शासन व्यवस्था
नेचर इंडेक्स- 2020
- 12 Jun 2020
- 8 min read
प्रीलिम्स के लिये:नेचर इंडेक्स- 2020 मेन्स के लिये:भारत में शोध कार्य |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' (Department of Science & Technology) के तीन स्वायत्त संस्थानों सहित भारत के शीर्ष 30 संस्थानों को ‘नेचर इंडेक्स- 2020’ (Nature Index- 2020) में शामिल किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘नेचर इंडेक्स’, 82 उच्च गुणवत्ता वाली विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित शोधलेखों के आधार पर तैयार किया जाने वाला डेटाबेस है।
- ये डेटाबेस ‘नेचर रिसर्च’ (Nature Research) द्वारा संकलित किया गया है।
- ‘नेचर रिसर्च’ अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रकाशन कंपनी ‘स्प्रिंगर नेचर’ (Springer Nature) का एक प्रभाग है।
- ‘नेचर इंडेक्स’ में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक, क्षेत्रीय तथा देशों के अनुसार रैंकिंग जारी की जाती है।
नेचर इंडेक्स-2020 में शामिल भारतीय संस्थान:
- नेचर इंडेक्स-2020 में विभिन्न विश्वविद्यालयों, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों’ (Indian Institutes of Technology- IITs), ‘भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों’ (Indian Institutes of Science Education and Research- IISERs), अनुसंधान संस्थानों तथा प्रयोगशालाओं सहित 30 भारतीय संस्थानों को शामिल किया गया है।
- सूचकांक में DST के तीन स्वायत संस्थान 'विज्ञान आधारित कृषि के लिये भारतीय संघ' (Indian Association for the Cultivation of Science- IACS), कोलकाता 7वें स्थान पर, ‘जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र’ (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research- JNCASR), बंगलौर 14 वें स्थान पर और ‘एस. एन. बोस बुनियादी विज्ञान के लिये राष्ट्रीय केंद्र’ (S. N. Bose National Centre for Basic Sciences), कोलकाता 30 वें स्थान पर हैं।
- वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो 'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद' (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR), 160 वें स्थान तथा ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Science- IISc), बंगलौर 184वें स्थान के साथ शीर्ष 500 रैंकिंग में शामिल होने वाले अग्रणी भारतीय संस्थान हैं।
‘नेचर इंडेक्स’ के आधार:
- नेचर इंडेक्स तैयार करते समय निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है:
- किसी संस्थान द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य;
- संस्थान का विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान;
- संस्थान का उच्च गुणवत्ता के अनुसंधान में एक-दूसरे के साथ सहयोग तथा समय के साथ किया जाने वाला बदलाव;
भारत में शोध की खराब स्थिति का कारण:
- भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली पिछले कुछ दशकों से यथास्थिति में बनी हुई है। अध्ययन सामग्री की गुणवत्ता तथा उस तक छात्रों की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में कोई क्रांतिकारी प्रयास नहीं किये गए हैं।
- भारत की 1.3 बिलियन आबादी में से वर्ष 2015 में प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 216 शोधकर्त्ता थे। भारत में अनुसंधान पर निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.62 प्रतिशत है। चीन, सकल घरेलू उत्पाद का 2.11 प्रतिशत से अधिक अनुसंधान पर निवेश करता है तथा प्रति मिलियन जनसंख्या पर 1,200 शोधकर्त्ता हैं।
- वर्ष 2018 में PhD कार्यक्रमों के नामांकित छात्रों की संख्या 161,412 थी जो देश में उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन का 0.5 प्रतिशत से भी कम है।
सरकार द्वारा किये गए प्रयास:
- भारत सरकार ने वर्ष 2013 में शोधकर्त्ताओं की संख्या को बढ़ावा देने के लिये ‘राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान’ (Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan) शुरू किया गया था।
- वर्ष में 2015 में ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (National Institutional Ranking Framework- NIRF) विभिन्न मापदंडों के आधार विश्वविद्यालयों तथा संस्थानों की रैंकिंग निर्धारित करने के लिये प्रारंभ किया गया था।
- भारत सरकार ने ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (Institutes of Eminence- IoE) योजना के तहत विश्व स्तर के विश्वविद्यालय बनने के लिये 20 संस्थानों का समर्थन करने का निर्णय लिया है।
- वर्ष 2018 के वार्षिक बजट में 16.5 बिलियन रुपए के प्रारंभिक बजट आवंटन के साथ 'प्रधानमंत्री अनुसंधान अध्येता’ (Prime Ministers Research Fellowship) योजना की घोषणा की गई।
आगे की राह:
- स्नातक से पूर्व शोध कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। क्योंकि इससे छात्र अधिगम, स्नातक शिक्षा में नामांकन, रचनात्मकता, समस्या समाधान कौशल, बौद्धिक स्वतंत्रता आदि में वृद्धि होती है।
- शोध कार्यक्रमों की प्रकृति को बहुअनुशासित बनाए जाने की आवश्यकता है। ताकि विषयों का चुनाव, परिसरों तथा बाहरी संगठनों के बीच छात्रों की गतिशीलता की अनुमति मिल सके।
- विश्वविद्यालयों में अनुसंधान कार्यों को केंद्र में रखा जाना चाहिये तथा शोध प्रकाशन को बढ़ावा देना चाहिये।
निष्कर्ष:
- भारत वर्तमान में 'इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस ’, 'स्टडी इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों के साथ ही एक ‘नई शिक्षा नीति’ तैयार करके वैश्विक स्तर पर शिक्षा में स्थति को सुधारने की दिशा में कार्य कर रहा है। भारत एक समृद्ध ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ वाला देश है, यदि इसका सदुपयोग किया गया तो यह देश को ‘ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था’ बनाने में योगदान कर सकता है।