नई चेतना-पहल बदलाव की | 29 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:नई चेतना अभियान, कुदुम्बश्री मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मेन्स के लिये:नई चेतना अभियान, कुदुम्बश्री मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका, लिंग आधारित हिंसा के कारण, लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के उपाय |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शहरी विकास मंत्रालय ने "नई चेतना-पहल बदलाव की" लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ समुदाय-नेतृत्व वाला राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है।
- केरल ने भी इसी प्रकार की पहल कुदुम्बश्री मिशन के तहत अभियान शुरू किया।
नई चेतना-पहल बदलाव की, अभियान
- परिचय:
- यह चार सप्ताह का अभियान है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को हिंसा को पहचानने और रोकने एवं उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिये तैयार करना है।
- गतिविधियाँ 'लैंगिक समानता और लिंग आधारित हिंसा' के विषय पर केंद्रित होंगी।
- लक्ष्य:
- यह एक वार्षिक अभियान होगा जो प्रत्येक वर्ष विशिष्ट लैंगिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस वर्ष अभियान का लक्ष्य लिंग आधारित हिंसा है।
- कार्यान्वयन एजेंसी:
- यह अभियान सभी राज्यों द्वारा नागरिक समाज संगठनों (Civil Society Organisations- CSO) के भागीदारों के सहयोग से लागू किया जाएगा और राज्यों, ज़िलों एवं ब्लॉकों सहित सभी स्तरों पर सक्रिय रूप से क्रियान्वित किया जाएगा, जिसमें विस्तारित समुदाय के साथ सामुदायिक संस्थानों को शामिल किया जाएगा।।
- महत्त्व:
- अभियान हिंसा के मुद्दों को स्वीकार करने, पहचानने और संबोधित करने हेतु ठोस प्रयास करने के लिये सभी संबंधित विभागों एवं हितधारकों को एक साथ लाएगा।
- अभियान हिंसा के मुद्दों को स्वीकार करने, पहचानने और संबोधित करने हेतु ठोस प्रयास करने के लिये सभी संबंधित विभागों एवं हितधारकों को एक साथ लाएगा।
कुदुम्बश्री मिशन
- यह केरल सरकार के राज्य गरीबी उन्मूलन मिशन (State Poverty Eradication Mission- SPEM) द्वारा कार्यान्वित गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम है।
- मलयालम भाषा में कुदुम्बश्री नाम का अर्थ है 'परिवार की समृद्धि'। यह नाम 'कुदुम्बश्री मिशन' या SPEM के साथ-साथ कुदुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क का प्रतिनिधित्त्व करता है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
- परिचय:
- इसे "दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana-National Rural Livelihood Mission- DAY-NRLM)" के रूप में जाना जाता है।
- यह जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
- सरकार ने प्रोफेसर राधाकृष्ण समिति की सिफारिश को स्वीकार कर वित्त वर्ष 2010-11 में "स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY)" को "राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)" में पुनर्गठित किया।
- उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य देश में ग्रामीण गरीब परिवारों हेतु कौशल विकास और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
- उप- योजनाएँ
- महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना:
- कृषि-पारिस्थितिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये जो महिला किसानों की आय में वृद्धि करते हैं और उनकी इनपुट लागत और जोखिम को कम करते हैं, यह मिशन महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना (MKSP) को लागू कर रहा है।।
- स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम और आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना:
- यह अपनी गैर-कृषि आजीविका रणनीति के भाग के रूप में DAY-NRLM स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) और आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY) कार्यान्वित कर रहा है।
- SVEP का उद्देश्य स्थानीय उद्यमों की स्थापना के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमियों का समर्थन करना है।
- AGEY को अगस्त 2017 में शुरू किया गया था, जो दूरदराज़ के ग्रामीण गाँवों को जोड़ने के लिये सुरक्षित, सस्ती और सामुदायिक निगरानी वाली ग्रामीण परिवहन सेवाएँ प्रदान करता है।
- यह अपनी गैर-कृषि आजीविका रणनीति के भाग के रूप में DAY-NRLM स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) और आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY) कार्यान्वित कर रहा है।
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजनाा:
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDUGKY) का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं के प्लेसमेंट से जुड़े कौशल का निर्माण करना और उन्हें अर्थव्यवस्था के अपेक्षाकृत उच्च मजदूरी वाले रोजगार क्षेत्रों में रखना है।
- ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान:
- 31 बैंकों और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में, ग्रामीण युवाओं को लाभकारी स्वरोजगार लेने के लिये कुशल बनाने के लिये ग्रामीण स्वरोजगार संस्थानों (RSETIs) को सहायता प्रदान कर रहा है।
- महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना:
लिंग आधारित हिंसा के प्रमुख कारण:
- सामाजिक/राजनीतिक/सांस्कृतिक कारक:
- भेदभावपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक या धार्मिक मानदंड और प्रथाएंँ महिलाओं और लड़कियों को हाशिए पर डालती हैं और उनके अधिकारों का सम्मान करने में विफल रहती हैं।।
- लैंगिक रूढ़ियों का उपयोग अक्सर महिलाओं के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिये किया जाता है। सांस्कृतिक मानदंड अक्सर यह तय करते हैं कि पुरुष आक्रामक, नियंत्रित और प्रमुख हैं, जबकि महिलाएंँ विनम्र, अधीन हैं, और प्रदाताओं के रूप में पुरुषों पर भरोसा करती हैं। ये मानदंड दुरुपयोग की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं।
- परिवार, सामाजिक और सांप्रदायिक संरचनाओं का पतन और परिवार के भीतर बाधित भूमिकाएं अक्सर महिलाओं और लड़कियों को जोखिम में डालती हैं और सुरक्षा और निवारण के लिये तंत्र और अवसरों को सीमित करती हैं।
- व्यक्तिगत बाधाएँ:
- सामाजिक कलंक, अलगाव और सामाजिक बहिष्कार का खतरा या डर तथा आने वाले समय में अपराधी, समुदाय, या अधिकारियों के हाथों गिरफ्तारी, हिरासत में लिये जाना, दुर्व्यवहार और सज़ा हिंसा का शिकार होने की धमकी या डर शामिल है।
- मानवाधिकारों के बारे में जानकारी का अभाव।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रभाव:
- यह महिलाओं के स्वास्थ्य के सभी पहलुओं- शारीरिक, यौन और प्रजनन, मानसिक और व्यावहारिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इस प्रकार यह उन्हें उनकी पूरी क्षमता का एहसास होने से वंचित करता है।
- हिंसा और संबंधित धमकी महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों के कई रूपों में सक्रिय तथा समान रूप से भाग लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।
- कार्यस्थल पर उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तथा उनके आर्थिक सशक्तीकरण पर प्रभाव पड़ता है।
- यौन उत्पीड़न महिलाओं के शैक्षिक अवसरों और उपलब्धियों को सीमित करता है।
लिंग आधारित हिंसा को खत्म करने के लिये आवश्यक कदम:
- लिंग आधारित हिंसा (Gender Based Violence- GBV) को समाज, सरकार और व्यक्तियों के सामूहिक प्रयासों से समाप्त किया जा सकता है।
- लिंग आधारित हिंसा को पहचानने और पीड़ितों की पहचान कर उससे संबंधित आवश्यक कदम उठाने के लिये स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करना पीड़ितों की सहायता करने के सबसे महत्त्वपूर्ण तरीकों में से एक है।
- GBV को दृश्यमान बनाने, विज्ञापन समाधानों, नीति-निर्माताओं को सूचित करने और जनता को कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित करने और GBV को पहचानने और इसे रोकने के लिये मीडिया एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है।
- शिक्षा: स्कूल, GBV को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित पाठ्यक्रम, यौन शिक्षा, स्कूल परामर्श कार्यक्रम और स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा हिंसा को रोका जा सकता है।
- कई अध्ययनों से पता चला है कि GBV को रोकने के लिये इसकी पहचान, समाधान और संबंधित कार्यप्रणाली में सभी समुदायों को शामिल करना इसे रोकने के बेहतर तरीकों में से एक है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. हमें देश में महिलाओं के प्रति यौन-उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरूद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुए भी, ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिये कुछ नवाचारी उपाय सुझाइए। (2014) |