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प्रागैतिहासिक कालीन भित्ति चित्रों को ख़तरा

  • 22 May 2018
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारकों की तरह तेलंगाना के जयशंकर भूपलपल्ली ज़िले में प्रागैतिहासिक कालीन चट्टानों पर बने चित्र अमर प्रेम की स्वीकारोक्ति तथा भावी पीढ़ी के लिये उकेरे गए नामों का शिकार हो रहे हैं। पांडवुलागुट्टा (pandavulagutta) के सहस्राब्दी पुराने भित्ति चित्र जो मानव ज्ञान के विकास के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, में बढ़ती हुई विकृति गंभीर चिंता का विषय है। इनकी विकृति में खंडित भित्ति चित्र और धुंधले पड़ते तैलीय चित्र शामिल हैं। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • पांडवुलागुट्टा 10000  ईसा पूर्व से 8000  ईसा पूर्व के दौरान चट्टानों पर की गई चित्रकारी, 8वीं शताब्दी के राष्ट्रकूट काल के शिलालेख और 12वीं शताब्दी के काकतिया साम्राज्य के दौरान चित्रित किये गए भित्ति चित्रों को आश्रय प्रदान करता है।
  • मध्य प्रदेश के भीमबेटका में पाए गए पेड़-पौधे एवं जंतुओं तथा मानव आकृतियों वाले भित्ति चित्र लाल गेरू से बने हुए हैं। 
  • दूसरी ओर काकातिया साम्राज्य के दौरान के चित्रकारों ने महाभारत के दृश्यों तथा हाथी के सिर वाले गणेश के चित्र बनाए थे।
  • तीन अलग-अलग कालों की चित्रकारी का सह-अस्तित्व में होना प्रशंसनीय है लेकिन 1990 में उनकी खोज के बाद से उन्हें सुरक्षित या संरक्षित नहीं किया गया है।
  • वे, इसलिये क्षतिग्रस्त हो गए हैं, क्योंकि लोग उन तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
  • यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो प्राकृतिक रंगों से बने ये वास्तविक चित्र नष्ट हो जाएंगे।
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