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भारतीय इतिहास

फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों का विलय

  • 15 Oct 2024
  • 15 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्र, ब्राज़ाविल सम्मेलन, फ्रेंच कांगो, अफ्रीका, अनुच्छेद 27, गोवा, सालाज़ार, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), ट्रिस्टाओ डी ब्रागांका कुन्हा, ऑपरेशन विजय, आज़ाद गोमांतक दल (AGD), स्टूडेंट कॉन्ग्रेस ऑफ फ्रेंच इंडिया, फ्रेंच इंडियन नेशनल कॉन्ग्रेस।

मुख्य परीक्षा के लिये:

भारत की स्वतंत्रता के बाद भारत में अपने क्षेत्रों को बनाए रखने के क्रम में फ्राँसीसी और पुर्तगाली औपनिवेशिक शक्तियों के विपरीत दृष्टिकोण।

चर्चा में क्यों? 

1 नवम्बर 1954 को भारत में फ्राँसीसी कब्जे वाले क्षेत्र भारतीय संघ को हस्तांतरित कर दिये गए तथा पुदुचेरी एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया। 

  • 19 दिसंबर को भारत, वर्ष 1961 में पुर्तगाली शासन से गोवा राज्य को मिली स्वतंत्रता के स्मरण में गोवा मुक्ति दिवस मनाएगा।
  • लंबी बातचीत, राष्ट्रवादी आंदोलनों और सैन्य कार्रवाई से भारत फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों को भारत में एकीकृत करने में सफल रहा।

फ्राँस ने भारत में अपने उपनिवेश बनाए रखने पर क्यों ज़ोर दिया?

  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पुनर्निर्माण: फ्राँसीसी सरकार का मानना ​​था कि साम्राज्य औपनिवेशिक संसाधनों का उपयोग करके राष्ट्र के युद्ध-पश्चात पुनर्निर्माण को पुनर्जीवित करने और अपने वैश्विक प्रभाव को मज़बूत करने में मदद करेगा।
  • ब्राज़ाविल सम्मेलन (1944): वर्ष 1944 में फ्रेंच कांगो में आयोजित ब्राज़ाविल सम्मेलन से फ्राँसीसी संघ की अवधारणा सामने आई।
    • इससे उपनिवेशों को फ्राँसीसी राजनीतिक प्रणाली में अधिक प्रत्यक्ष रूप से एकीकृत किया जा सकेगा, जिससे उन्हें पुनः परिभाषित संबंधों के तहत फ्राँस का हिस्सा बने रहने की अनुमति मिल सकेगी।
  • लोकतांत्रिक अधिकार: फ्राँसीसी संघ के संविधान के अनुच्छेद 27 में उसके उपनिवेशों को या तो फ्राँस के साथ रहने या स्वतंत्र होने का विकल्प दिया गया था।
    • अपने उपनिवेशों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिये फ्राँस को एक उदार और प्रगतिशील औपनिवेशिक प्राधिकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया।
  • सांस्कृतिक और भाषाई प्रभाव: फ्राँसीसी भारत में कई निवासी अंग्रेज़ी नहीं, बल्कि फ्रेंच बोलते थे, वे सांस्कृतिक रूप से नए, अंग्रेज़ी बोलने वाले स्वतंत्र भारत के बजाय फ्राँस के साथ जुड़ाव महसूस करते थे। 
  • रणनीतिक और राजनीतिक गणना: फ्राँसीसी सरकार के लिये, भारत में जो कुछ भी हुआ, उसका प्रभाव इंडोचीन और अफ्रीका में उनके अन्य उपनिवेशों पर पड़ना तय था। परिणामस्वरूप उनका उद्देश्य संवाद की प्रक्रिया को यथासंभव लंबा खींचना था। 

नोट: भारत में, फ्राँसीसी उपनिवेशों में पुदुचेरी, माहे, चंद्रनगर, कराईकल और यानोन (यानम) शामिल थे।

पुर्तगाल ने भारत में अपने उपनिवेश बनाए रखने पर क्यों ज़ोर दिया?

  • ऐतिहासिक दावा: पुर्तगाल ने गोवा में अपनी सदियों पुरानी उपस्थिति पर ज़ोर दिया, तथा 16वीं शताब्दी के आरंभ से ही इस क्षेत्र पर शासन किया, हाल ही में ब्रिटिश या फ्राँसीसी उपनिवेश स्थापित हुए।
    • गोवा के लोग 19वीं सदी से पुर्तगाली संसद में अपने प्रतिनिधियों के लिये मतदान करते आ रहे हैं।
  • सालाजार का तानाशाही रुख: पुर्तगाली तानाशाह सालाजार ने पुर्तगाल के उपनिवेशों को अस्थायी संपत्ति के रूप में नहीं बल्कि पुर्तगाली राज्य के अभिन्न अंग के रूप में देखा और गोवा तथा अन्य भारतीय क्षेत्रों को विदेशी प्रांत घोषित कर दिया। 
    • उनके विचार में इस रुख ने उपनिवेशवाद को अकल्पनीय बना दिया, क्योंकि उनका यह मानना था कि यह पुर्तगाल की क्षेत्रीय अखंडता के विघटन के समान होगा।
  • भू-राजनीतिक लाभ: उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में पुर्तगाल की सदस्यता ने गोवा की मुक्ति के लिये बल प्रयोग करने के भारत के प्रयासों के विरुद्ध एक निवारक प्रदान किया।
  • गोवा का सामरिक महत्त्व: भारत के पश्चिमी तट पर गोवा की रणनीतिक स्थिति ने पुर्तगाल को दक्षिण एशिया में पैर जमाने का मौका दिया और इसे क्षेत्र में पुर्तगाली प्रभाव बनाए रखने के लिये एक मूल्यवान परिसंपत्ति के रूप में देखा गया।
  • कैथोलिक जनसंख्या: पुर्तगाल ने तर्क दिया कि गोवा की कैथोलिक जनसंख्या मुख्यतः हिंदू-प्रधान स्वतंत्र भारत में सुरक्षित नहीं रहेगी।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय सहानुभूति प्राप्त करने का एक रणनीतिक कदम था, जिसका आशय यह था कि पुर्तगालियों के हटने से धार्मिक अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा।

नोट: भारत में पुर्तगाली उपनिवेशों में दमन, दीव, गोवा, इल्हा-डि-एंजडिवा, नगर हवेली और पानीकोठा शामिल थे।

फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों का भारत में विलय किस प्रकार भिन्न रूप से हुआ?

पहलू

फ्राँसीसी उपनिवेश

पुर्तगाली उपनिवेश

औपनिवेशि शक्ति का रुख

प्रारंभ में वार्ता के लिये तैयार, सांस्कृतिक संबंधों को बनाए रखने पर केंद्रित

क्षेत्र को प्रदान करने से इनकार कर दिया, साथ ही यह बल दिया कि गोवा पुर्तगाल का भाग है

स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

कुछ लोग फ्राँस के साथ बने रहने के पक्ष में थे, जबकि अन्य भारत के साथ एकीकरण के पक्षधर थे। 

प्रबल राष्ट्रवादी भावना और पुर्तगाली शासन के प्रति दीर्घकालिक विरोध। उदाहरण के लिये वर्ष 1787 में गोवा में पुर्तगाली शासन के विरुद्ध पिंटो विद्रोह

राष्ट्रवादी आंदोलनों की भूमिका

विभिन्न राष्ट्रवादी समूहों ने भारत के साथ एकीकरण का समर्थन किया। 

  • फ्राँसीसी भारतीय छात्र कॉन्ग्रेस, फ्राँसीसी भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस, फ्राँसीसी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भारतीय संघ में विलय की मांग की।
  • चंद्रनगर में राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (NDF) ने धमकी दी कि यदि फ्राँस भारत के साथ विलय की योजना प्रस्तावित करने में विफल रहा तो वे सत्याग्रह करेंगे।
  • माहे में राष्ट्रवादी महाजन सभा ने समानांतर सरकार स्थापित करने की धमकी दी। 

18वीं शताब्दी से चली आ रही सशक्त स्वतंत्रता संग्राम की कहानी। 

  • 19वीं सदी के गोवा के राष्ट्रवादी नेता फ्राँसिस्को लुइस गोम्स ने लगातार पुर्तगाली शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • गोवा राष्ट्रवाद के जनक ट्रिस्टा-डी-ब्रगांका कुन्हा ने 1928 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गोवा राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन किया था।   
  • राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (गोवा) ने गोवा, दमन और दीव की पूर्ण स्वतंत्रता और भारतीय संघ में इसके एकीकरण का समर्थन किया।
  • एक क्रांतिकारी संगठन, आज़ाद गोमांतक दल (AGD) ने भूमिगत विरोध आरंभ किया।

प्रमुख घटनाएँ

प्रमुख कार्यक्रम निम्न हैं:

  • जून 1948 में फ्राँसीसी सरकार ने चंद्रनगर (पश्चिम बंगाल) में जनमत संग्रह आयोजित किया, जिसमें भारत में विलय के पक्ष में मतदान हुआ।
  • वर्ष 1951 में फ्राँसीसी भारतीय क्षेत्रों को फ्राँसीसी और भारतीय क्षेत्रों से अलग करने वाली सीमाओं पर हिंसक मुठभेड़ों के कारण नुकसान हुआ।
  • वर्ष 1954 में विलय; वर्ष 1962 में अनुसमर्थन

प्रमुख कार्यक्रम निम्न हैं:

  • 15 अगस्त 1954 को गोवा राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस द्वारा एक जन सत्याग्रह आयोजित किया गया, जिसे पुर्तगाली अधिकारियों ने क्रूरतापूर्वक दबा दिया।
  • वर्ष 1955 में, तिरंगा झंडा उठाने वाले सत्याग्रहियों के जत्थों पर गोलियाँ चलाई गईं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए और गिरफ्तार कर लिये गए।
  • जुलाई 1954 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ क्रांतिकारी समूहों के साथ मिलकर पुर्तगालियों को दादर एवं नगर हवेली से बाहर कर दिया
  • वर्ष 1961 में भारत सरकार द्वारा चलाए गए ऑपरेशन विजय के परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीव पर सैन्य अधिग्रहण कर लिया गया।

स्थानांतरण का तरीका

भारत के साथ वार्ता से समाधान और राजनीतिक एकीकरण

सैन्य हस्तक्षेप (ऑपरेशन विजय) और जबरन विलय

अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव

फ्राँसीसी संघ की अवधारणा ने इस प्रक्रिया को प्रभावित किया; अफ्रीका और इंडोचीन में फ्राँसीसी उपनिवेशों पर पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता

पुर्तगाल में सालाजार तानाशाही; नाटो गठबंधन ने भारत की प्रतिक्रिया को जटिल बना दिया

भारत सरकार की भूमिका

कूटनीतिक दबाव, आर्थिक प्रतिबंध और शांतिपूर्ण एकीकरण के लिये वार्ता

कूटनीतिक प्रयास विफल; लम्बे कूटनीतिक विरोध के बाद सैन्य बल का प्रयोग किया गया।

निष्कर्ष

भारत में फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों के विऔपनिवेशीकरण ने विपरीत दृष्टिकोणों को उज़ागर किया - कूटनीतिक सूझबूझ बनाम सशस्त्र संघर्ष। फ्राँसीसी भारत ने शांतिपूर्ण परिवर्तन देखा, पुर्तगाल द्वारा गोवा को सौंपने से इनकार करने के कारण सैन्य कार्रवाई हुई। दोनों प्रक्रियाएँ भारत की स्वतंत्रता के बाद की क्षेत्रीय एकता को आकार देने में महत्त्वपूर्ण थीं और वैश्विक विऔपनिवेशीकरण को अधिक प्रेरित किया।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत की स्वतंत्रता के बाद अपने भारतीय क्षेत्रों को बनाए रखने में फ्राँसीसी और पुर्तगाली औपनिवेशिक शक्तियों के विपरीत दृष्टिकोणों का परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्र.निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2021)

  1. संत फ्राँसिस ज़ेवियर, जेसुइट संघ (ऑर्डर) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
  2. संत फ्राँसिस ज़ेवियर की मृत्यु गोवा में हुई तथा यहाँ उन्हें समर्पित एक गिरजाघर है।
  3. गोवा में प्रति वर्ष संत फ्राँसिस ज़ेवियर के भोज का अनुष्ठान किया जाता है।

उपर्युक्त कथर्नो में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c) 


प्रश्न: निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)

  1. भारत के किसी राज्य में सर्वप्रथम लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई साम्यवादी दल की सरकार।
  2. भारत का उस समय का सबसे बड़ा बैंक 'इम्पीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया' जिसका नाम बदलकर 'भारतीय स्टेट बैंक' रखा गया।
  3. एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और यह राष्ट्रीय वाहक बन गया।
  4. गोवा स्वतंत्र भारत का अंग बन गया।

निम्नलिखित में से कौन-सा उपर्युक्त घटनाओं का सही कालानुक्रम है?

(a) 4 – 1 – 2 – 3
(b) 3 – 2 – 1 – 4
(c) 4 – 2 – 1 – 3
(d) 3 – 1 – 2 – 4

उत्तर: (b)

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