जैव विविधता और पर्यावरण
PKC-ERCP लिंक परियोजना पर मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के बीच समझौता ज्ञापन
- 03 Oct 2024
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प्रारंभिक परीक्षा के लिये:पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) लिंकिंग परियोजना, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP), नदियों को जोड़ने के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना, चंबल बेसिन, विंध्य पर्वत, यमुना नदी, नेशनल इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर अथॉरिटी (NIRA) मुख्य परीक्षा के लिये:भारत में नदियों को आपस में जोड़ना और इससे संबंधित मुद्दे, विकास से संबंधित मुद्दे, जल प्रबंधन |
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) नामक नदी लिंक परियोजना को लागू करने के लिये राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये गए।
- यह परियोजना नदियों को जोड़ने के लिये भारत सरकार की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के भाग के रूप में क्रियान्वित की जा रही है।
संशोधित PKC-ERCP क्या है?
- पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC): इस नदी-जोड़ो पहल को पार्वती, नेवज और कालीसिंध नदियों के अधिशेष जल को चंबल नदी में भेजने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय द्वारा तैयार राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1980) के तहत 30 लिंकों में से एक है।
- इसका उद्देश्य घरेलू उपयोग के लिये जल उपलब्ध कराना, चंबल बेसिन में जल संसाधनों का अनुकूलन करना तथा मध्य प्रदेश और राजस्थान के क्षेत्रों को लाभान्वित करना है।
इस परियोजना में शामिल नदियाँ:
- चम्बल नदी:
- उद्गम: सिंगार चौरी चोटी, विंध्य पर्वत, इंदौर, मध्य प्रदेश।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, सिप्रा, पारबती।
- पार्वती नदी:
- उद्गम: विंध्य रेंज, सीहोर ज़िला, मध्य प्रदेश।
- कालीसिंध नदी:
- उद्गम स्थल: बागली, देवास ज़िला, मध्य प्रदेश।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: परवन, नेवज, आहू।
- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP): ERCP को जल संसाधनों के अनुकूलन के लिये वर्ष 2019 में राजस्थान द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- इसका उद्देश्य चंबल बेसिन में अंतर-बेसिन जल स्थानांतरण को सुविधाजनक बनाना है।
- इसका उद्देश्य कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों के अधिशेष मानसून जल का दोहन करना तथा इसे जल की कमी वाले बनास, गंभीरी, बाणगंगा और पार्वती उप-बेसिनों की ओर भेजना है।
- इस पहल से अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर और जयपुर सहित पूर्वी राजस्थान के 13 ज़िलों को पेयजल और औद्योगिक जल की आपूर्ति होगी।
- ERCP का उद्देश्य जल चैनलों का एक ऐसा नेटवर्क स्थापित करना है जो राजस्थान के 23.67% क्षेत्र में विस्तारित होने के साथ राज्य की 41.13% आबादी को लाभान्वित करेगा।
- लाभ:
- ERCP से 2 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त कमांड क्षेत्र सृजित होने तथा 4.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई उपलब्ध होने की उम्मीद है।
- इसका उद्देश्य राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र के भू-जल स्तर में सुधार लाना तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है।
- यह परियोजना औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिये स्थायी जल स्रोत सुनिश्चित करने के क्रम में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) को भी समर्थन प्रदान करती है।
- संशोधित PKC-ERCP:
- संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ERCP (PKC-ERCP) लिंक परियोजना, PKC लिंक को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) के साथ जोड़ने वाली एक अंतर-राज्यीय परियोजना है।
- यह राज्यों के बीच जल बंँटवारे, लागत-लाभ वितरण और जल विनिमय जैसे मुद्दों को हल करने पर केंद्रित है।
- ऐसी परियोजना की आवश्यकता:
- राजस्थान, भारत का सबसे बड़ा राज्य है जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल 342.52 लाख हेक्टेयर ( देश के कुल क्षेत्रफल का 10.4%) है तथा राजस्थान के जल संसाधन विभाग के अनुसार, देश के सतही जल का केवल 1.16% एवं भूजल संसाधनों का 1.72% ही यहाँ उपलब्ध है।
चंबल नदी
- परिचय: यह नदी मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वतमाला के दक्षिणी ढलान पर मानपुर इंदौर के पास, महूटाउन के दक्षिण में जानापाव से निकलती है। वहाँ से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किमी और फिर राजस्थान से होकर 225 किमी तक उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है।
- यह नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और इटावा ज़िले में यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 32 किमी तक बहती है।
- यह एक बरसाती नदी है और इसका बेसिन विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं तथा अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और इसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र को जल प्रदान करती हैं।
- राजस्थान का हाड़ौती का पठार, मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है।
- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, सिप्रा, पार्बती, आदि।
- मुख्य विद्युत परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है। यह गंभीर रूप से संकटग्रस्त घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ टर्टल और संकटग्रस्त गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।
यमुना
- यमुना नदी गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में निम्न हिमालय के मसूरी पर्वतमाला की बंदरपूँछ चोटियों के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- यह नदी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से होकर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा से मिलती है।
- प्रमुख बाँध: लखवार-व्यासी बाँध (उत्तराखंड), ताजेवाला बैराज बाँध (हरियाणा) आदि।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन।
नदियों को जोड़ने के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना क्या है?
परिचय:
- नदी जोड़ो परियोजना (जिसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के रूप में भी जाना जाता है) वर्ष 1980 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक बड़े पैमाने की सिविल इंजीनियरिंग परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत में जल के अधिशेष वाले बेसिनों से जल की कमी वाले बेसिनों में जल स्थानांतरित करना है।
- इसमें नदियों और जल निकायों को जोड़ने के लिये कृत्रिम चैनलों का निर्माण शामिल है।
घटक:
- हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों का विकास
चिह्नित परियोजनाएँ:
- इसके तहत कुल 30 लिंक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें से 16 प्रायद्वीपीय क्षेत्र और 14 हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हैं।
- प्रायद्वीपीय घटक के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाएँ: महानदी-गोदावरी लिंक, गोदावरी-कृष्णा लिंक, पार-तापी-नर्मदा लिंक और केन-बेतवा लिंक।
- हिमालयी क्षेत्र के तहत प्रमुख परियोजनाएँ: कोसी-घाघरा लिंक, गंगा (फरक्का)-दामोदर-सुवर्णरेखा लिंक और कोसी-मेची लिंक।
महत्त्व:
- बाढ़ प्रबंधन: इसका उद्देश्य गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना बेसिन जैसे बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में बाढ़ के जोखिम का प्रबंधन करना है।
- जल की कमी को दूर करना: इसका उद्देश्य राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु सहित पश्चिमी और प्रायद्वीपीय राज्यों में जल की कमी को दूर करना है।
- सिंचाई सुधार: इसका उद्देश्य जल की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई का विस्तार करना है, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ने और खाद्य सुरक्षा में सुधार होने के साथ किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।
- उदाहरण: केन-बेतवा लिंक परियोजना।
- बुनियादी ढाँचे का विकास: यह राष्ट्रीय जलमार्ग-1 जैसे कुशल एवं पर्यावरण अनुकूल अंतर्देशीय जलमार्गों की स्थापना की सुविधा प्रदान करता है।
- सतत् जल उपयोग: इसे भू-जल की कमी को पूरा करने और समुद्र में बहने वाले मीठे जल को कम करने के क्रम में सतही जल के उपयोग को अनुकूलित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
चिंताएँ:
- जैवविविधता की हानि: प्राकृतिक नदी मार्गों में परिवर्तन से जैवविविधता की हानि के साथ आवास विघटन हो सकता है।
- उदाहरण: मध्य प्रदेश में केन-बेतवा लिंक परियोजना से पन्ना टाइगर रिज़र्व का एक बड़ा भाग जलमग्न होने से जीवों के आवास को नुकसान पहुँचेगा।
- सामुदायिक विस्थापन: नदी जोड़ो परियोजनाओं के कारण स्थानीय समुदाय विस्थापित होने से महत्त्वपूर्ण सामाजिक और मानवीय मुद्दे उभर सकते हैं।
- उच्च लागत और कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियाँ: इसमें निवेश, तकनीकी कठिनाइयाँ तथा भूमि अधिग्रहण संबंधी मुद्दे उभर सकते हैं।
- इसी प्रकार की परियोजनाओं की विफलता: चीन की दक्षिण-से-उत्तर जल डायवर्जन परियोजना (SNWDP) में कई चुनौतियों और नकारात्मक परिणामों को देखा गया। इसका उद्देश्य दक्षिण में यांग्त्ज़ी नदी से जल को उत्तर में पीली नदी बेसिन तक ले जाना था।
- अंतर्राज्यीय जल विवाद: सीमित जल संसाधनों के लिये राज्यों के बीच संघर्ष और प्रतिस्पर्द्धा। उदाहरण: कृष्णा जल विवाद
- अन्य चिंताएँ: इससे नकारात्मक सामाजिक प्रभाव, दीर्घकालिक स्थिरता तथा मौजूदा समस्याओं के और अधिक गंभीर होने की संभावना है।
केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना (KBLP)
- यह नदियों को जोड़ने के क्रम में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत पहली परियोजना है।
- KBLP के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी से उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में जल स्थानांतरित करना शामिल है, यह दोनों ही यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं।
राष्ट्रीय नदी जोड़ो प्राधिकरण (NIRA)
- यह एक प्रस्तावित स्वतंत्र निकाय है जो राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA) का स्थान लेगा।
- यह भारत में नदी जोड़ो परियोजनाओं की योजना, जाँच, वित्तपोषण और कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होगा और सभी नदी जोड़ो पहलों के लिये एक छत्र संगठन के रूप में कार्य करेगा।
- यह पड़ोसी देशों, संबंधित राज्यों और विभागों के साथ समन्वय करने में भूमिका निभाने के साथ इन परियोजनाओं से संबंधित पर्यावरण, वन्यजीव और वन मंजूरी संबंधी अधिकार भी रखेगा।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: Q. भारत में नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित संभावित लाभ और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। ये परियोजनाएँ देश में जल प्रबंधन तथा सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार योगदान दे सकती हैं? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)Q. नदियों को आपस में जोड़ना सूखा, बाढ़ और बाधित जल-परिवहन जैसी बहु-आयामी अंतर्संबंधित समस्याओं का व्यवहार्य समाधान दे सकता है। आलोचनात्मक परिक्षण कीजिये। (2020) |