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भारतीय अर्थव्यवस्था

नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज

  • 12 Jun 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI), स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य बीमा पारिस्थितिकी तंत्र, आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) , डेटा गोपनीयता

मेन्स के लिये:

नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज(NHCX) की मुख्य विशेषताएँ, भारत में नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज की आवश्यकता।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority- NHA) और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने स्वास्थ्य सेवा तथा स्वास्थ्य बीमा पारिस्थितिकी तंत्र में हितधारकों के बीच दावा-संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा के लिये नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (NHCX) का शुभारंभ किया।

नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (NHCX) क्या है?

  • परिचय:
    • यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे भारत में स्वास्थ्य बीमा दावों के प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • यह सभी स्वास्थ्य दावों के लिये एक केंद्रीकृत केंद्र के रूप में कार्य करेगा, अस्पतालों पर प्रशासनिक बोझ को कम करेगा और एक निर्बाध, पेपरलेस और सुरक्षित संविदात्मक ढाँचा प्रदान करेगा।
    • यह प्रणाली भारत की गतिशील और विविध स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को समायोजित करने के लिये डिज़ाइन की गई है, जो कि IRDAI के ‘2047 तक सभी के लिये बीमा’ प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।
  • लाभ:
    • NHCX का लक्ष्य नकदी रहित दावा प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना है, जिससे संभावित रूप से प्रतीक्षा समय तथा मरीज़ों की आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में कमी आएगी।
    • NHCX कई पोर्टलों और मैनुअल कागज़ी कार्रवाई की आवश्यकता को समाप्त करके दावा प्रसंस्करण को सुव्यवस्थित करता है, जिससे अस्पतालों के लिये प्रशासनिक बोझ कम हो जाता है।
    • यह प्लेटफॉर्म एक समान डेटा प्रस्तुति और केंद्रीकृत सत्यापन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा मूल्य निर्धारण के लिये अधिक मानकीकृत दृष्टिकोण को जन्म दे सकता है।
    • यह प्रणाली डेटा सत्यापन के माध्यम से धोखाधड़ी वाले दावों का पता लगाने और उन्हें रोकने में मदद कर सकती है।

आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE):

  • आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) वह धनराशि है जो स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने के समय परिवारों द्वारा सीधे भुगतान की जाती है।
  • इसमें किसी भी सार्वजनिक या निजी बीमा या सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति शामिल नहीं हैं।

IRDAI के अनुसार, भारत में बीमा की स्थिति:

  • भारत में कुल सामान्य बीमा प्रीमियम आय में स्वास्थ्य बीमा का योगदान लगभग 29% है।
  • जीवन बीमा व्यवसाय में भारत दुनिया में 10वें स्थान पर है। वर्ष 2019 के दौरान वैश्विक जीवन बीमा बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी 2.73% थी।
  • गैर-जीवन बीमा व्यवसाय में भारत दुनिया में 15वें स्थान पर है। वर्ष 2019 के दौरान वैश्विक गैर-जीवन बीमा बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी 0.79% थी।

बीमा प्रवेश और घनत्व:

  • बीमा प्रवेश और घनत्व दो ऐसे मापदंड हैं जिनका उपयोग अक्सर किसी देश में बीमा क्षेत्र के विकास के स्तर का आकलन करने के लिये किया जाता है।
  • बीमा प्रवेश को सकल घरेलू उत्पाद में बीमा प्रीमियम के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है।
    • बीमा प्रवेश जो वर्ष 2001 में 2.71% था, वर्ष 2019 में लगातार बढ़कर 3.76% हो गया है (जीवन 2.82% और गैर-जीवन 0.94%)।
  • बीमा घनत्व की गणना प्रीमियम और जनसंख्या के अनुपात (प्रति व्यक्ति प्रीमियम) के रूप में की जाती है।
    • भारत में बीमा घनत्व जो वर्ष 2001 में 11.5 अमेरिकी डॉलर था, वर्ष 2019 में 78 अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया (जीवन- 58 अमेरिकी डॉलर और गैर-जीवन - 20 अमेरिकी डॉलर)।

स्वास्थ्य बीमा से संबंधित सरकारी पहल:

भारत में नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (National Health Claim Exchange) की क्या आवश्यकता है?

  • उच्च आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय: एक अध्ययन में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय को कम करने में स्वास्थ्य बीमा के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
    • आँकड़े अस्पताल में भर्ती के लिये निजी बीमा पर चिंताजनक निर्भरता को दर्शाते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में (प्रति 100,000 लोगों पर 73.5 मामले)।
    • NHCX के माध्यम से सुव्यवस्थित दावा प्रसंस्करण से दावा निपटान में तेज़ी आ सकती है, जिससे मरीज़ों पर वित्तीय बोझ कम हो सकता है।
      • इससे अधिकाधिक लोग स्वास्थ्य बीमा का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित होंगे, जिससे अंततः जेब-से-भुगतान पर निर्भरता कम होगी तथा वित्तीय सुरक्षा में सुधार होगा।
  • दावा प्रक्रिया में अकुशलता: विभिन्न बीमा कंपनियों की अलग-अलग आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं के कारण दावा निर्णयों में देरी तथा त्रुटियाँ होती हैं और दावा अनुमोदन या अस्वीकृति के पीछे मरीज़ों के लिये पारदर्शिता की कमी होती है।
  • अस्पतालों के लिये उच्च परिचालन लागत: वर्तमान में भारत में अस्पतालों को विभिन्न बीमा कंपनियों हेतु कई पोर्टलों के साथ-साथ दावे प्रस्तुत करने और ट्रैकिंग के लिये मैन्युअल प्रक्रियाओं के कारण प्रशासनिक बोझ का सामना करना पड़ता है।

नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (NHCX) को अपनाने में क्या बाधाएँ हैं?

  • डिजिटल को अपनाने में कमी: अस्पतालों और बीमा कंपनियों दोनों को NHCX प्लेटफॉर्म के साथ पूर्ण एकीकरण के लिये प्रोत्साहित करने हेतु निरंतर प्रयास तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
    • उदाहरण: अस्पतालों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे अस्पतालों, के पास NHCX प्लेटफॉर्म के साथ पूर्ण एकीकरण के लिये आवश्यक IT अवसंरचना या प्रशिक्षित स्टाफ का अभाव हो सकता है।
  • विश्वास और सहयोग का निर्माण: NHCX की सफलता के लिये कुशल सेवाओं तथा सुव्यवस्थित दावा प्रक्रियाओं के वितरण के माध्यम से पॉलिसीधारकों के बीच विश्वास का निर्माण करना।
    • उदाहरण: ऐतिहासिक रूप से, अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच संचार अंतराल तथा जटिलताओं के कारण दावा प्रसंस्करण में समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
  • डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने और सुरक्षा उल्लंघनों को रोकने के लिये मज़बूत उपाय आवश्यक हैं।
    • उदाहरण: संवेदनशील स्वास्थ्य और वित्तीय डेटा को संभालने वाले एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म के साथ, डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिये मज़बूत साइबर सुरक्षा उपाय महत्त्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष

NHCX केवल एक तकनीकी उन्नति नहीं है, यह भारत में स्वास्थ्य सेवा की सुलभता और सामर्थ्य में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। मौजूदा अक्षमताओं तथा जटिलताओं को संबोधित करके, NHCX में रोगियों, अस्पतालों और बीमा कंपनियों को एक स्वस्थ भविष्य (Healthier Future) के लिये सशक्त बनाने की क्षमता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. नेशनल हेल्थ क्लेम एक्सचेंज (NHCX) की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, भारत में इसे अपनाने में आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं?

  1. गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण से संबंधी जागरूकता उत्पन्न करना
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों तथा महिलाओं में रक्ताल्पता की घटना को कम करना।
  3. बाजरा, मोटा अनाज तथा अपरिष्कृत चावल के उपभोग को बढ़ाना ।
  4. मुर्गी के अंडों के उपभोग को बढ़ाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये  :

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1,2 और 3
(c) केवल 1,2 और 4
(d) केवल 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

Q. सुभेद्य वर्गों के लिये क्रियान्वित की जाने वाली कल्याण योजनाओं का निष्पादन उनके बारे में जागरूकता के न होने और नीति प्रक्रम की सभी अवस्थाओं पर उनके सक्रिय तौर पर सम्मिलित न होने के कारण इतना प्रभावी नहीं होता है। -चर्चा कीजिये।  (2019)

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