ULB चुनावों में महिला आरक्षण का नगालैंड का विरोध | 21 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:शहरी स्थानीय निकाय, महिलाओं के लिये आरक्षण मेन्स के लिये:संविधान के अनुच्छेद 371A द्वारा नगालैंड को प्राप्त विशेष प्रावधान, भारत में शहरी स्थानीय निकायों (ULB) की संरचना और कार्य |
चर्चा में क्यों?
शहरी स्थानीय निकाय (ULB) चुनावों में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण को लेकर नगालैंड में हालिया विवाद के कारण राज्य में विभिन्न हितधारकों के बीच बहस शुरू हो गई है।
- यह मुद्दा नगालैंड नगरपालिका अधिनियम, 2001 पर केंद्रित है जिसके तहत भारतीय संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार ULB चुनावों में महिलाओं के लिये 33% आरक्षण अनिवार्य है।
74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम:
- वर्ष 1992 में पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान 74वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से शहरी स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया था। यह 1 जून, 1993 को लागू हुआ।
- इसमें भाग IX-A जोड़ा गया है और अनुच्छेद 243-P से लेकर 243-ZG तक प्रावधान शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त इस अधिनियम के तहत संविधान में 12वीं अनुसूची को भी शामिल किया गया। इसमें नगर पालिकाओं के 18 कार्यात्मक विषय शामिल हैं।
ULB चुनावों में महिला आरक्षण का नगालैंड के विरोध का कारण:
- महिलाओं के लिये आरक्षण का विषय परंपरा के खिलाफ:
- अधिकांश पारंपरिक आदिवासी और शहरी संगठन महिलाओं के लिये सीटों के 33% आरक्षण का विरोध करते हैं, उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 371A द्वारा नगालैंड को प्रदान किये गए विशेष प्रावधानों का उल्लंघन है।
- अनुच्छेद 371A के अनुसार,नगालैंड विधानसभा की सहमति के बिना, संसद नगाओं के सामाजिक अथवा धार्मिक रीति-रिवाजों, कानूनी विवादों को हल करने के उनके प्रथागत कानूनों और प्रक्रियाओं को प्रभावित करने वाले कानूनों को पारित नहीं कर सकती है।
- नगालैंड के शीर्ष आदिवासी निकाय, नगा होहो का तर्क है कि महिलाएँ पारंपरिक रूप से निर्णय लेने वाली संस्थाओं का हिस्सा नहीं रही हैं।
- नगालैंड एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ ULB की सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित नहीं हैं।
- अधिकांश पारंपरिक आदिवासी और शहरी संगठन महिलाओं के लिये सीटों के 33% आरक्षण का विरोध करते हैं, उनका तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 371A द्वारा नगालैंड को प्रदान किये गए विशेष प्रावधानों का उल्लंघन है।
- प्रदर्शनकारियों की मांग:
- आदिवासी निकायों और नागरिक समाज संगठनों ने तब तक चुनावों का बहिष्कार करने की धमकी दी है जब तक कि नगरपालिका अधिनियम, 2001 में महिला आरक्षण को ध्यान में रखते हुए "नगा लोगों की मांग की पूरी तरह से समीक्षा और पुनर्लेखन नहीं किया जाता है" ताकि यह अनुच्छेद 371A का उल्लंघन न करे।
- नगालैंड में पिछला ULB चुनाव:
- नगालैंड में पहला और एकमात्र निकाय चुनाव 2004 में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण के बिना आयोजित किया गया था।
- वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिये 33% आरक्षण को शामिल करने हेतु नगरपालिका अधिनियम 2001 में संशोधन किया, जिसका व्यापक विरोध हुआ और परिणामस्वरूप वर्ष 2009 में ULB चुनावों को अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया था।
- मार्च 2012 में चुनाव कराने के प्रयासों का भी व्यापक विरोध हुआ, साथ ही सितंबर 2012 में राज्य विधानसभा ने नगालैंड को महिलाओं हेतु आरक्षण से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 243T से छूट देने का प्रस्ताव पारित किया।
- इस प्रस्ताव को वर्ष 2016 में रद्द कर दिया गया था और 33 प्रतिशत आरक्षण के साथ नागरिक निकायों के चुनावों को एक महीने बाद अधिसूचित किया गया जिस कारण फिर से व्यापक अशांति देखी गई।
- सरकार ने फरवरी 2017 में चुनावों को शून्य और निरस्त घोषित करने की प्रक्रिया की घोषणा की।
- वर्ष 2006 में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिये 33% आरक्षण को शामिल करने हेतु नगरपालिका अधिनियम 2001 में संशोधन किया, जिसका व्यापक विरोध हुआ और परिणामस्वरूप वर्ष 2009 में ULB चुनावों को अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दिया गया था।
- नगालैंड में पहला और एकमात्र निकाय चुनाव 2004 में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण के बिना आयोजित किया गया था।
शहरी स्थानीय निकाय (ULB):
- विषय:
- शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) छोटे स्थानीय निकाय हैं जो एक निर्दिष्ट आबादी वाले शहर या कस्बे को प्रशासित या नियंत्रित करते हैं।
- ULBs के अधिकार क्षेत्र में संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सौंपे गए कार्यों की एक लंबी सूची है जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, कल्याण, नियामक कार्य, सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और विकास गतिविधियाँ आदि शामिल हैं।
- संरचना:
- शहरी स्थानीय सरकार में आठ प्रकार के शहरी स्थानीय निकाय शामिल हैं।
- नगर निगम:
- नगर निगम आमतौर पर बड़े शहरों जैसे- बंगलूरू, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आदि में हैं।
- नगर पालिका:
- छोटे शहरों में नगर पालिकाओं का प्रावधान है।
- नगर पालिकाओं को अकसर अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे- नगर पालिका परिषद, नगर पालिका समिति, नगर पालिका बोर्ड आदि।
- अधिसूचित क्षेत्र समिति:
- तेज़ी से विकसित हो रहे कस्बों और मूलभूत सुविधाओं से वंचित कस्बों के लिये अधिसूचित क्षेत्र समितियों का गठन किया जाता है।
- अधिसूचित क्षेत्र समिति के सभी सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- नगर क्षेत्र समिति:
- नगर क्षेत्र समिति की व्यवस्था छोटे शहरों में पाई जाती है।
- इसे स्ट्रीट लाइटिंग, ड्रेनेज रोड और कंज़र्वेंसी की व्यवस्था आदि सुनिश्चित करने का अधिकार प्राप्त है।
- छावनी बोर्ड:
- यह आमतौर पर छावनी क्षेत्र में रहने वाली नागरिक आबादी के प्रशासन के लिये स्थापित किया जाता है।
- इसे केंद्र सरकार द्वारा स्थापित और नियंत्रित किया जाता है।
- टाउनशिप:
- टाउनशिप संयंत्र के आस-पास स्थापित कॉलोनियों में रहने वाले कर्मचारियों और श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने के लिये शहरी सरकार का दूसरा रूप है।
- इसका कोई निर्वाचित सदस्य नहीं है और यह केवल नौकरशाही संरचना का विस्तार है।
- पोर्ट ट्रस्ट:
- पोर्ट ट्रस्ट मुंबई, चेन्नई, कोलकाता आदि बंदरगाह क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं।
- यह पोर्ट (बंदरगाह) का प्रबंधन और देखभाल करता है।
- यह उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बुनियादी नागरिक सुविधाएँ भी प्रदान करता है।
- विशेष प्रयोजन एजेंसी:
- ये एजेंसियाँ नगर निगमों या नगरपालिकाओं से संबंधित निर्दिष्ट गतिविधियों या विशिष्ट कार्यों को पूरा करती हैं।
- नगर निगम:
- शहरी स्थानीय सरकार में आठ प्रकार के शहरी स्थानीय निकाय शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के हाल के निर्देशों को 'नगाओं' द्वारा उनके राज्य को मिली विशिष्ट स्थिति को रद्द करने के खतरे के रूप में देखा गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371A के आलोक में इसकी विवेचना कीजिये। (2013) |