मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग | 24 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग, प्रवाल विरंजन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रेट बैरियर रीफ, जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल मेन्स के लिये:समुद्री बादलों के चमकने का तंत्र और संबंधित चुनौतियाँ एवं जोखिम, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, संरक्षण |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग/ समुद्री बादल उज्ज्वलन की अवधारणा ने समुद्री गर्मी के अत्यधिक तापमान से निपटने की रणनीति के साथ-साथ प्रवाल विरंजन को कम करने और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करने की तकनीक के रूप में लोकप्रियता हासिल की है।
मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग:
- परिचय:
- क्लाउड ब्राइटनिंग की अवधारणा ब्रिटिश क्लाउड भौतिक विज्ञानी जॉन लैथम ने दी है, उन्होंने वर्ष 1990 में पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन को बदलकर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के साधन के रूप में इस विचार को प्रस्तावित किया था।
- लैथम की गणना से पता चला है कि संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों पर चमकते बादल पूर्व-औद्योगिक वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड के दोगुने होने के कारण होने वाली गर्मी का प्रतिकार कर सकते हैं।
- मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग की प्रक्रिया:
- स्वच्छ समुद्री वायु में बादल मुख्य रूप से सल्फेट्स और समुद्री लवणीय क्रिस्टल से बनते हैं, जो अपेक्षाकृत दुर्लभ होते हैं, जिससे न्यून प्रकाश परावर्तन वाली बड़ी बूंदें बनती हैं।
- मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB) की प्रक्रिया के लिये समुद्री बादल परावर्तनशीलता (अल्बेडो) में वृद्धि की आवश्यकता होती है, जिससे बादल सफेद और चमकीले हो जाते हैं।
- इसमें समुद्री जल की बारीक बूंदों को वायुमंडल में छोड़ने के लिये वाटर कैनन या विशेष जहाज़ों का उपयोग करना शामिल है।
- बूंदों के वाष्पित होने के बाद लवणीय कणों का अवक्षेप बच जाता हैं, जो बादल संघनन नाभिक के रूप में कार्य करते हैं तथा घने, चमकीले बादलों का निर्माण करते हैं।
नोट: गर्म बादल जल की असंख्य छोटी-छोटी निलंबित बूंदों से बने होते हैं। ये बूंदें सूक्ष्म वायुजनित कणों के आसपास बनती हैं जिन्हें "एयरोसोल" के रूप में जाना जाता है, जो प्राकृतिक (जैसे धूल, समुद्री नमक, पराग, राख और सल्फेट्स) या मानव निर्मित (जीवाश्म ईंधन जलाने तथा विनिर्माण जैसी गतिविधियों से) हो सकती हैं।
- भले ही दोनों बादलों में जल की मात्रा समान है, फिर भी अधिक सूक्ष्म बूंदों वाला बादल अपेक्षाकृत छोटी बूंदों वाले बादल की तुलना में अधिक उज्ज्वलित प्रतीत होगा।
- संभावित लाभ:
- MCB में लक्षित क्षेत्रों में समुद्र की सतह के तापमान को कम करने की क्षमता है, जिससे प्रवाल विरंजन घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता कम हो सकती है।
- विश्व में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग में कमी प्रवाल के लिये एक जीवन रेखा प्रदान कर सकती है, जिससे उनके अस्तित्व और पुनर्प्राप्ति को सक्षम किया जा सकता है।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा इसकी मॉडलिंग के अध्ययन और छोटे पैमाने के प्रयोगों के माध्यम से ग्रेट बैरियर रीफ के लिये MCB की व्यवहार्यता का पता लगाया जा रहा है।
- ग्रेट बैरियर रीफ, एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, विशेष रूप से प्रवाल विरंजन के प्रति संवेदनशील रहा है, हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन की घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- MCB में लक्षित क्षेत्रों में समुद्र की सतह के तापमान को कम करने की क्षमता है, जिससे प्रवाल विरंजन घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता कम हो सकती है।
नोट: आश्चर्य की बात है कि मानव जनित क्रियाएँ पूर्व काल से ही अज्ञानतावश समुद्री बादलों के उज्ज्वलन का कारण बनी हुई हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल का अनुमान है कि मानवीय क्रिया कलापों द्वारा अनजाने में मुक्त किये गए एयरोसोल ग्रीनहाउस गैसों के कारण होने वाले वार्मिंग प्रभाव के लगभग 30% के तुल्य होते हैं।
- जहाज़ के एक्ज़हॉस्ट में प्रयुक्त सल्फेट्स, बूंदों के निर्माण के लिये एरोसोल के ऐसे शक्तिशाली स्रोत हैं कि जब जहाज़ गुजरते हैं तो यह बादलों के निशान का कारण बनता है जिन्हें "शिप ट्रैक" के रूप में जाना जाता है।
- MCB से जुड़ी चुनौतियाँ और संकट:
- तकनीकी व्यवहार्यता: MCB में काफी ऊँचाई पर वायुमंडल में समुद्री जल का बड़े पैमाने पर छिड़काव शामिल है, यह छिड़काव उपकरणों के डिज़ाइन, लागत, रखरखाव और संचालन के संदर्भ में इंजीनियरिंग जटिलताओं को प्रस्तुत करता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: MCB के कारण बादलों के पैटर्न और वर्षा में होने वाला परिवर्तन क्षेत्रीय जलवायु एवं जल विज्ञान चक्रों को प्रभावित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से सूखे या बाढ़ जैसे अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं।
- नैतिक मुद्दे: MCB प्राकृतिक प्रक्रियाओं में मानवीय हस्तक्षेप और इसके कार्यान्वयन के आसपास शासन एवं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के संदर्भ में नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न करता है।
- नैतिक खतरा: MCB के कारण नीति निर्माताओं और जनता में आत्मसंतुष्टि/आत्ममुग्धता हो सकती है, लेकिन इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन की उनकी प्रतिबद्धता कम हो सकती है।
प्रवाल विरंजन:
- प्रवाल विरंजन एक ऐसी घटना है जहाँ आमतौर पर जीवंत एवं रंगीन प्रवाल प्रायः समुद्र के उच्च तापमान से उत्पन्न तनाव के कारण अपना प्राकृतिक रंग खो देते हैं अर्थात् उनका विरंजन हो जाता है और वे सफेद हो जाते हैं।
- ऐसा तब होता है जब मूंगे अर्थात् प्रवाल अपने ऊतकों के भीतर रहने वाले सहजीवी शैवालों को निष्कासित कर देते हैं, जो उन्हें पोषक तत्त्व और रंग प्रदान करते हैं।
- प्रवाल विरंजन, प्रवाल को कमज़ोर कर देता है, जिससे ये रोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं, और यदि यह तनाव जारी रहा तो वे नष्ट भी हो सकते हैं।
आगे की राह
MCB अभी भी अनुसंधान और विकास के प्रारंभिक चरण में है, इसकी व्यवहार्यता, प्रभावकारिता, प्रभाव, जोखिम तथा शासन का आकलन करने के लिये अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है। यह पहचानना आवश्यक है कि MCB कोई स्टैंडअलोन समाधान नहीं है, बल्कि अल्पावधि में प्रवाल भित्तियों को अत्यधिक गर्मी के तनाव का सामना करने में मदद करने हेतु एक संभावित पूरक उपाय है। MCB को एक व्यापक दृष्टिकोण में एकीकृत किया जाना चाहिये जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रवाल भित्तियों की सुरक्षा के लिये संरक्षण, बहाली, अनुकूलन तथा नवाचार शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 1 निम्नलिखित स्थितियों में से किस एक में “जैवशैल प्रौद्योगिकी (बायोरॉक टेक्नोलॉजी )” की बातें होती हैं? (a) क्षतिग्रस्त प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ्स) की बहाली उत्तर: (a) प्रश्न. 2 निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. 3 निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनें: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये। (2019) |