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सरकार द्वारा 2022 तक 175 गीगावाट ऊर्जा अर्जित करने हेतु किये गए प्रयास

  • 28 Dec 2017
  • 28 min read

चर्चा में क्यों?
नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy - MNRE) ने ‘नये भारत’ के निर्माण के लिये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के एक स्‍वच्‍छ ऊर्जा वाले भविष्‍य के स्‍वप्‍न को साकार करने के संदर्भ में कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस क्रम में भारत सरकार ने विश्‍व का सबसे बड़ा नवीकरणीय क्षमता विस्‍तार कार्यक्रम आरंभ किया है। 

वर्तमान स्थिति

  • ग्रिड कनेक्‍टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 27.07 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का क्षमता संवर्द्धन किया गया है, जिसमें सौर ऊर्जा से 12.87 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 11.70 गीगावाट, लघु पनबिजली से 0.59 गीगावाट तथा जैव ऊर्जा से 0.79 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल किया गया है। 
  • स्‍वच्‍छ ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि दर से उत्‍साहित होकर भारत सरकार ने लक्षित राष्‍ट्रीय निर्धारित योगदान (Intended Nationally Determined Contribution - INDC) पर संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन संरचना सम्‍मेलन (United Nations Frame Work Convention on Climate Change) के समक्ष अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
  • इस परिवेदन में भारत द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि वह प्रौद्योगिकी के अंतरण एवं हरित जलवायु निधि समेत निम्‍न लागत अंतरराष्‍ट्रीय वित्‍त की सहायता से 2030 तक गैर-फॉसिल ईंधन आधारित ऊर्जा  संसाधनों से 40 प्रतिशत संचयी बिजली ऊर्जा क्षमता (cumulative Electric power capacity) अर्जित करेगा। 
  • इसी बात को ध्यान में रखते हुए 30 नवंबर, 2017 तक देश में सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं से 863.92 मेगावाट समेत 16611.73 मेगावाट की सकल क्षमता के साथ सौर ऊर्जा परियोजनाएँ संस्‍थापित की गई।
  • सरकार सृजन आधारित प्रोत्‍साहनों (generation-based incentives - GBIs), पूंजी एवं ब्‍याज सब्सिडियों, व्‍यावहार्य अंतराल निधियन viability gap funding, रियायती वित्‍त concessional finance, वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों जैसे विभिन्‍न प्रोत्‍साहनों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।

राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन

  • राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (National Solar Mission)  का उद्देश्‍य फॉसिल आधारित ऊर्जा विकल्‍पों के साथ सौर ऊर्जा को प्रतिस्‍पर्धी बनाने के अंतिम उद्देश्‍य के साथ बिजली सृजन एवं अन्‍य उपयोगों के लिये सौर ऊर्जा के विकास एवं उपयोग को बढ़ावा देना है। 
  • राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन का लक्ष्‍य दीर्घकालिक नीति, बड़े स्‍तर पर परिनियोजन लक्ष्‍यों, महत्त्‍वाकांक्षी अनुसंधान एवं विकास तथा महत्त्वपूर्ण कच्‍चे माल, अवयवों तथा उत्‍पादों के घरेलू उत्‍पादन के माध्‍यम से देश में सौर ऊर्जा सृजन की लागत को कम करना है। 
  • इसका परिणाम यह है कि फॉसिल ईंधन आधारित सृजन की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा निरंतर लागत प्रतिस्‍पर्धी बनती जा रही है।
  • वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिये पिछले  दो वर्षों के दौरान सोलर पार्क, सोलर रूफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के ऊपर सीपीयू सोलर पीवी पॉवर प्‍लांट हेतु सौर योजना, सोलर पंप, सोलर रूफटॉप आदि के क्रियान्‍वयन के लिये कई बड़े कार्यक्रम/योजनाएँ आरंभ की गई हैं।

वित्तीय समर्थन हेतु किये गए नीतिगत उपाय 

  • वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिये नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्‍न योजनाओं को वित्‍तीय समर्थन उपलब्‍ध कराने के अतिरिक्‍त विभिन्‍न नीतिगत उपाय आरंभ करने के साथ-साथ विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। 
  • इनमें नवीकरणीय खरीद बाध्‍यता (Renewable Purchase Obligation - RPO) के मज़बूत क्रियान्‍वयन और नवीकरणीय सृजन बाध्‍यता (Renewable Generation Obligation - RGO) हेतु बिजली अधिनियम एवं टैरिफ नीति में अनुकूल संशोधन करना; 
  • हरित ऊर्जा गलियारा परियोजना के माध्‍यम से बिजली पारेषण नेटवर्क का विकास करना; 
  • टैरिफ आधारित प्रतिस्‍पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्‍यम से सौर एवं पवन ऊर्जा की खरीद के लिये दिशा-निर्देश जारी करना, राष्‍ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अधिसूचित किया जाना, पवन ऊर्जा परियोजनाओं को फिर से मज़बूत बनाने, सोलर फोटोवोल्‍टेक सिस्‍टम्‍स/डिवाइसिस की तैनाती हेतु मानक निर्धारित करना, अंतरराज्‍यीय पारेषण प्रणाली प्रभारों तथा मार्च, 2019 तक कमीशन की जाने वाली परियोजनाओं के लिये सौर तथा पवन बिजली के अंत:राज्‍यीय बिक्री से होने वाले नुकसान की माफी के लिये आदेश जारी करना; 
  • रूफटॉप परियोजनाओं के लिये बड़े सरकारी परिसरों/भवनों की पहचान करना; 
  • मिशन वक्‍तव्‍य एवं स्‍मार्ट सिटी के विकास के लिये दिशा-निर्देशों के तहत रूफटॉप सोलर एवं 10 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के प्रावधान को अनिवार्य बनाना, नए निर्माण या उच्‍चतर फर्श क्षेत्र अनुपात के लिये रूफटॉप सोलर के अनिवार्य प्रावधान हेतु भवन उपनियमों में संशोधन करना;
  • सौर परियोजनाओं के लिये अवसंरचना दर्ज़ा प्रदान करना; 
  • कर मुक्‍त सोलर बॉण्ड जारी करना तथा दीर्घकालिक ऋण उपलब्‍ध कराना; 
  • बैंकों/एनएचबी द्वारा गृह ऋण के हिस्‍से के रूप में रूफटॉप सोलर का निर्माण करना; 
  • वितरण कंपनियों को प्रोत्‍साहित करने तथा नेट-मीटरिंग को अनिवार्य बनाने के लिये समेकित बिजली विकास योजना (Integrated Power Development Scheme - IPDS) में उपायों को शामिल करना तथा इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिये हरित जलवायु निधि के रूप में द्विपक्षीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय दानकर्त्ताओं से फंड जुटाना आदि शामिल हैं।

नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की अन्‍य महत्त्वपूर्ण पहलें तथा उपलब्धियाँ 

नवीकरणीय ऊर्जा की अनुमानित क्षमता

  • स्‍वदेशी नवीकरणीय संसाधनों के बढ़ते उपयोग से महँगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर भारत की निर्भरता में कमी आने की उम्‍मीद है। 
  • लगभग 3 प्रतिशत बंजर भूमि के अनुमान के साथ भारत के पास 1096 गीगावाट की वाणिज्यिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अनुमानित अक्षय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें 302 गीगावॉट पवन ऊर्जा,  21 गीगावाट लघु हाइड्रो ऊर्जा, 25 गीगावाट जैव ऊर्जा और 750 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है।

लक्ष्‍य

  • भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसमें से 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से तथा 5 गीगावाट लघु पनबिजली से शामिल है। 
  • वर्ष 2017-18 के लिये 14550 मेगावाट ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा (पवन 4000 मेगावाट,  सौर 10000 मेगावाट, लघु पनबिजली ऊर्जा 200 मेगावाट, जैव ऊर्जा 340 मेगावाट एवं अवशिष्‍ट से ऊर्जा 10 मेगावाट) निर्धारित किया गया है।

उपलब्धियाँ

हरित ऊर्जा क्षमता संवर्द्धन (Green Power Capacity Addition)

  •  इस वर्ष जनवरी 2017 से नवम्‍बर 2017 तक देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से कुल 11788 मेगावाट ग्रीन कनेक्‍टेड बिजली सृजन क्षमता प्राप्त की गई।

उपलब्धियों की क्षेत्र-वार विशेषताएँ

  • वर्ष 2016-17 में अब तक की सबसे अधिक पनबिजली क्षमता (5502.39 मेगावाट) का सृजन किया गया, जो निर्धारित लक्ष्‍य की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान में पवन ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता के लिहाज़ से भारत विश्व में चीन, अमरिका एवं जर्मनी के बाद चौथे स्‍थान पर है।
  • 2017-18 में अभी तक की सबसे अधिक सौर ऊर्जा क्षमता (5525.98 मेगावाट) का सृजन किया गया।
  • पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान देश में अभी तक (30.11.2017 तक) 1.42 लाख सोलर पम्‍प संस्‍थापित किये जा चुके हैं।
  • लघु पनबिजली संयंत्रों से पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान ग्रिड कनेक्‍टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत 0.59 गीगावाट की क्षमता का सृजन किया गया है।
  • बायोमास दहन, बायोमास गैसीकरण एवं बैगेस सहसृजन से संस्‍थापनों समेत बायोमास बिजली की संचित उपलब्धि 8181.70 मेगावाट तक पहुँच गई है।
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि राष्‍ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (National Biogas and Manure Management Programme - NBMMP) के तहत मुख्‍य रूप से ग्रामीण एवं अर्द्धशहरी परिवारों के लिये पारिवारिक प्रकार के बायोगैस संयंत्र स्‍थापित किये जाते हैं। 
  • वर्ष 2017-18 के दौरान 1.1 लाख बायोगैस संयंत्रों के लक्ष्‍य के मुकाबले 0.15 लाख बायोगैस प्‍लांट की स्‍थापना की गई है, जिससे 30.11.2017 तक कुल संचयी उपलब्धि 49.8 लाख बायोगैस संयंत्र तक पहुँच गई है।

मंत्रालय की प्रमुख पहलें

सौर ऊर्जा

  • राष्‍ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा क्षमता स्‍थापित करने के लक्ष्‍य को 20 गीगावाट से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 100 गीगावाट कर दिया गया है। वर्ष 2017-18 के लिये 10,000 मेगावाट का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसकी बदौलत 31 मार्च, 2018 तक संचयी क्षमता 20 गीगावाट (जीडब्‍ल्‍यू) से अधिक हो जाएगी।
  • ‘सोलर पार्कों और अल्‍ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास’ (Development of Solar Parks and Ultra Mega Solar Power Projects) से जुड़ी योजना की क्षमता 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट कर दी गई है। इसके अतिरिक्त 21 राज्‍यों में कुल मिलाकर 20,514 मेगावाट क्षमता के 35 सोलर पार्कों को मंजू़री दी गई है।
  • आंध्र प्रदेश में 1000 मेगावाट क्षमता के कुरनूल सोलर पार्क को पहले ही चालू किया जा चुका है। एक ही स्‍थान पर 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के चालू हो जाने से कुरनूल सोलर पार्क अब दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क बन गया है।
  • राजस्‍थान में 650 मेगावाट क्षमता के भादला (चरण-II) सोलर पार्क को भी चालू कर दिया गया है।
  • मध्‍य प्रदेश में 250 मेगावाट क्षमता के नीमच मंदसौर सोलर पार्क (500 मेगावाट) के चरण-I को चालू कर दिया गया है।
  • सोलर पार्क योजना के तहत क्षमता को 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट करने के लिये संबंधित दिशा-निर्देशों के जारी होने के बाद इस साल राजस्‍थान (1000 मेगावाट), गुजरा‍त (500 मेगावाट) और मिज़ोरम (23 मेगावाट) में 3 नए सोलर पार्कों को मंजू़री दी गई है। 
  • 30 नवम्‍बर, 2017 तक देश भर में 41.80 लाख से भी अधिक सोलर लाइटिंग प्रणालियाँ, 1.42 लाख सोलर पम्‍प और 181.52 एमडब्‍ल्‍यूईक्‍यू के पावर पैक स्‍थापित किये गए हैं। 
  • इसके अतिरिक्त मंत्रालय द्वारा कई अन्य योजनाएँ जैसे - (i) रक्षा योजना (ii) केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (Central Public Sector Undertakings - CPSUs) की योजना (iii) मिश्रित योजना (iv) कैनाल बैंक/कैनाल टॉप स्‍कीम (Canal Bank/ Canal Top scheme) (v) वीजीएफ योजना (vi) सोलर पार्क योजना (vii) सोलर रूफटॉप्स योजना आदि को शुरू/लांच किया गया है।

सोलर रूफटॉप (Solar Rooftop) योजना

  • इसके अलावा मंत्रालय द्वारा ग्रिड कनेक्‍टेड रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रमों का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिनके तहत आवासीय, सामाजिक, सरकारी/पीएसयू और संस्‍थागत क्षेत्रों में सीएफए/प्रोत्‍साहन के ज़रिये 2100 मेगावाट की क्षमता स्‍थापित की जा रही है।
  • इस कार्यक्रम के तहत सामान्‍य श्रेणी वाले राज्‍यों में आवासीय, संस्‍थागत एवं सामाजिक क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं के लिये बेंचमार्क लागत के 30 प्रतिशत तक और विशेष श्रेणी वाले राज्‍यों में बेंचमार्क लागत के 70 प्रतिशत तक केंद्रीय वित्‍त सहायता मुहैया कराई जा रही है। 
  • विश्‍व बैंक,  एशियाई विकास बैंक और नव विकास बैंक की ओर से सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिये भारतीय स्‍टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक को लगभग 1375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रियायती ऋण उपलब्‍ध कराया गया है।
  • एक योग्‍य तकनीकी श्रमबल तैयार करने के लिये सूर्यमित्र कार्यक्रम (Suryamitra programme) शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत 11,000 से भी अधिक व्‍यक्तियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
  • साथ ही परियोजना मंजू़री में तेज़ी लाने, रिपोर्ट पेश करने और आरटीएस परियोजनाओं की निगरानी के लिये एक ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म भी सृजित किया गया है।
  • खोज क्षमता और पार‍दर्शिता के लिये इसरो के सहयोग से आरटीएस परियोजनाओं की भौगोलिक टैगिग आरंभ की गई है।
  • आवेदन प्रस्‍तुत करने और जागरुकता हेतु लाभार्थियों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये मोबाइल एप अरुण (ARUN - Atal Rooftop Solar User Navigator) लॉन्च करना।

पवन ऊर्जा

  • वर्ष 2016-17 के दौरान पवन ऊर्जा में 5.5 गीगावाट की क्षमता जोड़ी गई, जो देश में अब तक एक वर्ष में जोड़ी गई क्षमता में सबसे अधिक है। देश में वर्तमान स्‍थापित पवन ऊर्जा लगभग 32.75 गीगावाट है। पवन ऊर्जा क्षमता की स्‍थापना में भारत विश्‍व में चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथे स्‍थान पर है।
  • वर्तमान में देश में पवन टर्बाइन के 53 मॉडल बनाने वाले 20 अनुमोदित मान्‍यता प्राप्‍त निर्माता हैं और प्रत्‍येक टर्बाइन की क्षमता 3 मेगावाट तक है। 
  • भारत में बनाई जाने वाली पवन टर्बाइन विश्‍व गुणवत्‍ता मानकों के अनुरूप है और यूरोप, अमेरिका तथा अन्‍य देशों से आयातित टर्बाइनों में सबसे कम लागत की है।
  • देश की पवन ऊर्जा क्षमता का राष्‍ट्रीय पवन ऊर्जा संस्‍थान (National Institute for Wind Energy - NIWE) द्वारा पुनर्मूल्‍यांकन किया गया है। 100 मीटर हब ऊँचाई पर इसकी क्षमता का अनुमान 302 गीगावाट लगाया गया है। 
  • भारत की तटीय रेखा काफी लंबी है, जहाँ तटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएँ बनाने की अच्‍छी संभावना मौजूद है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा राष्‍ट्रीय तटीय पवन ऊर्जा नीति को स्‍वीकृति प्रदान की गई, जिसे 6 अक्‍टूबर 2015 को अधिसूचित किया गया है। 
  • इसके लिये गुजरात और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में कुछ खंडों की पहचान की गई तथा पवन संसाधन आँकड़े एकत्रित करने के लिये गुजरात तट पर पहला एलआईडीएआर (LiDAR) स्‍थापित किया गया और चालू किया गया।
  • 120 मीटर की ऊँचाई पर पवन संसाधनों के लिये मेसो मानदंड का मानचित्र (Meso scale map) तैयार किया गया है। ऐसा इसलिये किया गया है, क्‍योंकि अधिकतर टर्बाइनों को 100 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्‍थापित किया जाता है। 
  • अपतटीय पवन ऊर्जा के लिये भी मेसो मापदंड का मानचित्र बनाया गया। हालाँकि इसके बावजूद इनके वास्‍तविक उपयोग को विशिष्‍ट स्‍थलों के मानदंड से मापा जाएगा।
  • साथ ही विद्युत अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत पवन की नीलामी के लिये बोली लगाने संबंधी दिशा-निर्देशों के लिये ऊर्जा मंत्रालय को दिसंबर में अधिसूचित किया गया।

छोटी पनबिजली परियोजना (Small Hydro Power)

  • ग्रीड कनेक्टेड नवीकरणीय विद्युत के अंतर्गत छोटी पनबिजली परियोजना की 0.59 गीगावाट से पिछले ढाई वर्षों में 27.07 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि हुई है।

बायोमास पावर  (Biomass Power)

  • 30 नवंबर, 2017 तक  कुल 8181.70 मेगावाट बायोमास ऊर्जा उपलब्‍ध हुई है। बायोमास ऊर्जा में बायोमास दहन, बायोमास गैसीकरण आदि को शामिल किया गया है।

परिवार के लिये बायोगैस संयंत्र

  • राष्‍ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (National Biogas and Manure Management Programme - NBMMP) के अंतर्गत ग्रामीण और अर्द्धशहरी घरों के लिये फैमिली साइज़ बायोगैस संयंत्र स्‍थापित किये गए हैं। 
  • वर्ष 2017-18 के दौरान 1.10 लाख बायोगैस संयंत्रों लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया था, जिसमें से 0.15 लाख बायोगैस संयंत्र लगाए जा चुके हैं। इस प्रकार वर्तमान में कुल बायोगैस संयंत्रों की संख्‍या 49.8 लाख हो गई है।

ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा उपकरण  (Off-Grid Solar Applications)

  • 30 नवंबर, 2017 तक 41.80 लाख से अधिक सौर ऊर्जा प्रकाश उपकरण, 1.42 लाख सौर ऊर्जा पम्‍प और 181.52 MWeq के पावर पैक देश में स्‍थापित किये गए हैं। 
  • पिछले साढ़े तीन वर्षों  में 18.47 सौर ऊर्जा प्रकाश उपकरण, 1.31 लाख सौर ऊर्जा पम्‍प और 96.39 MWeq के पावर पैक स्‍थापित किये गए हैं।

 नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये शुल्‍क नीति में संशोधन

  • मार्च 2022 तक सौर ऊर्जा आरपीओ में 8 प्रतिशत तक की वृद्धि।
  • निर्धारित दिनांक के बाद नए कोयला/लिग्नाइट आधारित थर्मल प्लांट के लिये आरजीओ की शुरुआत।
  • नवीकरणीय ऊर्जा के भंडारण के माध्यम से सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा सुनिश्चित करना।
  • सौर और पवन ऊर्जा पर अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन और नुकसान पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा।

भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी 

  • भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (Indian Renewable Energy Development Agency - IREDA) को मिनी रत्न का दर्ज़ा दिया गया है। 
  • आईआरईडीए की अधिकृत पूंजी 6000 करोड़ रुपए से बढ़कर 1000 करोड़ रुपए हो गई है।

हरित ऊर्जा गलियारा  (Green Energy Corridor)

  • अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली (Intra-State Transmission System) आठ नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों (तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश) द्वारा लागू की जा रही है। इस परियोजना की कुल लागत 10141 करोड़ रुपए है। 
  • इस परियोजना के अंतर्गत 20 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों की है, जबकि भारत सरकार की ओर से 40 फीसदी धनराशि का अनुदान दिया जा रहा है। 

अन्य महत्त्वपूर्ण पहलें

  • भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने फ्राँस के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance - ISA) के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
  • इस संगठन में 121 सदस्य देश शामिल हैं। इस संगठन में ऐसे देश शामिल हैं जो मकर और कर्क रेखा पर अवस्थित हैं। अभी तक 47 देशों द्वारा इस फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। 
  • इसका मुख्यालय भारत के गुरुग्राम में है।
  • सौर ऊर्जा आधारित बिजली जनरेटर, बायोमास आधारित बिजली जनरेटर, पवन ऊर्जा प्रणाली, सूक्ष्म जलविद्युत संयंत्रों और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपयोग के लिये उधारकर्त्ताओं को 15 करोड़ रुपए तक बैंक से ऋण दिया जाएगा। 
  • इसमें स्ट्रीट लाइट सिस्टम और दूरदराज़ के गाँवों में विद्युतीकरण भी शामिल है। व्यक्तिगत परिवारों के लिये ऋण सीमा 10 लाख प्रति उधारकर्त्ता तय की गई है।
  • विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और वितरण परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) की अनुमति दी गई है।
  • पाँच राज्यों में सौर आधारित स्ट्रीट लाइटों के लिये अटल ज्योति योजना प्रारंभ की गई है।
  • विशेष सौर उद्यानों की स्थापना की जा रही है।
  • सौर रूफटॉप परियोजनाओं के लिये सरकारी परिसरों और इमारतों को चिन्हित किया गया है।
  • स्मार्ट शहरों के विकास के लिये दिशा-निर्देशों में रूफटॉप और 10 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का प्रावधान किया गया है।
  • नए निर्माण या उच्च एफएआर के प्रावधानों के लिये इमारत कानून में संशोधन किया गया है।
  • सौर परियोजनाओं को ढाँचागत विकास का दर्ज़ा प्रदान किया गया है।
  • शुल्क मुक्त सौर बांड की शुरुआत की गई है।
  • बैंकों और एनबीएच द्वारा छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना को हाउसिंग ऋण का हिस्सा बनाया गया है।
  • द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं से धन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये हरित जलवायु कोष से भी धन प्राप्त किया जा रहा है।
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