समुद्री रेत निष्कर्षण | 07 Sep 2023
प्रिलिम्स के लिये:सतत् रेत खनन प्रबंधन दिशा-निर्देश 2016, समुद्री रेत निगरानी मेन्स के लिये:समुद्री रेत निष्कर्षण, भारत में रेत खनन के पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
"मरीन सैंड वॉच (Marine Sand Watch)" नामक एक नवीनतम डेटा प्लेटफॉर्म ने रेत निष्कर्षण के पैमाने तथा इसके दूरगामी परिणामों का खुलासा करते हुए इससे संबंधित प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला है।
- विश्व के महासागरों से रेत का निरंतर उत्खनन समुद्री पारिस्थितिक तंत्र तथा तटीय समुदायों के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है।
समुद्री रेत निष्कर्षण:
- परिचय:
- समुद्री रेत निष्कर्षण निर्माण, भूमि सुधार, समुद्र तट पोषण (Beach Nourishment) या खनन जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिये समुद्र तल या तटीय क्षेत्र से रेत निकालने की प्रक्रिया है।
- प्रक्रिया:
- ड्रेजिंग:
- ड्रेजिंग (Dredging) समुद्री रेत निष्कर्षण का सबसे आम तरीका है। इसमें समुद्र तल से रेत निकालने और उसे किनारे या किसी अन्य स्थान पर ले जाने के लिये सक्शन पाइप या यांत्रिक पकड़ से सुसज्जित एक जहाज़ का उपयोग करना शामिल है।
- खनन:
- खनन समुद्री रेत निष्कर्षण का एक अन्य तरीका है। इसमें रेत के भंडार को विखंडित करने और उनमें से खनिज या धातु निष्कर्षण के लिये विशेष उपकरण, जैसे- ड्रिल, कटर या जेट का उपयोग करना शामिल है।
- संचयन:
- संचयन, समुद्री रेत निष्कर्षण की एक न्यूनतम प्रचलित विधि है। इसमें तटीय क्षेत्र से रेत एकत्रित करने और इसे तट पर संचय करने के लिये लहरों, धाराओं या ज्वार जैसी प्राकृतिक शक्तियों का उपयोग करना शामिल है।
- ड्रेजिंग:
- निष्कर्षण अनुमान:
- इस प्लेटफॉर्म का अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष समुद्र तल से चार से आठ अरब टन रेत का निष्कर्षण किया जा रहा है।
- समुद्री रेत निष्कर्षण प्रतिवर्ष 10 से 16 बिलियन टन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो प्राकृतिक पुनः पूर्ति दर या वह मात्रा है जो नदियों को तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र संरचना तथा कार्य को बनाए रखने के लिये आवश्यक है।
- इस प्लेटफॉर्म का अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष समुद्र तल से चार से आठ अरब टन रेत का निष्कर्षण किया जा रहा है।
मरीन सैंड वाॅच:
- यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अंतर्गत सेंटर फॉर एनालिटिक्स द्वारा विकसित एक डेटा प्लेटफॉर्म है।
- यह प्लेटफॉर्म विश्व के समुद्री वातावरण में रेत, मिट्टी, गाद, बजरी और चट्टान की ड्रेजिंग (हटाने) गतिविधियों को ट्रैक और मॉनीटर करेगा।
- यह विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र वाले देशों द्वारा रेत निष्कर्षण के लिये उपयोग किये जाने वाले क्षेत्रों, पूंजी और रखरखाव, ड्रेजिंग के क्षेत्रों, रेत-व्यापार बंदरगाहों/हबों, जहाज़ों और ऑपरेटरों की संख्या, तलछट के निष्कर्षण एवं अन्य प्रकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
समुद्री रेत निष्कर्षण के प्रभाव:
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- जल का मैलापन: रेत निकालने से जल का मैलापन (किसी तरल पदार्थ की सापेक्ष स्पष्टता का माप) बढ़ जाता है, जिससे जल की स्पष्टता कम हो जाती है तथा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
- पोषक तत्त्वों में परिवर्तन: यह पोषक तत्त्वों की उपलब्धता को प्रभावित करने के साथ-साथ संभावित रूप से समुद्री वनस्पतियों तथा जीवों को नुकसान पहुँचाता है।
- ध्वनि प्रदूषण: निष्कर्षण प्रक्रिया से ध्वनि प्रदूषण होता है जो समुद्री जीवों और उनके आवासों को प्रभावित कर सकता है।
- सामुदायिक और अवसंरचनात्मक प्रभाव:
- तटीय समुदाय की संवेदनशीलता: तटीय समुदायों को समुद्र के बढ़ते स्तर और तूफानों से संरक्षण के लिये सुरक्षा अवसंरचनाओं के लिये रेत की आवश्यकता होती है, समुद्री रेत निष्कर्षण के कारण उनमें सुरक्षा संबंधी जोखिम बढ़ने की काफी संभावना होती है।
- अवसंरचना निर्माण में महत्त्व: पवन और तरंग टरबाइन सहित अपतटीय ढाँचे के निर्माण के लिये समुद्री रेत महत्त्वपूर्ण है।
- लवणीकरण का जोखिम: तटीय निष्कर्षण से जलभृतों का लवणीकरण हो सकता है जिससे मीठे जल के संसाधन प्रभावित हो सकते हैं।
- पर्यटन विकास: रेत निकासी कार्य आने वाले समय में तटीय क्षेत्रों में पर्यटन विकास में बाधा बन सकता है, जिसका स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
समुद्री रेत निष्कर्षण पर प्रतिक्रियाएँ:
- भारत में रेत खनन:
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत रेत को "लघु खनिज" के रूप में वर्गीकृत किया गया है और लघु खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है।
- नदियाँ और तटीय क्षेत्र रेत के मुख्य स्रोत हैं तथा देश में निर्माण और बुनियादी ढाँचे के विकास में आई तेज़ी के कारण हाल के वर्षों में इसकी मांग काफी बढ़ गई है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वैज्ञानिक रेत खनन तथा पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिये "सतत् रेत खनन प्रबंधन दिशा-निर्देश 2016" जारी किये हैं।
- वैश्विक प्रतिक्रियाएँ:
- इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम तथा कंबोडिया जैसे कुछ देशों ने पिछले दो दशकों में समुद्री रेत निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- UNEP की सिफारिशें:
- UNEP, रेत निष्कर्षण तथा उपयोग की बेहतर निगरानी की वकालत करता है।
- UNEP समुद्री पर्यावरण में रेत निष्कर्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों की स्थापना का आह्वान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण (ISA):
- ISA एक अंतर-सरकारी संगठन है जो अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में गहरे समुद्र में खनन तथा अन्वेषण को नियंत्रित करता है।
- ISA की स्थापना वर्ष 1982 में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के तहत की गई थी।
आगे की राह
- समुद्री रेत निष्कर्षण के संधारणीय विकल्पों के लिये अधिक नवाचार तथा निवेश की आवश्यकता है। इसमें बेहतर निर्माण सामग्री, पुनर्चक्रण एवं चक्रीय अर्थव्यवस्था सिद्धांतों के माध्यम से रेत की मांग को कम करना शामिल है।
- इसमें रेत के वैकल्पिक स्रोतों की खोज भी शामिल है, जैसे क्रश्ड रॉक्स अथवा खदान की धूल से विनिर्मित रेत, रेगिस्तान या ज्वालामुखीय रेत जैसे प्राकृतिक स्रोत भी शामिल हैं।
- विभिन्न स्तरों पर समुद्री रेत निष्कर्षण का प्रभावी प्रशासन तथा विनियमन महत्त्वपूर्ण है। इसमें पर्यावरण मूल्यांकन, लाइसेंसिंग, रिपोर्टिंग एवं ऑडिटिंग के लिये स्पष्ट मानक स्थापित करना शामिल है।
- UNEP मरीन सैंड वॉच पहल एक सकारात्मक कदम है, लेकिन बेहतर डेटा तथा नीति निर्धारण के लिये हितधारकों से अधिक सहयोग एवं समर्थन की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.प्निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b)
मेन्स:प्रश्न. तटीय बालू खनन, चाहे वह वैध हो या अवैध, हमारे पर्यावरण के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है। भारतीय तटों पर बालू के प्रभाव का विशिष्ट उदाहरणों का हवाला देते हुए विश्लेषण कीजिये। (2019) |