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जैव विविधता और पर्यावरण

समुद्री प्रकाश प्रदूषण

  • 15 Sep 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था, प्रवाल और प्लवक

मेन्स के लिये:

रात में कृत्रिम प्रकाश (ALAN) - महत्त्व और संबंधित मुद्दे, जीवों पर कृत्रिम बिजली का प्रभाव, प्रकाश प्रदूषण

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?  

 भूमि-आधारित जीवन (मनुष्य, जुगनू और पक्षी) पर कृत्रिम प्रकाश का प्रभाव काफी समय से ज्ञात है।

  • हालाँकि हाल ही में अमेरिका स्थित एक अध्ययन में तटीय समुद्री जीवों पर भी प्रकाश प्रदूषण के प्रभाव को लेकर विचार करने का तर्क दिया गया है, जो व्हेल से लेकर मछली, प्रवाल और प्लवक तक सभी को प्रभावित करता है।

समुद्री पर्यावरण में कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था:

  • परिचय: 
    • कृत्रिम प्रकाश से तात्पर्य उस प्रकाश से है जो कृत्रिम स्रोतों जैसे- मोमबत्तियाँ, आग, बिजली आदि से उत्पन्न होता है।
      • पारिस्थितिकीविदों और जीव विज्ञानियों ने लंबे समय से माना है कि रात में कृत्रिम प्रकाश मनुष्यों तथा स्थलीय वन्यजीवों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
    • हाल के शोध से पता चलता है कि समुद्री जीवन कृत्रिम प्रकाश के प्रति भी संवेदनशील है, जिसमें बेहद निम्न स्तर और कुछ तरंग दैर्ध्य, विशेष रूप से नीली एवं हरी रोशनी शामिल है।
  • समुद्री प्रकाश प्रदूषण: जब इस कृत्रिम प्रकाश का उपयोग अत्यधिक या खराब तरीके से किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण बन जाता है और वन्यजीवों के प्राकृतिक पैटर्न को बाधित करता है, जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) में वृद्धि होती है।
    • वैज्ञानिकों ने पाया कि समुद्र के 1.9 मिलियन किमी 2 में 1 मीटर की गहराई तक जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण मात्रा में कृत्रिम प्रकाश प्रदूषण होता है।
    • समुद्र के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में 10 मीटर, 20 मीटर या उससे अधिक की गहराई तक प्रकाश का प्रभाव देखा जाता है।
      • स्वच्छ जल वाले क्षेत्रों में रात में प्रकाश 40 मीटर से अधिक की गहराई तक पहुँच सकता है।
  • स्रोत:
    • तटीय विकास (उदाहरण के लिये भवन, स्ट्रीटलाइट, बिलबोर्ड, बंदरगाह, घाट, गोदी और लाइट हाउस)।
    • जहाज़ (उदाहरण के लिये मत्स्यन और व्यापारिक समुद्री जहाज़), बंदरगाह और तेल रिग जैसी अपतटीय अवसंरचनाएँ।
    •  समुद्री वातावरण में कुछ सामान्य प्रकार की कृत्रिम रोशनी जैसे- LED, फ्लोरोसेंट, मेटल हैलाइड और प्लाज़्मा लैंप हैं।
      • सफेद LED व्यापक स्पेक्ट्रम प्रकाश उत्पन्न करते हैं जिसे जीवों की एक विस्तृत शृंखला द्वारा महसूस किया जाता है और छोटी तरंग दैर्ध्य (नीली और हरी रोशनी) पर चरम होता है जिसके प्रति कई समुद्री जीव विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।

नोट: 

  • पृथ्वी प्रतिवर्ष 2.2% की दर से कृत्रिम रूप से प्रदीप्त होती जा रही है। इन प्रदीप्त रातों के परिणामस्वरूप रात्रि में कृत्रिम प्रकाश (ALAN) का बढ़ता हुआ प्रभाव स्थलीय पारिस्थितिकी के लिये केंद्र बिंदु बन गया है।
  • अनुसंधान से पता चला है कि ALAN मानवजनित प्रदूषण का एक प्रमुख रूप है जो शरीर विज्ञान, व्यवहार, जीव-जंतुओं की गतिविधियों, प्रजातियों की अन्योन्य क्रिया, सामुदायिक संरचना और प्रजनन सहित कई प्रकार की जैविक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है।

कृत्रिम प्रदीप्ति का समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:

  • सामान्य चक्रों का विघटन: अध्ययन के अनुसार, समुद्री जीवों को प्राकृतिक प्रकाश/प्रदीप्ति के अनुकूल होने में पहले से ही लाखों वर्षों से अधिक का समय लगा है और अब लगातार बढ़ते मानवजनित प्रकाश प्रदूषण का खतरा उनके लिये कई जोखिम उत्पन्न कर रहा है।
    • कृत्रिम प्रकाश चाँद और तारों की प्रदीप्ति/चमक को आसानी से खत्म कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उनके हार्मोनल चक्र, अंतर-प्रजाति व्यवहार और प्रजनन चक्र बाधित हो सकते हैं।
  • उदाहरण: उदाहरण के लिये मादा समुद्री कछुए अंडे देने के लिये एक शांत, अँधेरी जगह ढूँढने और रोशनी से बचने की कोशिश करती हैं। हालाँकि कृत्रिम प्रकाश के कारण ऐसा भी हो सकता है कि वे तट पर न आएँ।
    • इसके अलावा उनकी संतति भी जल में चाँदनी की बजाय कृत्रिम रोशनी की ओर बढ़ती हैं और फिर निर्जलीकरण या भूख से मर जाती हैं।
  • LED के गंभीर प्रभाव: LED प्रकाश व्यवस्था का लगातार बढ़ता उपयोग कृत्रिम प्रकाश की प्रकृति को भी बदल रहा है।
  • सुझाव:
    • रात में रोशनी की ओर आकर्षित होने वाले प्रवासी पक्षियों की मदद के लिये भूमि-आधारित लाइट्स आउट प्रयासों (आसमान को अँधेरा रखने के लिये स्थानीय, राज्य और क्षेत्रीय अभियान) को प्रोत्साहित करना। इससे तटीय शहरों के पास समुद्री तंत्रों को भी लाभ होगा।
    • तटीय क्षेत्रों में लाल बत्ती का उपयोग यथासंभव बढ़ाना और समुद्र तट को कृत्रिम रोशनी से बचाने के लिये अवरोध लगाना।
      • दृश्यमान स्पेक्ट्रम में सबसे अधिक तरंग दैर्ध्य वाली लाल रोशनी, समुद्र के जल में काफी दूर तक प्रवेश नहीं कर पाती है।

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