राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार | 07 Dec 2021
प्रिलिम्स के लिये:BEE, राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस,NECA, ग्रीनहाउस गैस मेन्स के लिये:ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण से संबंधित पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिये ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस (14 दिसंबर) के अवसर पर विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, संस्थानों और प्रतिष्ठानों को 31 वें राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (NECA) से सम्मानित किया।
- एक नए पुरस्कार - राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (NEEIA) को भी संस्थागत रूप दिया गया है।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE)
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो(BEE), विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊर्जा आधिक्य को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ विकासशील नीतियों और रणनीतियों विकसित करने में सहायता करता है।
- BEE अपने कार्यों को करने में मौजूदा संसाधनों एवं बुनियादी ढाँचे की पहचान तथा उपयोग करने के लिये नामित उपभोक्ताओं, एजेंसियों व अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 1991 में एक योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य ऐसे उद्योगों और प्रतिष्ठानों को पुरस्कृत कर राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करना था, जिन्होंने अपने उत्पादन को बनाए रखते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने के लिये विशेष प्रयास किये हैं।
- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार पहली बार 14 दिसंबर, 1991 को दिया गया था, तभी से 14 दिसंबर को 'राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस' के रूप में घोषित किया गया है।
- यह पुरस्कार उद्योगों, प्रतिष्ठानों और संस्थानों में कुल 56 उप-क्षेत्रों के तहत ऊर्जा दक्षता उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।
- विद्युत मंत्रालय ने वर्ष 1991 में एक योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य ऐसे उद्योगों और प्रतिष्ठानों को पुरस्कृत कर राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करना था, जिन्होंने अपने उत्पादन को बनाए रखते हुए ऊर्जा की खपत को कम करने के लिये विशेष प्रयास किये हैं।
- भारत में ऊर्जा दक्षता:
- ऊर्जा दक्षता का अर्थ है किसी कार्य को करने के लिये कम ऊर्जा का उपयोग करना अर्थात् ऊर्जा की बर्बादी को समाप्त करना। ऊर्जा दक्षता कई तरह के लाभ प्रदान करती है जैसे- ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करना, ऊर्जा आयात की मांग को कम करना और घरेलू तथा अर्थव्यवस्था-व्यापी स्तर पर लागत को कम करना।
- भारत का ऊर्जा क्षेत्र सरकार की हाल की विकासात्मक महत्त्वाकांक्षाओं के साथ परिवर्तन के लिये तैयार है, उदाहरण के लिये:
- वर्ष 2022 तक अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 175 गीगावाट, सभी के लिये 24X7 बिजली, वर्ष 2022 तक सभी के लिये आवास, 100 स्मार्ट सिटी मिशन, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना, रेलवे क्षेत्र का विद्युतीकरण, घरों का 100% विद्युतीकरण, कृषि पंप सेटों का सौरीकरण (Solarisation) और स्वच्छ भोजन पकाने की स्थितियों को बढ़ावा देना।
- भारत महत्त्वाकांक्षी ऊर्जा दक्षता नीतियों के कार्यान्वयन के साथ वर्ष 2040 तक बिजली उत्पादन हेतु 300 गीगावाट के नए निर्माण से बच सकता है।
- ऊर्जा दक्षता उपायों के सफल कार्यान्वयन ने वर्ष 2017-18 के दौरान देश की कुल बिजली खपत में 7.14% की बिजली बचत और 108.28 मिलियन टन CO2 के उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान दिया।
- ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा संरक्षण से संबंधित पहलें:
- भारतीय पहलें:
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001:
- यह अधिनियम ऊर्जा संरक्षण हेतु कई कार्यों के लिये नियामकीय अधिदेश प्रदान करता है जैसे: उपकरणों के मानक निर्धारण और उनकी लेबलिंग; वाणिज्यिक भवनों के लिये ऊर्जा संरक्षण भवन कोड; ऊर्जा गहन उद्योगों के लिये ऊर्जा की खपत के मानदंड।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना:
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (Perform, Acheive and Trade-PAT) के तहत ऊर्जा बचत के प्रमाणीकरण के माध्यम से ऊर्जा गहन उद्योगों की ऊर्जा दक्षता सुधार में लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये एक संबद्ध बाज़ार आधारित तंत्र के साथ व्यापार किया जा सकता है।
- मानक और लेबलिंग:
- यह योजना वर्ष 2006 में लॉन्च की गई थी और वर्तमान में रूम एयर कंडीशनर (फिक्स्ड/वेरिएबल स्पीड), सीलिंग फैन, रंगीन टेलीविज़न, कंप्यूटर, डायरेक्ट कूल रेफ्रिजरेटर आदि उपकरणों पर लागू होती है।
- ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ECBC):
- इसे वर्ष 2007 में नए वाणिज्यिक भवनों के लिये विकसित किया गया था।
- यह 100kW (किलोवाट) के कनेक्टेड लोड या 120 KVA (किलोवोल्ट-एम्पीयर) और उससे अधिक की अनुबंध मांग वाले नए वाणिज्यिक भवनों के लिये न्यूनतम ऊर्जा मानक निर्धारित करता है।
- मांग पक्ष प्रबंधन (DSM):
- DSM आशय इलेक्ट्रिक मीटर की मांग या ग्राहक-पक्ष को प्रभावित करने वाले उपायों के चयन, नियोजन और उनके कार्यान्वयन से है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001:
- वैश्विक पहलें:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA):
- IEA एक सुरक्षित और स्थायी भविष्य के लिये ऊर्जा नीतियों को आकार एवं दिशा प्रदान करने हेतु विश्व भर के देशों के साथ काम करती है।
- सस्टेनेबल एनर्जी फॉर आल (SEforALL):
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो जलवायु पर पेरिस समझौते के अनुरूप सतत विकास लक्ष्य-7 की उपलब्धि की दिशा में तेज़ी से कार्रवाई करने के लिये संयुक्त राष्ट्र और सरकार के नेताओं , निजी क्षेत्र, वित्तीय संस्थानों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी में काम करता है।
- पेरिस समझौता (Paris Agreement):
- यह जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका लक्ष्य पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से कम, अधिमानतः 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है।
- मिशन इनोवेशन (Mission Innovation-MI):
- यह स्वच्छ ऊर्जा नवाचार में तेज़ी लाने के लिये 24 देशों और यूरोपीय आयोग (यूरोपीय संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA):
- भारतीय पहलें:
- ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिये सुझाव:
- ऊर्जा उपयोग व्यवहार में परिवर्तन:
- जीवन को आसान बनाने वाले उपकरणों के साथ आरामदायक वातानुकूलित स्थानों में रहने और काम करने की नागरिकों की उच्च महत्त्वाकांक्षाओं से ऊर्जा खपत में कई गुना वृद्धि होगी।
- भविष्य में ऊर्जा की मांग को रोकने के लिये ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के माध्यम से ऊर्जा उपयोग व्यवहार के तरीकों को बदलने हेतु एक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
- शून्य ऊर्जा भवन कार्यक्रम पर अधिक ध्यानाकर्षण:
- भारत के लिये निर्माण क्षेत्र के सभी क्षेत्रों में लगभग शून्य ऊर्जा भवन (NZEB) कार्यक्रम के विस्तार पर ज़ोर देना महत्त्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पारंपरिक भवनों के लिये प्रति इकाई क्षेत्र में कम ऊर्जा उपयोग प्राप्त करने हेतु एक ढाँचा विकसित करना है।
- विद्युत अधिनियम में संशोधन:
- इसके अलावा भारत के विद्युत् क्षेत्र में विद्युत् अधिनियम के संशोधन के माध्यम से कई नीतिगत स्तर के बदलाव के साथ सुधार की उम्मीद है।
- स्मार्ट मीटर की स्थापना:
- कम बिलिंग क्षमता के कारण राजस्व हानि, भारी संचरण और वितरण हानि, विद्युत् खपत की निगरानी आदि जैसे मुद्दों के समाधान के रूप में प्रमुख पहलों में से एक स्मार्ट मीटर की स्थापना है।
- तेज़ गति से स्मार्ट मीटरों की स्थापना से भारत को बड़े पैमाने पर ऊर्जा दक्षता हस्तक्षेपों को सुविधाजनक बनाने में मदद मिल सकती है।
- ऊर्जा दक्षता हस्तक्षेप:
- ऊर्जा दक्ष जीवनशैली अपनाने से भारत की ऊर्जा प्रणाली में बेहतरी के लिये परिवर्तन की दिशा में सकारात्मक प्रोत्साहन मिलेगा। कम कार्बन संक्रमण प्राप्त करने हेतु ऊर्जा दक्षता हस्तक्षेप सबसे अधिक लागत प्रभावी साधनों में से एक है।
- ऊर्जा उपयोग व्यवहार में परिवर्तन: