भारतीय अर्थव्यवस्था
गिग वर्कर्स राइट्स
- 23 Jan 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:गिग इकॉनमी, असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008, सर्वोच्च न्यायालय, हाई-स्पीड इंटरनेट, कोविड-19 महामारी, पेंशन योजनाएँ, डिजिटल डिवाइड, सामाजिक सुरक्षा। मेन्स के लिये:भारत में गिग अर्थव्यवस्था के विकास चालक, भारत में गिग श्रमिकों से संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
20 सितंबर, 2021 को इंडियन फेडरेशन ऑफ एप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने गिग वर्कर्स की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की कि केंद्र सरकार महामारी से प्रभावित श्रमिकों को सहायता प्रदान करे।
- याचिका में 'गिग वर्कर्स' और 'प्लेटफॉर्म वर्कर्स' को 'असंगठित श्रमिक' घोषित करने की मांग की गई है ताकि वे असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के दायरे में आ सकें
गिग इकॉनमी:
- परिचय:
- गिग इकॉनमी एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें पारंपरिक पूर्णकालिक रोज़गार की बजाय अस्थायी रोज़गार का प्रचलन होता है और संगठन अल्पकालिक अनुबंधों के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
- गिग वर्कर: गिग वर्कर को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर काम करता है या कार्य व्यवस्था में भाग लेता है और ऐसी गतिविधियों से आय अर्जित करता है।
- गिग इकॉनमी एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें पारंपरिक पूर्णकालिक रोज़गार की बजाय अस्थायी रोज़गार का प्रचलन होता है और संगठन अल्पकालिक अनुबंधों के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं।
- भारत में गिग इकॉनमी के विकास चालक:
- इंटरनेट और मोबाइल प्रौद्योगिकी का उदय: स्मार्टफोन को व्यापक रूप से अपनाने और हाई-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता ने श्रमिकों एवं व्यवसायों के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जुड़ना आसान बना दिया है, जिससे गिग इकॉनमी के विकास में आसानी हुई है।
- आर्थिक उदारीकरण: भारत सरकार की आर्थिक उदारीकरण नीतियों ने प्रतिस्पर्द्धा और अधिक खुले बाज़ार को बढ़ावा दिया है, जिसने गिग अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित किया है।
- विभिन्न प्रकृति के काम की बढ़ती मांग: गिग अर्थव्यवस्था भारतीय श्रमिकों के लिये विशेष रूप से आकर्षक है, ऐसे में यह लचीली कार्य व्यवस्था की तलाश कर रहे लोगों को व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को संतुलित करने की सुविधा प्रदान करती है।
- जनसांख्यिकीय कारक: गिग अर्थव्यवस्था युवा, शिक्षित और महत्त्वाकांक्षी भारतीयों की बड़ी एवं बढ़ती संख्या से भी प्रेरित है, ये वो लोग हैं जो अतिरिक्त आय सृजन के साथ अपनी आजीविका में सुधार करना चाहते हैं।
- चीन के संदर्भ में:
- चीन में सार्वजनिक विमर्श के बीच फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म को लेकर सरकार द्वारा जाँच में तेज़ी लाई गई है। यह मामला विशेष रूप से कोविड -19 महामारी का उत्पत्ति केंद्र माने जाने वाले वुहान से संबंधित था जहाँ सामाजिक विमर्श स्पष्ट रूप से डिलीवरी वर्कर्स के पक्ष में था।
- जुलाई 2021 में चीन की सात सरकारी एजेंसियों ने संयुक्त रूप से दिशा-निर्देश पारित किये जिसमें वेतन, कार्यस्थल की सुरक्षा, कामकाज़ का माहौल और विवाद निपटान सहित क्षेत्रों में खाद्य वितरण श्रमिकों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा की मांग की गई।
- भारत में गिग वर्कर्स से संबंधित मुद्दे:
- नौकरी और सामाजिक सुरक्षा का अभाव: भारत में विभिन्न गिग वर्कर्स श्रम संहिता के दायरे में नहीं आते हैं जिसके चलते उन्हें स्वास्थ्य बीमा और सेवानिवृत्ति योजनाओं जैसे लाभों तक पहुँच प्राप्त नहीं हो पाती है।
- इसके अलावा गिग श्रमिकों को अक्सर चोट या बीमारी की स्थिति में नियमित/पारंपरिक कर्मचारियों के समान सुरक्षा प्राप्त नहीं होती है।
- डिजिटल डिवाइड: गिग इकॉनमी काफी हद तक टेक्नोलॉजी एवं इंटरनेट एक्सेस पर निर्भर करती है, यह उन लोगों के लिये काम में बाधा उत्पन्न करती है जिनके पास इन संसाधनों की उपलब्धता नहीं है परिणामस्वरूप यह आय असमानता को और भी अधिक बढ़ा देती है।
- आँकड़ों की अनुपलब्धता: भारत में गिग इकॉनमी संबंधी आँकड़ों एवं इस पर शोध की कमी है जिससे नीति निर्माताओं के लिये इसके आकार, दायरे तथा अर्थव्यवस्था व कार्यबल पर प्रभाव को समझना मुश्किल हो जाता है।
- कंपनियों द्वारा शोषण: भारत में गिग वर्कर्स को अक्सर नियमित/पारंपरिक कर्मचारियों की तुलना में कम भुगतान किया जाता है और उनके पास समान कानूनी सुरक्षा नहीं होती है।
- कुछ कंपनियाँ देयता और करों का भुगतान करने से बचने के लिये गिग कर्मचारियों को स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में गलत वर्गीकृत करके उनका शोषण कर सकती हैं।
- नौकरी और सामाजिक सुरक्षा का अभाव: भारत में विभिन्न गिग वर्कर्स श्रम संहिता के दायरे में नहीं आते हैं जिसके चलते उन्हें स्वास्थ्य बीमा और सेवानिवृत्ति योजनाओं जैसे लाभों तक पहुँच प्राप्त नहीं हो पाती है।
आगे की राह
- सामाजिक सुरक्षा कवच: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि वृद्ध श्रमिकों हेतु वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये गिग श्रमिकों की पेंशन योजनाओं एवं स्वास्थ्य बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों तक पहुँच हो।
- साथ ही गिग वर्कर्स को पारंपरिक कर्मचारियों के समान श्रम अधिकार दिये जाने चाहिये, जिसमें यूनियनों को संगठित करने एवं उनके गठन का अधिकार शामिल है।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: सरकार को गिग वर्कर्स के कौशल में सुधार और उनकी कमाई की क्षमता बढ़ाने के लिये शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिये।
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को प्रोत्साहित करना: सरकार ऐसे नियम बनाकर निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित कर सकती है जो कंपनियों को श्रमिकों को स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में गलत वर्गीकृत करने से रोकते हैं और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को लागू करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया में 'गिग इकॉनमी' की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2021) |