सामाजिक न्याय
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
- 02 Mar 2020
- 9 min read
प्रीलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मेन्स के लिये:महिलाओं से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा सरकार के अन्य मंत्रालय मिलकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day- IWD) 8 मार्च, 2020 के परिप्रेक्ष्य में 1 से 7 मार्च तक विशेष अभियान शुरू कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- सरकार ने 7 दिनों के अभियान के लिये महिलाओं के योगदान के 7 विषय क्षेत्रों की पहचान की है।
- जिन विषयों का अवलोकन किया जा रहा है वे हैं:
- शिक्षा
- स्वास्थ्य और पोषण
- महिलाओं का सशक्तीकरण
- कौशल और उद्यमिता एवं खेलों में भागीदारी
- विशेष परिस्थितियाँ
- ग्रामीण महिलाएँ एवं कृषि
- शहरी महिलाएँ
अन्य गतिविधियाँ
- इस सप्ताह के दौरान (1-7 मार्च ) गर्भावस्था और स्तनपान अवधि के दौरान महिलाओं के लिये स्वस्थ और पौष्टिक भोजन, महिला प्रधान 14 हिंदी फ़िल्मों का दूरदर्शन पर प्रसारण, डीडी किसान चैनल पर महिला कृषकों संबंधी कार्यक्रमों का प्रसारण, स्वास्थ्य-कल्याण और एनीमिया पर महिला शिविरों का आयोजन, 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में महिला सशक्त्तीकरण पर राउंड टेबल, प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभान्वित होने के लिये महिलाओं को शिक्षित और सूचित करना जैसे विषयों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस:
- प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जाता है। सर्वप्रथम वर्ष 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 1977 में इसे अधिकारिक मान्यता प्रदान की गई।
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के उद्देश्य से इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
ऐतिहासिक पहलू:
- 28 फरवरी, 1909 को संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने इस दिन को न्यूयॉर्क में वर्ष 1908 की कपड़ा श्रमिकों की हड़ताल के सम्मान में नामित किया, जहाँ महिलाओं ने कामकाजी परिस्थितियों के खिलाफ विरोध किया था।
- हालाँकि अमेरिका में इसके बीज बहुत पहले बोये जा चुके थे जब वर्ष 1848 में महिलाओं को गुलामी विरोधी सम्मेलन में बोलने से रोक दिया गया।
थीम IWD 2020:
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2020 का विषय है, “मैं पीढ़ीगत समानता: महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूँ।” (I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights)
- इस वर्ष ‘यूएन वीमेन’ (UN Women) की 10वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी।
IWD 2020 उद्देश्य:
- पीढ़ीगत समानता अभियान के तहत हर लिंग, आयु, नस्ल, धर्म और देश के लोगों को एक साथ लाया जा सके तथा ऐसे अभियान चलाए जाए ताकि लैंगिक-समानता युक्त दुनिया का निर्माण हो सके।
- लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करना, आर्थिक न्याय और अधिकारों की प्राप्ति, शारीरिक स्वायत्तता, यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार, जलवायु न्याय के लिये नारीवादी कार्यवाही तथा लैंगिक समानता के लिये प्रौद्योगिकी और नवाचारों का उपयोग जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में छोटे-छोटे कार्यों द्वारा व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है।
SDG लक्ष्य 5- ‘लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना’
(Achieve gender equality and empower all women and girls):
- जबकि दुनिया ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals- MDG) के तहत लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में प्रगति हासिल करने के बावजूद महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ दुनिया के हर हिस्से में भेदभाव और हिंसा जारी है। SDG में इन भेदभावों की समाप्ति की दिशा में निम्न लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं:
- महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हर जगह भेदभाव के सभी प्रकारों को समाप्त करें।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ हिंसा के सभी प्रकारों की समाप्ति, जिसमें तस्करी, यौन और अन्य प्रकार का शोषण शामिल हैं।
- सभी कुप्रथाओं की समाप्ति, जैसे बाल-विवाह और महिला जननांग विकृति।
- सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान के माध्यम से अवैतनिक देखभाल और घरेलू कार्यों को पहचान व महत्व देना।
- राजनीतिक, आर्थिक और सार्वजनिक जीवन में निर्णय लेने के सभी स्तरों पर महिलाओं की पूर्ण व प्रभावशाली भागीदारी तथा नेतृत्व के समान अवसर सुनिश्चित करना।
- यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा प्रजनन अधिकारों के लिये सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
लैंगिक समानता प्राप्ति में चुनौतियाँ:
- नीति आयोग ने अपने ‘सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक’ (Sustainable Development Goal India Index) रिपोर्ट में यह चिंता ज़ाहिर की है कि यदि राज्य उल्लेखनीय प्रगति नहीं करते हैं तो भारत सतत् विकास लक्ष्यों को नियत समय में प्राप्त करने में पीछे रह जाएगा।
- विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी ‘ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट’ (Global Gender Gap Report) 2018 में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर लिंग भेद को कम करने के लिये कम-से-कम 108 साल तथा कार्यबल में समानता हासिल करने के लिए कम-से-कम 202 साल लगेंगे।
- प्रसिद्ध समाजशास्त्री सिल्विया वाल्बे के अनुसार, “पितृसत्ता सामाजिक संरचना की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें पुरुष, महिला पर अपना प्रभुत्व जमाता है, उसका दमन करता है और उसका शोषण करता है” तथा भारतीय समाज में लिंग असमानता का मूल कारण इसी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में निहित है।
यद्यपि लैंगिक समानता प्राप्त करने की दिशा में आज हमने काफी प्रगति की है, लेकिन नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को चाहिये कि वे इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाएँ और आने वाले वर्षों में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये कड़ी कार्रवाई करें। न्याय और सामाजिक समानता के साथ-साथ मानव पूंजी के विविध एवं व्यापक आधारों के संदर्भ में ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।