न्यूनतम वेतन नीति और गिग श्रमिक | 01 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:न्यूनतम वेतन, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट, शहरी कंपनी, उचित वेतन, उचित शर्तें, उचित अनुबंध, निष्पक्ष प्रबंधन, उचित प्रतिनिधित्व मेन्स के लिये:समावेशी वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने में न्यूनतम मज़दूरी की आवश्यकता और महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
फेयरवर्क इंडिया द्वारा 12 ई-कॉमर्स प्लेटफाॅर्मों पर आयोजित 5वाँ वार्षिक अध्ययन भारत के गिग श्रमिकों के कार्य करने की स्थिति की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
- फेयरवर्क, अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, बैंगलोर के IT और सार्वजनिक नीति केंद्र के शोधकर्त्ताओं की एक टीम है।
- अध्ययन में उचित वेतन, उचित शर्तें, उचित अनुबंध, निष्पक्ष प्रबंधन और उचित प्रतिनिधित्व जैसे पाँच फेयरवर्क सिद्धांतों की जाँच की गई।
अध्ययन के मुख्य तथ्य:
- न्यूनतम वेतन और श्रमिक अलगाव:
- अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट और अर्बन कंपनी सहित केवल तीन प्लेटफाॅर्मों के पास न्यूनतम वेतन नीतियाँ हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि श्रमिक स्थानीय न्यूनतम वेतन अर्जित सकें।
- हालाँकि कोई भी मंच इस बात की गारंटी नहीं देता है कि श्रमिक जीवनयापन योग्य वेतन अर्जित कर सकें। इस वर्ष का अध्ययन यह जानने में मदद करता है कि काम करने की स्थितियाँ अलगाव में किस प्रकार योगदान करती हैं, जो प्रायः जाति, वर्ग, लिंग और धर्म जैसे कारकों के आधार पर भेदभाव से संबद्ध होता है।
- सुरक्षा, अनुबंध स्पष्टता और कर्मचारी सुरक्षा:
- कुछ प्लेटफॉर्म दुर्घटना बीमा कवरेज और दुर्घटनाओं या चिकित्सा कारणों से आय हानि के लिये मुआवज़े की पेशकश भी करते हैं।
- इसके अतिरिक्त कंपनियों ने अनुबंध की स्पष्टता, डेटा सुरक्षा और कर्मचारी मुद्दों से निपटने की प्रक्रियाओं जैसे अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के खिलाफ अपील करने के लिये उपाय सुनिश्चित किये हैं।
- दुर्भाग्यवश, किसी भी मंच को निष्पक्ष प्रतिनिधित्व के लिये अंक नहीं मिले, जो हाल के वर्षों में श्रमिक सामूहिकता में वृद्धि के बावजूद सामूहिक कार्यकर्त्ता निकायों के लिये मान्यता की कमी को दर्शाता है।
- कुछ प्लेटफॉर्म दुर्घटना बीमा कवरेज और दुर्घटनाओं या चिकित्सा कारणों से आय हानि के लिये मुआवज़े की पेशकश भी करते हैं।
भारत में गिग अर्थव्यवस्था परिदृश्य:
- परिभाषा:
- गिग अर्थव्यवस्था एक श्रम बाज़ार को संदर्भित करती है जो स्थायी रोज़गार के विपरीत अल्पकालिक अनुबंधों, फ्रीलांस कार्यों और अस्थायी पदों की व्यापकता की विशेषता है।
- गिग अर्थव्यवस्था में व्यक्ति प्राय एक ही कंपनी के पारंपरिक पूर्णकालिक कर्मचारी होने के बजाय विभिन्न "गिग्स" या कार्यों को लेकर प्रोजेक्ट-दर-प्रोजेक्ट आधार पर कार्य करते हैं।
- विकास परिदृश्य:
- आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार, भारत फ्लेक्सी स्टाफिंग या गिग वर्कर्स के लिये विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक बनकर उभरा है।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गिग अर्थव्यवस्था में लगभग 7.7 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2029-30 तक बढ़कर 23.5 मिलियन होने की उम्मीद है, जो देश में कुल आजीविका का लगभग 4% हिस्सा है।
- वर्तमान में कुल गिग कार्यों का लगभग 31% न्यून कुशलता वाले रोज़गार जैसे- कैब ड्राइविंग और खाद्य वितरण के क्षेत्र में, 47% मध्यम-कुशलता वाले रोज़गार जैसे- प्लंबिंग तथा सौंदर्य सेवाओं में और 22% उच्च कुशलता रोज़गार जैसे ग्राफिक डिज़ाइनिंग एवं ट्यूशन में हैं।
- गिग श्रमिकों के समक्ष प्रमुख मुद्दे:
- गिग श्रमिकों को अक्सर उनकी अस्पष्ट रोज़गार स्थिति के कारण सामाजिक सुरक्षा और श्रम कानून से बाहर रखा जाता है।
- सामाजिक सुरक्षा और अन्य बुनियादी श्रम अधिकार जैसे न्यूनतम वेतन, कार्य के घंटों की सीमा आदि "कर्मचारी" की स्थिति पर निर्भर करते हैं, गिग श्रमिकों के लिये स्वतंत्र ठेकेदारी स्थिति उन्हें ऐसे लाभ एवं कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने से बाहर रखती है।
- दिव्यांगता या श्रमिक की मृत्यु की स्थिति में सामाजिक सुरक्षा पात्र व्यक्तियों और उनके परिवारों को लाभ प्रदान करती है। गिग श्रमिकों के मामले में इन लाभों का कम कवरेज हो सकता है, जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उनकी वित्तीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- सरकार की पहल:
- सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) में 'गिग अर्थव्यवस्था' पर एक अलग खंड शामिल है और गिग नियोक्ताओं को सरकार के नेतृत्व वाले बोर्ड द्वारा संभाले जाने वाले सामाजिक सुरक्षा कोष में योगदान करने का दायित्व दिया गया है।
- वेतन संहिता, 2019 गिग श्रमिकों सहित संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन और फ्लोर वेज का प्रावधान करती है।
भारत की न्यूनतम वेतन नीति:
- वेतन संहिता अधिनियम 2019:
- संहिता का उद्देश्य पुराने और अप्रचलित श्रम कानूनों को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी कानूनों में बदलना तथा देश में न्यूनतम मज़दूरी एवं श्रम सुधारों की शुरुआत के लिये मार्ग प्रशस्त करना है।
- वेतन संहिता सभी कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान के प्रावधानों को सार्वभौमिक बनाती है तथा प्रत्येक कर्मचारी के लिये "निर्वाह का अधिकार" सुनिश्चित करने का प्रयास करती है, साथ ही न्यूनतम मज़दूरी के विधायी संरक्षण को भी मज़बूत करती है।
- केंद्र सरकार को श्रमिकों के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए फ्लोर वेज (Floor Wage) निर्धारित करने का अधिकार है। यह विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिये अलग-अलग फ्लोर वेज निर्धारित कर सकती है।
- केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा श्रमिकों को दी जाने वाली न्यूनतम मज़दूरी, निर्धारित फ्लोर वेज से अधिक होनी चाहिये।
- फ्लोर वेज का निर्धारण:
- वेतन नियम संहिता, 2020 में फ्लोर वेज की अवधारणा का उल्लेख किया गया है, जो केंद्र सरकार को श्रमिकों के न्यूनतम जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए फ्लोर वेज निर्धारित करने का अधिकार देती है।
- फ्लोर वेज एक बेसलाइन वेज है जिसके नीचे राज्य सरकारें न्यूनतम मज़दूरी तय नहीं कर सकती हैं।
- वेतन संहिता विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के लिये अलग-अलग फ्लोर वेज निर्धारण की अनुमति देती है। हालाँकि इससे उन क्षेत्रों से पूंजी के पलायन का भय उत्पन्न हो गया है जहाँ मज़दूरी अधिक है और उन क्षेत्रों की ओर जहाँ मज़दूरी कम है।
- वेतन नियम संहिता, 2020 में फ्लोर वेज की अवधारणा का उल्लेख किया गया है, जो केंद्र सरकार को श्रमिकों के न्यूनतम जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए फ्लोर वेज निर्धारित करने का अधिकार देती है।
आगे की राह
- श्रमिक वर्गीकरण: गिग श्रमिकों (जैसे, स्वतंत्र ठेकेदार तथा कर्मचारी) के वर्गीकरण के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश परिभाषित करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें उचित कानूनी सुरक्षा और लाभ प्राप्त हों। इस मुद्दे को हल करने के लिये भारत के श्रम कानून विकसित हो रहे हैं और गिग श्रमिकों तथा सामान्य कर्मचारियों के बीच अंतर एक महत्त्वपूर्ण विचार है।
- सामाजिक सुरक्षा और लाभ: संभावित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रणाली के माध्यम से गिग श्रमिकों को सेवानिवृत्ति बचत, स्वास्थ्य बीमा और बेरोज़गारी मुआवज़ा तथा सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँच प्रदान करने के विकल्पों का पता लगाने की आवश्यकता है।
- पारिश्रमिक सुरक्षा: गिग श्रमिकों को उचित मुआवज़ा प्रदान करने की गारंटी सुनिश्चित करने हेतु एक सुव्यवस्थित तंत्र लागू करना चाहिये तथा उनके शोषण को रोकने के लिये विशेष कार्यों के लिये न्यूनतम वेतन मानक या फ्लोर वेज निर्धारित करने पर विचार किया जाना चाहिये।
- कौशल विकास: गिग श्रमिकों की रोज़गार क्षमता और आय की क्षमता को बढ़ाने के लिये निरंतर कौशल विकास एवं प्रशिक्षण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। सरकार और उद्योग की भागीदारी गिग इकॉनमी की ज़रूरतों के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने में मदद कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में कौन एक, उन फैक्ट्रियों में जिनके कामगार नियुक्त हैं, औद्योगिक विवादों, समापनों, छँटनी और कामबंदी के विषय में सूचनाओं को संकलित करता है। (2022) (a) केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण की प्रक्रिया में 'गिग इकोनॉमी' की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (2021) |