डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएँ

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लाभ, चुनौतियों व इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ:

पिछले कुछ वर्षों में यह देखना बेहद उत्साहजनक रहा है कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी और अभिनव उपकरणों का एकीकरण सार्वजनिक सेवा वितरण को बेहतर बना सकता है। इंडिया स्टैक और JAM (जन-धन, आधार और मोबाइल) के विकास को इसके उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

इसी प्रकार COVID-19 महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में तीव्र डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।

हाल ही में लॉन्च किया गया राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर प्रकाश डालता है।

इसके अतिरिक्त, दीर्घकालिक रोगों के इलाज की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है और वर्तमान में विश्वभर में डॉक्टरों की भारी कमी भी देखी गई है। ऐसे में डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएँ सभी के लिये स्वास्थ्य सेवा पहुँच के लक्ष्य को पूरा करने हेतु आवश्यक रूपांतरण को लागू करने में सहयोग कर सकती हैं।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन:

  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को साकार करने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) का शुभारंभ किया गया था।
  • NDHM एक पूर्ण डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र है। इस डिजिटल मंच को चार प्रमुख पहलों: हेल्थ आईडी, व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड, डिजी डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री से साथ लॉन्च किया जाएगा।
  • NDHM को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • NDHM राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के दिशानिर्देशों में से एक का सार्थक रूप है, जिसके तहत एक एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्रणाली विकसित करने के उद्देश्य से एक डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी इको-सिस्टम के निर्माण की परिकल्पना की गई थी।
  • यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो नेशनल हेल्थ स्टैक (National Health Stack-NHS) के सिद्धांतों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने हेतु डिजिटल उपकरणों के माध्यम से
  • स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न बिंदुओं (जैसे स्वास्थ्य सूचना प्रदाता , स्वास्थ्य सूचना उपयोगकर्त्ता और सहमति प्रबंधक आदि) को जोड़ना है।

डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ:

  • महामारी के प्रसार की निगरानी: स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से डेटा को एकत्र करने और उसे साझा करने की प्रक्रिया में काफी तेज़ी आएगी जिससे किसी संक्रामक बीमारी के मामले में एक बार डेटा उपलब्ध होने (रिकॉर्ड और विश्लेषण के लिये) के बाद, यह प्रणाली को बीमारी के संचरण तथा भू-स्थानिक कवरेज़ के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद कर सकती है।
    • डीप लर्निंग और क्लाउड इमरजेंसी रिस्पांस एल्गोरिदम जैसे डिजिटल टूल के अभिनव प्रयोग ने इस महामारी के दौरान अस्पतालों के आपातकालीन कक्ष में कार्य कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को काफी सहायता प्रदान की है।
  • रोगी के अनुकूल स्वास्थ्य प्रणाली: स्वास्थ्य प्रणाली के सभी पहलुओं के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों की तैनाती से इनमें होने वाली देरी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा और इसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी लागत में भी कमी आएगी।
    • स्वास्थ्य सेवा का डिजिटल रूपांतरण वर्तमान में संसाधनों की सीमित उपलब्धता, एक विविध जनसांख्यिकीय मिश्रण और चिकित्सा पहुँच बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता जैसे मुद्दों को संबोधित करने के प्रयासों की मुख्य प्राथमिकताओं में शामिल है।
  • निवारक देखभाल: उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ न केवल नई दवाओं के विकास में तेज़ी लाती हैं, परंतु कई मामलों में वे पूरी तरह से ही चिकित्सा की एक नई श्रेणी भी प्रस्तुत करती हैं, जैसे-डिजिटल थेरेप्यूटिक्स (DTx)।
    • DTx सॉफ्टवेयर-आधारित समाधान हैं जो जीवन शैली से संबंधित बीमारी या विकार का इलाज कर सकते हैं।
    • इस प्रकार, डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली का स्वास्थ्य देखभाल के वितरण पर एक व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है और यह उपचार से हटकर बचाव के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र की अगली चुनौती से निपटने का अवसर  प्रदान करती है।
  • नैदानिक परीक्षण में सहायक: डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र में डेटा की शक्ति का उपयोग किया जा सकता है जो नमूनों के विश्लेषण में सहायक होगा और इसी प्रकार छवियों का उपयोग बेहतर नैदानिक ​​निर्णय लेने के लिये किया जा सकता है।

संबंधित चुनौतियाँ:

  • ऑनलाइन धोखाधड़ी का जोखिम: स्वास्थ्य देखभाल की पहुँच का अभाव और स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास में हो रही कमी उन्हें अयोग्य चिकित्सा और ऑनलाइन चिकित्सा धोखाधड़ी की ओर मोड़ सकती है।
  • स्वास्थ्य साक्षरता का मुद्दा: डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बावजूद, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं का विकास स्वास्थ्य साक्षरता पर भी निर्भर है। 
    • कम स्वास्थ्य साक्षरता स्तर वाले लोग आम तौर पर स्वास्थ्य के संदर्भ में बदतर स्थिति में होते हैं, साथ ही वे डॉक्टरों के पास अधिक जाते हैं और रोकथाम तकनीकों का उपयोग कम करते हैं। व्यापक रूप से देखा जाए तो ऐसे लोग स्वास्थ्य प्रणाली के आर्थिक भार को बढ़ाते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यक्तिगत खर्च: पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल से डिजिटल स्वास्थ्य की ओर बढ़ने से पहले आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों के लिये अयोग्य चिकित्सकों द्वारा तर्कहीन उपचार प्राप्त करने, उपयुक्त चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच, दवा उपलब्ध कराने और उच्च लागत के निदान हेतु भुगतान की असमर्थता जैसी चुनौतियों को संबोधित करना आवाश्यक है।
    • जब तक बाह्य रोगी उपचार की लागतों को कम नहीं किया जाता है, तब तक किसी मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करने से पहले होने वाले भारी व्यक्तिगत खर्च की चुनौती बनी रहेगी।
  • डेटा का दुरुपयोग: डिजिटल हेल्थकेयर को अपनाने से पहले स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ सुरक्षात्मक उपायों को अपनाया जाना बहुत ही आवश्यक है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस क्षेत्र में डिजिटल डेटा का दुरुपयोग न होने पाए।

निष्कर्ष:

डिजिटल स्वास्थ्य सेवा की अवधारणा एक बड़ा वैचारिक बदलाव है कि किस प्रकार व्यापक बदलावकारी प्रौद्योगिकियाँ, जो देखभाल प्रदाता तथा मरीज़ दोनों को डिजिटल एवं वस्तुनिष्ठ डेटा की सुलभ पहुँच प्रदान करने के माध्यम से साझा निर्णय लेने के साथ एक समान स्तर के डॉक्टर-रोगी संबंध व स्वास्थ्य देखभाल के लोकतंत्रीकरण की ओर ले जाता है।

अभ्यास प्रश्न: डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की अवधारणा स्वास्थ्य देखभाल के लोकतंत्रीकरण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। चर्चा कीजिये।