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वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट-2018

  • 20 Dec 2018
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट- 2018 (Gender Gap Report- 2018) जारी की है। WEF द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत को समग्र रूप से 0.665 अंकों के साथ 108वाँ स्थान हासिल हुआ है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में भी भारत इस रिपोर्ट में 108वें स्थान पर था।

क्या है लैंगिक असमानता?


लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेद-भाव से है। परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीड़ित होती हैं। महिलाओं के खिलाफ भेद-भाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है।

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक स्तर पर लैंगिक अंतराल को 68.0% तक कम किया गया है, दूसरे शब्दों में आज भी दुनिया में औसतन 32.0% लैंगिक अंतराल व्याप्त है। 89 देशों में लैंगिक अंतराल को कम करने की दिशा में सुधारात्मक और दिशात्मक प्रवृत्ति देखी गई है।
  • रिपोर्ट में शामिल चार उप-सूचकांकों में सबसे अधिक लैंगिक असमानता राजनीतिक सशक्तीकरण के मामले में है जो वर्तमान में 77.1% है। इसके बाद दूसरी सबसे अधिक लैंगिक असमानता वाला क्षेत्र आर्थिक भागीदारी और अवसर है जो वर्तमान में 41.9% के स्तर पर है।
  • शिक्षा प्राप्ति तथा स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता में यह अंतराल क्रमशः 4.4% और 4.6% है। उल्लेखनीय है कि केवल आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्र में यह अंतराल पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम हुआ है।
  • यद्यपि आर्थिक अवसर के क्षेत्र में अंतराल इस वर्ष थोड़ा कम हुआ है, लेकिन विशेष रूप से श्रम बल के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में प्रगति धीमी रही है।
  • राजनीतिक सशक्तीकरण के संदर्भ में पिछले दशक में हासिल की गई प्रगति में भी धीरे-धीरे कमी आनी शुरू हो गई है।
  • उल्लेखनीय है कि पश्चिमी देशों में लैंगिक समानता में थोड़ी कमी आई है, जबकि अन्य स्थानों पर इस क्षेत्र में औसत प्रगति जारी है।
  • शिक्षा-विशिष्ट लिंग अंतर अगले 14 वर्षों के भीतर समाप्त होकर समानता के मार्ग पर अग्रसर है।
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल में भले ही 2006 के बाद थोड़ी वृद्धि हुई हो, लेकिन वैश्विक रूप से यह लगभग समाप्त हो गया है मूल्यांकन में शामिल देशों के तीसरे हिस्से में यह पूरी तरह से समाप्त हो चुका है।

राजनीतिक-आर्थिक नेतृत्व के आधार पर मूल्यांकन

  • यदि राजनीतिक और आर्थिक नेतृत्व की बात की जाए तो दुनिया को इस क्षेत्र में अभी भी काफी लंबा सफर तय करना है। मूल्यांकन में शामिल किये गए 149 देशों में केवल 17 देश ऐसे हैं जहाँ वर्तमान में महिलाएँ राज्य की मुखिया हैं, जबकि औसतन 18% मंत्री और 24% संसद सदस्य वैश्विक रूप से महिलाएँ हैं।
  • इसी तरह जिन देशों के बारे डेटा उपलब्ध है वहाँ केवल 34% प्रबंधकीय पदों पर महिलाएँ नियुक्त हैं, जबकि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले चार वाले देशों (मिस्र, सऊदी अरब, यमन और पाकिस्तान) में यह आँकड़ा 7% से कम है। इस सूचकांक में पूर्ण समानता पहले से ही पाँच देशों (बहामा, कोलंबिया, जमैका, लाओ पीडीआर और फिलीपींस) में एक वास्तविकता है और 19 देश ऐसे हैं जहाँ प्रबंधकीय पदों पर कम-से-कम 40% महिलाएँ हैं।

व्यापक आर्थिक शक्ति के आधार पर

  • व्यापक आर्थिक शक्ति के संदर्भ में वित्तीय परिसंपत्तियों के नियंत्रण और अवैतनिक कार्यों पर खर्च किये गए समय में अंतराल पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक असमानता को बरकरार रखता है। केवल 60% देशों में महिलाओं की पुरुषों के समान वित्तीय सेवाओं तक पहुँच है और मूल्यांकन में शामिल देशों में से केवल 42% देशों में भू-स्वामित्व का अधिकार महिलाओं के पास है। इसके अलावा, 29 देशों में (जिनके लिये डेटा उपलब्ध है) घर के काम और अवैतनिक गतिविधियों में महिलाएँ औसतन पुरुषों की तुलना में दोगुना अधिक समय व्यतीत करती हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल

  • हालाँकि शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक समानता की औसत प्रगति अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर है, फिर भी 44 देशों में 20% से अधिक महिलाएँ अशिक्षित हैं।
  • इसी तरह उच्च शिक्षा नामांकन दर में अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों की कम भागीदारी होती है। औसतन 65% लड़कियाँ और 66% लड़कों ने वैश्विक स्तर पर माध्यमिक शिक्षा में दाखिला लिया है, जबकि केवल 39% महिलाएँ और 34% पुरुष कॉलेज या विश्वविद्यालय में हैं।
  • यह तथ्य महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिये मानव पूंजी को बेहतर ढंग से विकसित करने के लिये अधिक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की मांग करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र

  • आज के श्रम बाज़ारों में तेज़ी से बदलाव के चलते इस वर्ष विश्लेषण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में लैंगिक अंतराल का भी मूल्यांकन किया गया।
  • लिंक्डइन (LinkedIn,) के सहयोग के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि वैश्विक स्तर पर AI पेशेवरों में केवल 22% महिलाएँ हैं, जबकि 78% पुरुष हैं।
  • इस खोज के प्रभाव व्यापक हैं और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाते हैं।

शीर्ष 10 देश

  • आज तक सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश आइसलैंड (Iceland) है। इसने कुल लैंगिक अंतराल में 85% से अधिक कमी की है।
  • इस सूची में आइसलैंड के बाद नॉर्वे (83.5%), स्वीडन और फिनलैंड (82.2%) आते हैं।
  • यद्यपि सूची में नॉर्डिक (Nordic) देशों का प्रभुत्व है, शीर्ष दस में एक लैटिन अमेरिकी देश निकारागुआ (Nicaragua ) 5वें स्थान पर, दो उप-सहारा अफ्रीकी देश (Sub-Saharan African Countries) रवांडा (Rwanda) और नामीबिया (Namibia) क्रमशः 6ठे और 10वें स्थान पर तथा पूर्वी एशिया का फिलीपींस (Philippines) 8वें स्थान पर है।
  • इस सूची में न्यूज़ीलैंड 7वें और आयरलैंड 9वें स्थान पर है।

global outlook

भौगौलिक क्षेत्र के आधार पर मूल्यांकन

  • रिपोर्ट में मूल्यांकन के लिये शामिल किये गए सभी आठ भौगोलिक क्षेत्रों ने कम से कम 60% लैंगिक समानता हासिल की है और दो क्षेत्र ऐसे हैं जिन्होंने 70% से अधिक प्रगति की है।
  • पश्चिमी यूरोप इस क्रम में पहले स्थान पर (औसतन 75.8% के लैंगिक समानता) है। जबकि उत्तरी अमेरिका (72.5%) दूसरे और लैटिन अमेरिका (70.8%) तीसरे स्थान पर है।
  • इसके बाद पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया (70.7%), पूर्वी एशिया और प्रशांत (68.3%), उप-सहारा अफ्रीका (66.3%), दक्षिण एशिया (65.8%) और मध्य-पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका (60.2%) है।
  • इस साल रिपोर्ट में शामिल 149 देशों में पाँच नए देशों को शामिल किया गया है जिनमें शामिल हैं- कांगो (Congo), डीआरसी (DRC); इराक (Iraq), ओमान (Oman), सिएरा लियोन (Sierra Leone) और टोगो (Togo)। सिएरा लियोन 114वें स्थान पर है जबकि अन्य की रैंकिंग निम्नतम है।
  • यदि भविष्य में वर्तमान दरें कायम रहती हैं, तो संपूर्ण वैश्विक लैंगिक अंतराल को समाप्त करने में पश्चिमी यूरोप में 61 वर्ष, दक्षिण एशिया में 70 वर्ष, लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई देशों में 74 वर्ष, उप-सहारा अफ्रीका में 135 वर्ष, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में 124 वर्ष, मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 153 वर्ष, पूर्वी एशिया एवं प्रशांत में 171 वर्ष और उत्तरी अमेरिका में 165 वर्ष का समय लगेगा।

भारतीय परिदृश्य

  • भारत को इस रिपोर्ट में 0.665 औसत अंकों के साथ 108वाँ स्थान हासिल हुआ है।
  • रिपोर्ट में शामिल चार प्रमुख क्षेत्रों में भारत का स्कोर इस प्रकार है-
  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर (Economic Participation and Opportunity)- 0.385
  2. शिक्षा प्राप्ति (Educational Attainment)- 0.953
  3. स्वास्थ्य और उत्तरजीविता (Health and Survival)- 0.940
  4. राजनीतिक सशक्तीकरण (Political Empowerment)- 0.382

india rank

  • भारत के पड़ोसी देशों में बांग्लादेश 48वें स्थान पर, श्रीलंका 100वें स्थान पर, चीन 103वें स्थान पर, नेपाल 105वें स्थान पर, भूटान 122वें स्थान पर तथा पाकिस्तान 148वें स्थान पर है।

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आगे की राह

  • रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौज़ूदा रुझानों को भविष्य से जोड़कर देखा जाए तो वैश्विक लैंगिक अंतराल के पहले संस्करण के बाद से दुनिया के 106 देशों में लैंगिक असमानता को समाप्त होने में 108 वर्षों का समय लगेगा।
  • सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण लैंगिक अंतराल वाले क्षेत्र आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण हैं जिन्हें समाप्त होने में क्रमश: 202 और 107 वर्षों का समय लगेगा।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट

  • वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) द्वारा जारी की जाती है।
  • वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक निम्नलिखित चार क्षेत्रों में लैंगिक अंतराल का परीक्षण करता है।

♦ आर्थिक भागीदारी और अवसर 
♦ शैक्षिक उपलब्धियाँ 
♦ स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता 
♦ राजनीतिक सशक्तीकरण 

  • यह सूचकांक 0 से 1 के मध्य विस्तारित है। 
  • इसमें 0 का अर्थ पूर्ण लिंग असमानता तथा 1 का अर्थ पूर्ण लैंगिक समानता है।
  • पहली बार लैंगिक अंतराल सूचकांक वर्ष 2006 में जारी किया गया था।

निष्कर्ष


भले ही ये अनुमान लैंगिक समानता प्राप्त करने की दिशा में आज की गति को दर्शाते हैं लेकिन नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को चाहिये कि वे इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढाएँ और आने वाले वर्षों में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये कड़ी कार्रवाई करें। न्याय और सामाजिक समानता के साथ-साथ मानव पूंजी के विविध व्यापक आधारों के संदर्भ में ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।


स्रोत : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वेबसाइट

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