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जैव विविधता और पर्यावरण

समुद्री तितलियाँ

  • 18 May 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री तितलियाँ, महासागरीय अम्लीकरण

मेन्स के लिये:

समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, महासागरीय अम्लीकरण

चर्चा में क्यों? 

जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिणी महासागर में समुद्री तितलियों की आबादी कम हो रही है, जिससे वे बेहद कमज़ोर हो गई हैं।

समुद्री तितलियाँ: 

  • परिचय: 
    • समुद्री तितलियाँ, वैज्ञानिक नाम थेकोसोमाटा, समुद्री घोंघे का एक उपसमूह है जिसे शेल्ड टेरोपोड्स के रूप में जाना जाता है।
    • उनके मांसल पैर होते हैं जो उन्हें ठोस सतहों पर ग्लाइडिंग के बदले जल में तैरने की अनुमति देते हैं। 
    • समुद्री तितलियाँ होलोप्लांकटोनिक हैं (ऐसे जीव जो अपना पूरा जीवन तैरते हुए, बहते हुए या जल में स्वतंत्र रूप से तैरते हुए गुज़ारते हैं) और अपना पूरा जीवन चक्र जल स्तंभ में व्यतीत करती हैं।
    • वे सभी महासागरों में पाई जाती हैं लेकिन ठंडे पानी में अधिक विविध और प्रचुर मात्रा में होती हैं।
    • समुद्री तितलियों में दोहरी समरूपता पाई जाती है और विभिन्न आकृतियों एवं आकारों का एक कुंडलित या बिना खोल वाला कवच पाया जाता है।
      • उनका कवच ज़्यादातर पारदर्शी और बहुत नाजुक होता है जो समुद्र के अम्लीकरण के कारण आसानी से नष्ट हो सकता है।
    • उनके पास प्रणोदन के लिये पंखों की तरह लोब या पैरापोडिया की एक जोड़ी होती है, साथ ही आँख, स्पर्शक और शिकार को पकड़ने के लिये एक लंबी सूंड एवं सिर होता है।
    • उनमें गलफड़ों की कमी होती है और ओक्सीजन के लिये उन्हें अपने शरीर की सतह पर निर्भर रहना पड़ता है।

  • महत्त्व: 
    • वे कई मछलियों, समुद्री पक्षियों, व्हेल और अन्य समुद्री जीवों के लिये प्रमुख भोजन स्रोत हैं।
    • वे अपने कवच या संरचना और मल के माध्यम से कार्बन को सतह से गहरे समुद्र तक ले जाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जलवायु परिवर्तन का समुद्री तितलियों की आबादी पर प्रभाव:

  • महासागरीय अम्लीकरण:
    • समुद्र द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण में वृद्धि से उच्च अम्लता की स्थिति देखी जाती है। 
    • इनमें खोल निर्माण और रख-रखाव हेतु आवश्यक कार्बोनेट आयनों की उपलब्धता की कमी होती है।
    • चूँकि अधिक CO2 सर्दियों के दौरान ठंडे जल से अवशोषित हो जाती है, इसलिये महासागर अपने सबसे अम्लीय स्तर पर होता है। जो यह इंगित करता है कि समुद्री तितलियों को सर्दियों के दौरान सबसे अधिक खतरा होता है।
      • समुद्री तितलियों (Sea Butterflies) के कवच नष्ट हो सकते हैं, कमज़ोर हो सकते हैं या खराब हो सकते हैं।
      • परभक्षियों, संक्रमणों और तनाव के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि।
      • चयापचय, विकास, प्रजनन और अस्तित्व को प्रभावित करता है।
  • महासागर उष्मीकरण: 
    • जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है। 
    • समुद्री तितलियों के निवास वितरण और प्रचुरता में परिवर्तन। 
    • विकास और अस्तित्व के लिये इष्टतम तापीय स्थितियों की खोज। 
    • भोजन की उपलब्धता और गुणवत्ता में कमी।
    • यह समुद्री धाराओं को प्रभावित कर समुद्री तितलियों के परिवहन को प्रभावित करता है।
  • महासागर डी-ऑक्सीजनेशन: 
    • गर्म और स्तरीकृत महासागर ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है। 
    • समुद्री तितलियों की श्वसन और ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करता है।
    • वर्टिकल माइग्रेशन पैटर्न को बदल देता है। 
    • कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता को बढ़ाकर समुद्र के अम्लीकरण के प्रभावों को बढ़ाता है।

तितलियों की आबादी में कमी का अंटार्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव:

  • उच्च पोषण स्तर के भोजन की उपलब्धता में कमी:
    • समुद्री तितलियाँ, मछली समेत समुद्री पक्षी, व्हेल और अन्य समुद्री जीवों के लिये एक प्रमुख खाद्य स्रोत के रूप में कार्य करती हैं। 
      • समुद्री तितलियों की आबादी में गिरावट से इनके उपभोक्ता और शिकार के समक्ष भुखमरी, कुपोषण या कम प्रजनन का संकट उत्पन्न हो सकता है। 
  • समुद्री खाद्य जाल के संतुलन को बाधित करना: 
    • समुद्री तितलियाँ प्राथमिक उत्पादकों (फाइटोप्लांकटन) को द्वितीयक उपभोक्ताओं (ज़ूप्लंकटन) और उच्च ट्रॉफिक स्तरों से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • समुद्री तितलियों की आबादी में गिरावट समुद्री खाद्य जाल की संरचना और कार्य को बदल सकती है।
    • अंटार्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की जैवविविधता और उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
  • महासागर की कार्बन पृथक्करण क्षमता में कमी:
    • समुद्री तितलियाँ कार्बन को सतह से गहरे समुद्र तक शैल और मल पट्टी (Shells and Fecal Pellets) के माध्यम से ले जाने में योगदान करती हैं।
    • इनकी आबादी में गिरावट से समुद्र में कार्बन प्रच्छादित (वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषण और उसे संग्रहीत करने की प्रक्रिया) मात्रा कम हो जाती है। 
    • इसके परिणामस्वरूप वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और समुद्र का अम्लीकरण हो जाता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. महासागरों का अम्लीकरण बढ़ रहा है। यह घटना क्यों चिंता का विषय है?

1- कैल्सियमी पादपप्लवक की वृद्धि और उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
2- प्रवाल-भित्ति की वृद्धि और उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
3- कुछ प्राणी, जिनके डिम्भक पादपप्लवकीय होते है, की उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
4- मेघ बीजन और मेघों का बनना प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a) 


मेन्स:

प्रश्न. प्रवाल जीवन तंत्र पर वैश्विक तापन के प्रभाव का उदाहरण सहित आकलन कीजिये। (2019)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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