विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019
चर्चा में क्यों?
राज्य सभा ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019 [Special Economic Zones (Amendment) Bill, 2019] को मंज़ूरी दे दी है जो उद्योगों को विशेष आर्थिक क्षेत्रों में इकाइयों की स्थापना की अनुमति प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक मार्च 2019 में प्रवर्तित विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा एवं राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने के बाद कानून बन जाएगा।
- सरकार का मानना है कि SEZ अधिनियम, 2005 (SEZs Act, 2005) के वर्तमान प्रावधान, व्यापारिक संस्थाओं को विशेष आर्थिक क्षेत्रों में व्यापारिक इकाइयाँ स्थापित करने की अनुमति नहीं देते हैं। लेकिन विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2019 SEZ में इकाइयाँ स्थापित करने के लिये अनुमति देने पर विचार किया जा सकेगा।
- यह संशोधन केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति या किसी भी संस्था को परिभाषित करने के संबंध में लचीलापन प्रदान करेगा जिसे केंद्र सरकार समय-समय पर अधिसूचित कर सकती है। सरकार का मानना है कि इस संशोधन से SEZ में किये जाने वाले निवेश में भी वृद्धि होगी।
- कानून के अनुसार, एक व्यक्ति, एक हिंदू विभाजित परिवार, एक कंपनी, सहकारी समिति या एक फर्म को ‘व्यक्ति’ की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
- वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह एक छोटा सा संशोधन है जिसका निवेश, नौकरी और विकास पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) क्या है?
- विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है।
- ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं।
- भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया।
- भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये वर्ष 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।