भारतीय कारागारों में मासिक धर्म स्वच्छता | 30 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, विश्व बैंक, मासिक धर्म स्वच्छता योजना

मेन्स के लिये:

भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता, भारत में महिला कैदी, मासिक धर्म स्वास्थ्य नीतियाँ

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2024 पर, भारत मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey- 2019-2020) की रिपोर्ट के अनुसार 15-24 वर्ष की आयु की लगभग 80% युवा महिलाएँ वर्तमान में सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों का उपयोग करती हैं।

  • हालाँकि, सर्वाधिक रूप से भारतीय जेलों में हाशिये पर रहने वाली महिलाओं की ज़रूरतों को अनदेखा किया जाता है। सामाजिक पूर्वाग्रह इन महिलाओं को बुनियादी अधिकारों और उचित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन से वंचित करते हैं, जो आगे सुधार के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र को चिह्नित करता है।

जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता की स्थिति क्या है?

  • जनसंख्या: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारतीय जेलों में लगभग 23,772 महिलाएँ हैं, जिनमें से 77% प्रजनन आयु वर्ग (18-50 वर्ष) की हैं और उनमें से अधिकतर को संभवतः मासिक धर्म होता है।
  • असंगत पहुँच: जेलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता असमान है और यहाँ दिये जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
  • एक समान उत्पाद आकार: सभी जेलों में ‘एक ही आकार’ के सैनिटरी पैड जारी किये जाते हैं, जो सभी महिलाओं की अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते।
    • अधिकांश जेलों में अन्य प्रकार के मासिक धर्म संबंधी उत्पाद जैसे टैम्पोन (Tampons) या मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual Cup) उपलब्ध नहीं होते।
  • सुविधाओं का अभाव: 2016 मॉडल प्रिज़न मैनुअल की सिफारिशों के बावजूद, कई राज्यों ने महिला कैदियों को स्वच्छ जल और शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है।
  • अपशिष्ट निपटान संबंधी मुद्दे: मासिक धर्म स्वच्छता सामग्री के उचित निपटान हेतु किये गए कार्यों की अक्सर उपेक्षा की जाती है, जिससे महिलाओं का स्वास्थ्य और स्वच्छता दोनों प्रभावित होते हैं।
  • अतिरिक्त चुनौतियाँ: भीड़भाड़ और निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति के कारण जल, डिटर्जेंट एवं साबुन जैसी आवश्यक वस्तुओं तक पहुँच में बाधा उत्पन्न होती है।

जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की अनदेखी क्यों की जाती है?

  • कलंक का भय: मासिक धर्म अपने आप में एक वर्जित विषय हो सकता है और खासकर जेल के वातावरण में इस पर खुलकर चर्चा करने में झिझक हो सकती है। इससे महिलाओं के लिये अपनी ज़रूरत की चीज़ें मांगना मुश्किल हो सकता है।
  • कानूनी ढाँचे का अभाव: जेलों में मुफ्त, असीमित सैनिटरी उत्पादों के प्रावधान को अनिवार्य बनाने वाला कोई प्रभावी कानून नहीं है।
    • किसी भी जेल नियम में महिला कैदियों को मासिक धर्म के दौरान गर्म पानी उपलब्ध कराने का कोई प्रावधान नहीं है।
    • मासिक धर्म स्वास्थ्य योजनाएँ: मासिक धर्म स्वच्छता योजना, 2011, स्वच्छ भारत अभियान और प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना जैसी मौज़ूदा योजनाएँ विशेष रूप से महिला कैदियों की ज़रूरतों को पूरा नहीं करती हैं।
    • मॉडल प्रिज़न मैनुअल, 2016 में आवश्यकतानुसार स्टेरेलाइज़्ड सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है, लेकिन राज्यों और जेलों में इसके क्रियान्वयन में व्यापक अंतर मौज़ूद है।
  • पर्याप्त आँकड़ों का अभाव: जेलों में जल की उपलब्धता के संबंध में पर्याप्त आँकड़ों का अभाव है, जिससे स्वच्छता संबंधी आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के प्रयास और अधिक जटिल हो जाते हैं।
  • जागरूकता का अभाव: जेल के अधिकारियों को मासिक धर्म के दौरान महिलाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं या उनके स्वास्थ्य के लिये मासिक धर्म स्वच्छता के महत्त्व के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है।
  • बजटीय बाधाएँ: मासिक धर्म संबंधी उत्पाद उपलब्ध कराने को एक अतिरिक्त व्यय के रूप में देखा जा सकता है, विशेष रूप से सीमित संसाधनों वाली जेलों में जहाँ भीड़भाड़ अधिक होती है।

मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (Menstrual Hygiene Management- MHM): 

  • यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानवाधिकारों का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। यह रक्त को सोखने या इकट्ठा करने के लिये स्वच्छ मासिक धर्म सामग्री का उपयोग करने की प्रथा को संदर्भित करता है।
  • MHM में आवश्यकतानुसार शरीर को धोने के लिये साबुन और पानी का उपयोग तथा प्रयुक्त मासिक धर्म सामग्री के निपटान की सुविधा तक पहुँच भी शामिल है।
  • यूनिसेफ मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व पर ज़ोर देता है, क्योंकि यह मासिक धर्म वाली लाखों महिलाओं की गरिमा, स्वास्थ्य और शिक्षा को प्रभावित करता है, विशेष रूप से विकासशील देशों में जहाँ स्वच्छ जल तथा स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच सीमित हो सकती है।
  • विश्व बैंक जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य (WASH) सुविधाओं, मासिक धर्म से संबंधित किफायती स्वच्छता सामग्री, बेहतर तरीकों की जानकारी और शर्मिंदगी के बिना मासिक धर्म का प्रबंधन करने के लिये एक सहायक वातावरण तक पहुँच की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है।
  • मासिक धर्म स्वास्थ्य को मानवाधिकार का मुद्दा माना जाता है। हर किसी को शारीरिक स्वायत्तता का अधिकार है, जिसमें मासिक धर्म के दौरान अपने शरीर की देखभाल करने की क्षमता शामिल है।

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2024:

  • विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 28 मई को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी चुप्पी को तोड़ना और एक बेहतर मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
  • थीम: "#पीरियडफ्रेंडलीवर्ल्ड"
  • इतिहास: वर्ष 2013 में जर्मनी स्थित गैर सरकारी संगठन WASH यूनाइटेड ने मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों से निपटने और उचित स्वच्छता सुविधाओं तथा किफायती मासिक धर्म उत्पादों तक पहुँच को बढ़ावा देने के लिये मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की शुरुआत की।

मासिक धर्म स्वच्छता से संबंधित सरकारी पहल क्या हैं?

  • राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति: वर्ष 2023 में प्रस्तुत की जाने वाली यह नीति सभी के लिये सुरक्षित और सम्मानजनक मासिक धर्म स्वच्छता पर ज़ोर देती है।
    • उल्लेखनीय बात यह है कि नीति में कैदियों को लक्षित जनसंख्या के रूप में चिह्नित किया गया है, जिनकी मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच कमज़ोर है, जो एक सकारात्मक कदम है।
    • ठोस योजनाओं का अभाव: नीति में जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में सुधार के लिये कोई विशिष्ट कार्य योजना प्रदान नहीं की गई है।
  • मासिक धर्म स्वच्छता योजना (MHS): स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 10-19 वर्ष आयु वर्ग की ग्रामीण किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये मासिक धर्म स्वच्छता योजना (Menstrual Hygiene Scheme- MHS) शुरू की है।
    • यह योजना विकेंद्रीकृत क्रय के माध्यम से किशोरियों को किफायती दरों पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराती है तथा इनके वितरण और शिक्षा के लिये मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (Accredited Social Health Activist-ASHA) ज़िम्मेदार होती हैं।
  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP): सुरक्षा सुविधा नैपकिन (ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन) जन औषधि केंद्रों पर 1 रुपए प्रति नैपकिन की दर से उपलब्ध हैं।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP) (मिशन शक्ति):
    • मासिक धर्म स्वच्छता और सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना ।
  • समग्र शिक्षा: मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिये राज्य-विशिष्ट परियोजनाएँ, जिनमें स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें तथा भस्मक (Incinerators) मशीनें लगाना शामिल है।
  • ज़ीरो-नैपकिन मिशन: ज़ीरो-नैपकिन मिशन का उद्देश्य सिंथेटिक (कृत्रिम) नैपकिन को मेंस्ट्रुअल कप से बदलना है, जिसे केरल में लागू किया गया है।
    • सिंथेटिक नैपकिन से उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण, केरल में स्थानीय निकाय मेंस्ट्रुअल कप वितरित कर रहे हैं और उनके उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ा रहे हैं।

आगे की राह 

  • पीरियड पैंट्री (Period Pantry): जेलों में कैदियों के लिये निर्दिष्ट और सुलभ स्थान निर्मित किये जाने चाहिये, जहाँ वे गुप्त रूप से मासिक धर्म संबंधी आपूर्ति का अनुरोध कर सकें तथा उसे प्राप्त कर सकें, जैसे उत्पादों से भरे वेंडिंग मशीन या वितरण के लिये नामित कर्मचारी।
  • स्वच्छता नायिकाएँ: जेल में बंद महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के सर्वोत्तम तरीकों पर सहकर्मी शिक्षक बनने के लिये प्रशिक्षित करना चाहिये।
    • इससे उन्हें साथी कैदियों के साथ ज्ञान साझा करने, सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने और आत्म-देखभाल करने में  सहायता मिलती है।
    • मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन और गलत धारणाओं को दूर करने हेतु जेल कर्मचारियों के लिये कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिये।
    • स्त्री रोग संबंधी जाँच और मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर शिक्षा के लिये नियमित पहुँच प्रदान करने हेतु महिला स्वास्थ्य पेशेवरों को शामिल करना चाहिये।
  • बुनियादी मानकों की गारंटी: सरकार को जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता के लिये एक समान राष्ट्रीय विनियमन स्थापित करने चाहिये तथा उन्हें बनाए रखना चाहिये, जिसमें मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी पैड उपलब्ध कराना, महिला वार्डों में उचित वेंटिलेशन के साथ स्वच्छ और कार्यशील शौचालय सुनिश्चित करना व सैनिटरी पैड के लिये सुरक्षित एवं स्वच्छ निपटान डिब्बे उपलब्ध कराना शामिल है।
    • शौचालयों की मरम्मत और उन्नयन के लिये बजट आवंटित करके जेलों के बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना चाहिये।
  • स्थिरता और निगरानी: कार्यान्वयन का आकलन करने, उत्पाद की उपलब्धता पर नज़र रखने और समस्याओं का समाधान हेतु एक निगरानी प्रणाली स्थापित करनी चाहिये। मासिक धर्म स्वच्छता को एक बुनियादी अधिकार के रूप में बढ़ावा देना चाहिये और महिलाओं के कल्याण पर निरंतर ध्यान देने के लिये  इसे जेल सुधार पहलों में शामिल किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक अनिवार्य घटक है। भारत में जेल में बंद महिलाओं के लिये सम्मानजनक और पर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता सुविधाएँ सुनिश्चित करने के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत में समय और स्थान के विरुद्ध महिलाओं के लिये निरंतर चुनौतियाँ क्या हैं? (2019)