पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी | 28 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी, रबी और खरीफ मौसम, उर्वरक, DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट), कालाबाज़ारी मेन्स के लिये:पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी का महत्त्व और चुनौतियाँ, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सब्सिडी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे |
स्रोत:पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सत्र 2022-23 के लिये रबी और खरीफ मौसमों के विभिन्न पोषक तत्त्वों के लिये पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) दरों को मंज़ूरी दे दी है।
- रबी मौसम 2022-23 के लिये: NBS को विभिन्न पोषक तत्त्वों अर्थात् नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटाश (K) और सल्फर (S) के लिये मंज़ूरी दी गई है।
- खरीफ मौसम 2022-23 के लिये: फॉस्फेटिक और पोटाश (P&K) उर्वरकों के लिये NBS दरें अनुमोदित।
पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) व्यवस्था:
- परिचय:
- NBS इस व्यवस्था के तहत किसानों को इन उर्वरकों में निहित पोषक तत्त्वों (N, P, K और S) के आधार पर रियायती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराए जाते हैं।
- इसके अलावा जो उर्वरक मॉलिब्डेनम (Mo) और जिंक जैसे माध्यमिक एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से समृद्ध होते हैं, उन्हें अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है।
- P&K उर्वरकों पर सब्सिडी की घोषणा सरकार द्वारा वार्षिक आधार पर प्रत्येक पोषक तत्त्व के लिये प्रति किलोग्राम के आधार पर की जाती है, जो कि P&K उर्वरकों की अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू कीमतों, विनिमय दर, देश में इन्वेंट्री स्तर आदि को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है।
- NBS नीति का उद्देश्य P&K उर्वरकों की खपत को बढ़ाना है ताकि NPK उर्वरक के बीच इष्टतम संतुलन (N:P:K= 4:2:1) हासिल किया जा सके।
- इससे मृदा के स्वास्थ्य में सुधार होगा और परिणामस्वरूप फसलों की पैदावार बढ़ेगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- साथ ही, चूँकि सरकार उर्वरकों के तर्कसंगत उपयोग की उम्मीद करती है, इससे उर्वरक सब्सिडी का बोझ भी कम हो जाएगा।
- इसे रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल 2010 से कार्यान्वित किया जा रहा है।
- महत्त्व:
- सब्सिडीयुक्त P&K उर्वरकों की उपलब्धता से खरीफ मौसम के दौरान किसानों को रियायती, किफायती और उचित मूल्य पर DAP (डाई-अमोनियम फॉस्फेट और अन्य P&K उर्वरक) की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यह भारत में कृषि उत्पादकता तथा खाद्य सुरक्षा का समर्थन करने के लिये आवश्यक है।
- NBS सब्सिडी प्रभावी संसाधन आवंटन के लिये प्रमुख है तथा यह सुनिश्चित करती है कि सब्सिडी उन किसानों को दी जाए जिन्हें कुशल और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
NBS से संबंधित मुद्दे:
- आर्थिक और पर्यावरणीय लागत:
- NBS नीति सहित उर्वरक सब्सिडी, अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा वित्तीय बोझ डालती है। यह खाद्य सब्सिडी के बाद दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है, जो राजकोषीय स्वास्थ्य पर दबाव डालती है।
- इसके अतिरिक्त मूल्य निर्धारण असमानता के कारण असंतुलित उर्वरक उपयोग के प्रतिकूल पर्यावरणीय परिणाम होते हैं, जैसे कि मृदा क्षरण एवं पोषक तत्त्वों का अपवाह, दीर्घकालिक कृषि स्थिरता को प्रभावित करता है।
- ब्लैक मार्केटिंग और डायवर्ज़न:
- रियायती दर पर मिलने वाला यूरिया कालाबाज़ारी और डायवर्ज़न के प्रति अतिसंवेदनशील है। इसे कभी-कभी अवैध रूप से थोक क्रेताओं, व्यापारियों या गैर-कृषि उपयोगकर्त्ताओं जैसे- प्लाईवुड व पशु आहार निर्माताओं को बेचा जाता है।
- इसके अलावा बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में रियायती दर पर मिलने वाले यूरिया की तस्करी के उदाहरण हैं जिससे घरेलू कृषि उपयोग के लिये रियायती दर पर मिलने वाले उर्वरकों की हानि होती है।
- रिसाव और दुरुपयोग:
- NBS पद्धति यह सुनिश्चित करने हेतु कुशल वितरण प्रणाली पर निर्भर करती है कि सब्सिडी वाले उर्वरक लक्षित लाभार्थियों यानी किसानों तक पहुँचें।
- हालाँकि रिसाव और दुरुपयोग के मामले सामने आ सकते हैं, जिसके कारण सब्सिडी वाले उर्वरक किसानों तक नहीं पहुँच पाते हैं या कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में उपयोग किये जाते हैं। यह सब्सिडी की प्रभावशीलता को कम करता है और वास्तव में किसानों को सस्ती उर्वरकों तक पहुँच से वंचित करता है।
- क्षेत्रीय असमानताएँ:
- देश के विभिन्न क्षेत्रों में कृषि पद्धतियाँ, मृदा की स्थिति और फसल की पोषक आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं।
- एक समान NBS व्यवस्था को लागू करने से विशिष्ट आवश्यकताओं और क्षेत्रीय विषमताओं को पर्याप्त रूप से उजागर नहीं किया जा सकता है, संभावित रूप से उप-इष्टतम पोषक तत्त्व अनुप्रयोग एवं उत्पादकता जैसी भिन्नताएँ हो सकती हैं।
आगे की राह
- सभी उर्वरकों हेतु एक समान नीति आवश्यक है, क्योंकि फसल की पैदावार और गुणवत्ता के लिये नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) एवं पोटेशियम (K) महत्त्वपूर्ण हैं।
- लंबी अवधि में NBS को फ्लैट प्रति एकड़ नकद सब्सिडी द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है जो किसानों को किसी भी उर्वरक को खरीदने की अनुमति देता है।
- इस सब्सिडी में मूल्य वर्द्धित और अनुकूलित उत्पाद शामिल होने चाहिये जो कुशल नाइट्रोजन वितरण एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं।
- NBS व्यवस्था के वांछित परिणामों को प्राप्त करने हेतु मूल्य नियंत्रण, सामर्थ्य और टिकाऊ पोषक तत्त्व प्रबंधन के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
प्रमुख शस्य मौसम:
खरीफ फसल |
रबी फसल |
जो फसलें दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में बोई जाती हैं, उन्हें खरीफ या मानसूनी फसलें कहा जाता है। |
इन फसलों को मानसून के पुनरागमन और पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के आसपास बोया जाता है, जिनकी बुवाई अक्तूबर में शुरू होती है तथा इन्हें रबी या सर्दियों की फसलें कहा जाता है। |
खरीफ फसलों की बुवाई मानसून के दौरान जून से अक्तूबर तक की जाती है और देर से गर्मियों या शरद मौसम की शुरुआत में काटा जाता है। |
इन फसलों की कटाई आमतौर पर गर्मियों के मौसम में अप्रैल और मई के दौरान होती है। |
ये फसलें वर्षा के प्रतिरूप पर निर्भर करती हैं। |
इन फसलों पर वर्षा का ज़्यादा असर नहीं होता है। |
प्रमुख खरीफ फसलों में चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, मूँगफली और दालें जैसे- अरहर और हरा चना शामिल हैं। |
प्रमुख रबी फसलें गेहूँ, चना, मटर, जौ आदि हैं। |
इसे उगाने के लिये बहुत अधिक जल और ऊष्ण मौसम की आवश्यकता होती है। |
बीज के अंकुरण के लिये गर्म जलवायु और फसलों की वृद्धि के लिये ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। |
जायद फसलें:
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में पिछले पांँच वर्षों में खरीफ फसलों की खेती के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त में से कौन-सी खरीफ फसलें हैं? (a) केवल 1 और 4 उत्तर: C |