कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | 20 Oct 2021
प्रिलिम्स के लिये:कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बौद्ध परिपथ, स्वदेश दर्शन योजना मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति में सांस्कृतिक कूटनीति विशेष रूप से बौद्ध धर्म का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश का कुशीनगर हवाई अड्डा भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की सूची में शामिल होने वाला नवीनतम हवाई अड्डा है। यह अपेक्षा की जा रही है कि यह हवाई अड्डा बौद्ध तीर्थ पर्यटन के लिये दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशियाई देशों के लोगों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- कुशीनगर, बौद्ध परिपथ- जिसमें लुंबिनी, सारनाथ, गया और अन्य तीर्थस्थल शामिल हैं, का केंद्र है।
प्रमुख बिंदु
- कुशीनगर हवाई अड्डा और सांस्कृतिक कूटनीति:
- कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की शुरुआत भारत-श्रीलंका संबंधों में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी।
- हवाई अड्डे के उद्घाटन के अवसर पर श्रीलंका, भारत के दो भित्ति चित्रों (Mural Paintings) की तस्वीरें प्रस्तुत करेगा:
- एक भित्ति चित्र में सम्राट अशोक के पुत्र अरहत भिक्षु महिंदा को श्रीलंका के राजा देवनामपियातिसा (Devanampiyatissa) को बुद्ध का संदेश देते हुए दर्शाया गया है।
- दूसरे भित्ति चित्र में सम्राट अशोक की पुत्री ‘थेरी भिक्षुणी’ संघमित्रा को पवित्र बोधि वृक्ष (जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि इसके नीचे ही बुद्ध को ज्ञान की प्राप्त हुई थी) के पौधे के साथ श्रीलंका में आगमन करते हुए दर्शाया गया है
- बौद्ध परिपथ भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर के उपयोग को दर्शाता है।
- भारत द्वारा बौद्ध कूटनीति (Buddhist Diplomacy) को दिया जाने वाला महत्त्व, श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और पीपल-टू-पीपल संबंधों में सुधार करने में मदद करेगा (विशेषकर श्रीलंकाई गृहयुद्ध के बाद के संदर्भ में)।
- इसके अलावा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और इसकी व्यापक अखिल एशियाई उपस्थिति पर ज़ोर देने के कारण बौद्ध मत स्वयं ही सॉफ्ट-पावर कूटनीति को बढ़ावा देता है।
श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रसार
- मौर्य सम्राट अशोक (273-232 ईसा पूर्व) के शासन काल के दौरान पूर्वी भारत से भेजे गए एक मिशन द्वारा श्रीलंका में पहली बार बौद्ध धर्म का प्रचार किया गया था।
- श्रीलंका के मिशन के नेतृत्त्वकर्त्ता, महेंद्र (महिंदा) को अशोक के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है।
- बौद्ध परिपथ के विषय में:
- वर्ष 2014-15 में पर्यटन मंत्रालय ने उच्च पर्यटक मूल्य (High Tourist Value) के सिद्धांतों पर थीम आधारित पर्यटक सर्किट विकसित करने की दृष्टि से स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत की।
- बौद्ध सर्किट/परिपथ, मंत्रालय की योजना के तहत विकास के लिये चयनित पंद्रह थीम आधारित सर्किट्स में से एक है।
- बौद्ध सर्किट एक मार्ग है जो बुद्ध के पदचिह्नों- नेपाल में लुम्बिनी से लेकर भारत में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर (जहाँ उनकी मृत्यु हुई थी) तक, का अनुसरण करता है।
- बौद्ध तीर्थयात्री कुशीनगर को एक पवित्र स्थल मानते हैं, जिसके बारे में उनका मानना है कि गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश यहीं दिया और 'महापरिनिर्वाण' या मोक्ष प्राप्त किया।
यह बौद्ध धर्म के 450 मिलियन अनुयायियों के साथ-साथ इतिहास, संस्कृति या धर्म में रुचि रखने वाले यात्रियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है। - वर्ष 2014-15 में पर्यटन मंत्रालय ने उच्च पर्यटक मूल्य (High Tourist Value) के सिद्धांतों पर थीम आधारित पर्यटक सर्किट विकसित करने की दृष्टि से स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत की।
- बौद्ध सर्किट में निवेश भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय, बिहार एवं उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र, बौद्ध मठों और संप्रदायों तथा विश्व बैंक समूह के बीच पहली बार सहयोग का परिणाम है।
- बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने के लिये की गई अन्य पहलें:
- प्रसाद योजना: प्रसाद (PRASHAD) योजना के अंतर्गत बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 30 परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
- प्रतिष्ठित पर्यटक स्थल: बोधगया, अजंता और एलोरा में बौद्ध स्थलों की पहचान उन्हें प्रतिष्ठित पर्यटक स्थलों (Iconic Tourist Sites) के रूप में विकसित करने के लिये की गई है।
- बौद्ध सम्मेलन: यह भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक वैकल्पिक वर्ष में आयोजित किया जाता है।
- भाषाओं की विविधता: उत्तर प्रदेश में बौद्ध स्मारकों पर चीनी भाषा में और मध्य प्रदेश में साँची स्मारकों में सिंहली (Sinhala) भाषा (श्रीलंका की आधिकारिक भाषा) में साइनबोर्ड लगाए गए हैं।
बुद्ध के मार्ग (Buddha Path)
- बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुंबिनी में हुआ था।
- उन्होंने उपदेश दिया कि विलासिता और तपस्या दोनों की अधिकता से बचना चाहिये। वह "मध्यम मार्ग" (मध्य मार्ग) के पक्षकार थे।
- बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग (बुद्ध की असाधारण शिक्षाओं) में निम्नलिखित शामिल थे:
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाक
- सम्यक कर्मांत
- सम्यक आजीविका
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
- 'बुद्ध के मार्ग' बौद्ध विरासत के आठ महान स्थानों को भी संदर्भित करते हैं (पालि भाषा में अह्ममहाहनानी (Aṭṭhamahāṭhānāni) के रूप में संदर्भित)। वे है:
- लुंबिनी (नेपाल)- बुद्ध का जन्म।
- बोधगया (बिहार) - ज्ञान प्राप्ति।
- सारनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)- प्रथम उपदेश।
- कुशीनगर (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश)- बुद्ध की मृत्यु।
- राजगीर (बिहार)- जहाँ भगवान ने एक पागल हाथी को वश में किया।
- वैशाली (बिहार)- जहाँ एक बंदर ने उन्हें शहद चढ़ाया।
- श्रावस्ती (यूपी)- भगवान ने एक हज़ार पंखुड़ियों वाले कमल पर आसन ग्रहण किया और स्वयं के कई प्रतिरूप बनाए।
- संकिसा (फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश) - ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध स्वर्ग से धरती पर आए थे।