भारतीय इतिहास
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
- 12 Nov 2022
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:मॉर्ले-मिंटो सुधार (1909), असहयोग आंदोलन, गांधीजी का नमक सत्याग्रह। मेन्स के लिये:मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और उनका योगदान। |
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री ने देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को उनकी 134वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
- वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष 11 नवंबर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद:
- जन्म: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जिनका मूल नाम मुहियुद्दीन अहमद था, का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था।
- आज़ाद एक उत्कृष्ट वक्ता थे, जैसा कि उनके नाम से संकेत मिलता है- ‘अबुल कलाम’ का शाब्दिक अर्थ है ‘संवादों का देवता’ (Lord of Dialogues)।
- संक्षिप्त परिचय:
- वे एक पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् थे।
- योगदान (स्वतंत्रता पूर्व):
- ये विभाजन के कट्टर विरोधी थे तथा हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे।
- वर्ष 1912 में उन्होंने उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की, जिसने मॉर्ले-मिंटो सुधारों (1909) के बाद दो समुदायों के बीच हुए मनमुटाव को समाप्त कर हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वर्ष 1909 के सुधारों के तहत मुसलमानों के लिये अलग निर्वाचक मंडल के प्रावधान का हिंदुओं द्वारा विरोध किया गया था।
- सरकार ने अल-हिलाल पत्रिका को अलगाववादी विचारों का प्रचारक माना और 1914 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया।
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर आधारित भारतीय राष्ट्रवाद और क्रांतिकारी विचारों के प्रचार के समान मिशन के साथ अल-बालाग नामक एक अन्य साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
- वर्ष 1916 में ब्रिटिश सरकार ने इस पत्र पर भी प्रतिबंध लगा दिया तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कलकत्ता से निष्कासित कर बिहार निर्वासित कर दिया गया, जहाँ से उन्हें वर्ष 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद रिहा कर दिया गया था।
- वर्ष 1912 में उन्होंने उर्दू में अल-हिलाल नामक एक साप्ताहिक पत्रिका शुरू की, जिसने मॉर्ले-मिंटो सुधारों (1909) के बाद दो समुदायों के बीच हुए मनमुटाव को समाप्त कर हिंदू-मुस्लिम एकता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आज़ाद ने गांधीजी द्वारा शुरू किये गए असहयोग आंदोलन (1920-22) का समर्थन किया और 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए।
- वर्ष 1923 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 35 वर्ष की आयु में वह भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस की अध्यक्षता करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए।
- वर्ष 1930 में मौलाना आज़ाद को गांधीजी के नमक सत्याग्रह में शामिल होने तथा नमक कानून का उल्लंघन करने के लिये गिरफ्तार किया गया था। उन्हें डेढ़ साल तक मेरठ जेल में रखा गया था।
- वे 1940 में फिर से कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बने और 1946 तक इस पद पर बने रहे।
- ये विभाजन के कट्टर विरोधी थे तथा हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे।
- एक शिक्षाविद्:
- शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आज़ाद उदारवादी सर्वहितवाद/सार्वभौमिकता के प्रतिपादक थे, जो वास्तव में उदार मानवीय शिक्षा प्रणाली थी।
- शिक्षा के संदर्भ में आज़ाद की विचारधारा पूर्वी और पश्चिमी अवधारणाओं के सम्मिलन पर केंद्रित थी जिससे पूरी तरह से एकीकृत व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। जहाँ पूर्वी अवधारणा आध्यात्मिक उत्कृष्टता एवं व्यक्तिगत मोक्ष पर आधारित थी वहीं पश्चिमी अवधारणा ने सांसारिक उपलब्धियों और सामाजिक प्रगति पर अधिक बल दिया।
- वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जिसे मूल रूप से वर्ष 1920 में संयुक्त प्रांत के अलीगढ़ में स्थापित किया गया था।
- उनकी रचनाएँ: बेसिक कॉन्सेप्ट ऑफ कुरान, गुबार-ए-खातिर, दर्श-ए-वफा, इंडिया विन्स फ्रीडम आदि।
- योगदान (स्वतंत्रता के पश्चात्):
- वर्ष 1947 में वह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने और वर्ष 1958 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने देश के उत्थान के लिये उल्लेखनीय कार्य किये।
- शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान देश में पहले IIT, IISc, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की गई थी।
- अन्य देशों में भारतीय संस्कृति के परिचय हेतु भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations-ICCR) का गठन किया।
- उन्होंने निम्नलिखित तीन अकादमियों का गठन किया:
- साहित्य के विकास के लिये साहित्य अकादमी।
- भारतीय संगीत एवं नृत्य के विकास के लिये संगीत नाटक अकादमी।
- चित्रकला के विकास के लिये ललित कला अकादमी।
- वर्ष 1947 में वह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने और वर्ष 1958 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर बने रहे। अपने कार्यकाल में उन्होंने देश के उत्थान के लिये उल्लेखनीय कार्य किये।
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सी एक पत्रिका अबुल कलाम आज़ाद द्वारा निकाली गई थी? (2008) (a) अल-हिलाल उत्तर: (a) प्रश्न. आज़ादी से पहले और बाद के भारत में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के योगदान पर चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013) |