021): इसकी गणना जनसंख्या के कुल अल्पपोषण, चाइल्ड स्टंटिंग, वेस्टिंग और बाल मृत्यु दर के आधार पर की जाती है। भारत को 116 देशों में 101वें स्थान पर रखा गया है।
    • भारत के कुल रोग भार के 15% के लिये बच्चे और मातृ कुपोषण संबंधी समस्या ज़िम्मेदार है।
    • अब तक किये गए 22 राज्यों के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) (2019-2021) के पाँचवें दौर के आँकड़ों के अनुसार, केवल 9 राज्यों में अविकसित बच्चों की संख्या में कमी, 10 राज्यों में कमज़ोर बच्चों में और छह में कम वज़न वाले बच्चों की संख्या में गिरावट देखी गई। .
    • शोध से पता चलता है कि भारत में बाल कुपोषण के कारण संबंधी हस्तक्षेपों पर खर्च किया गया। 1 अमरीकी डालर सार्वजनिक आर्थिक प्रतिफल में वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक अमरीकी डालर (34.1 से 38.6) उत्पन्न कर सकता है।
    • अध्ययनों से पता चलता है कि भारत बाल कुपोषण के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4% तक और अपनी उत्पादकता का 8% तक खो देता है।
  • अन्य संबंधित सरकारी पहलें:

स्रोत: पीआईबी

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