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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय परियोजनाओं का वित्तपोषण करेगा जापान

  • 31 Mar 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जापान ने भारत में कई प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के लिये लगभग 233 बिलियन येन के ऋण और अनुदान को अंतिम रूप दे दिया है, जिसमें अंडमान और निकोबार के लिये एक परियोजना भी शामिल है।

Japan

प्रमुख बिंदु

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिये अनुदान

  • अनुदान के बारे में
    • रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में बिजली आपूर्ति में सुधार करने हेतु एक परियोजना के लिये 4.01 बिलियन येन के अनुदान को अंतिम रूप दिया गया है।
      • इस अनुदान का उपयोग 15MW बैटरी के साथ-साथ बिजली प्रणाली स्टेबलाइज़र्स की खरीद हेतु किया जाएगा ताकि दक्षिण अंडमान में सौर ऊर्जा के बेहतर उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
    • यह अनुदान अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से संबंधित किसी परियोजना के लिये जापान की पहली आधिकारिक विकास सहायता (ODA) है।
  • आधिकारिक विकास सहायता (ODA)
    • आधिकारिक विकास सहायता (ODA) को किसी ऐसी सरकारी सहायता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसे विकासशील देशों के आर्थिक विकास और कल्याण को बढ़ावा देने हेतु डिज़ाइन किया गया हो।
      • हालाँकि इसमें सैन्य उद्देश्यों के लिये ऋण या क्रेडिट को शामिल नहीं किया जाता है।
    • भारत आधिकारिक विकास सहायता के तहत जापान सरकार की वित्तीय सहायता का शीर्ष प्राप्तकर्त्ता रहा है।

अन्य परियोजनाओं के लिये जापान द्वारा दी गई सहायता

  • दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण हेतु।
  • बंगलूरू में नम्मा मेट्रो के दूसरे चरण के तहत मेट्रो लाइनों हेतु।
  • हिमाचल प्रदेश में फसल विविधीकरण हेतु।
  • राजस्थान के झुंझुनू और बाड़मेर ज़िलों में फ्लोरोसिस की रोकथाम हेतु।

भारत और जापान के बीच अन्य हालिया घटनाक्रम

  • हाल ही में ‘क्वाड’ के प्रतिनिधियों का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था।
    • ‘क्वाड’ चार देशों- भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान का गठबंधन है।
  • भारत और जापान ने वर्ष 2020 में एक लॉजिस्टिक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिससे दोनों देशों के सशस्‍त्र बलों के बीच अंतःसक्रियता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस समझौते को अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते’ (Acquisition and Cross-Servicing Agreement) के रूप में जाना जाता है।
  • भारत और जापान ने वर्ष 2019 में पहली मंत्री स्तरीय 2+2 वार्ता आयोजित की, जिसमें दोनों पक्षों के रक्षा और विदेश मंत्री शामिल थे। इस वार्ता को भारत तथा जापान के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा जाता है।
  • अक्तूबर 2018 में भारत के प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के दौरान “भारत-जापान डिजिटल साझेदारी” (India-Japan Digital Partnership- I-JDP) की शुरुआत की गई थी, जिसमें सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों के साथ-साथ S&T/ICT में सहयोग के दायरे में नई पहल को आगे बढ़ाते हुए “डिजिटल आईसीटी टेक्नोलॉजी पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • भारत और जापान ने वर्ष 2014 में अपने संबंधों को 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी' के लिये उन्नत किया।
  • अगस्त 2011 में लागू भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (India-Japan Comprehensive Economic Partnership Agreement) माल, सेवाओं, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार आदि से संबंधित व्यापार मुद्दों को कवर करता है।
  • भारत और जापान की रक्षा सेनाओं के बीच जिमेक्स (नौसेना), शिन्यु मैत्री (वायु सेना) और धर्म गार्जियन (सेना) नामक द्विपक्षीय अभ्यासों की एक शृंखला आयोजित की जाती है। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का महत्त्व

  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Island) बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के संधि-स्थल पर स्थित है।
  • यह 572 द्वीपों का एक समूह है, जो दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों पर फैला हुआ है।
  • यह द्वीप समूह मलक्का जलडमरूमध्य के पश्चिमी प्रवेश द्वार से सटे लगभग उत्तर-दक्षिण विन्यास में 450 समुद्री मील की दूरी पर फैला हुआ है, जो कि हिंद महासागर का एक प्रमुख चेकपॉइंट है।
  • भौगोलिक दृष्टि से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है। इस द्वीप समूह का सबसे उत्तरी बिंदु म्याँमार से केवल 22 समुद्री मील दूर पर स्थित है, जबकि दक्षिणी बिंदु इंदिरा पॉइंट, इंडोनेशिया से मात्र 90 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
  • यह द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में 6 डिग्री और 10 डिग्री अक्षांश रेखाओं के बीच फैला हुआ है, जहाँ से प्रत्येक वर्ष साठ हज़ार से अधिक वाणिज्यिक जहाज़ गुजरते हैं।
  • भारत के कुल भू-भाग में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा केवल 0.2% है, देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) का लगभग 30% भाग इसके अंतर्गत आता है।
  • बंगाल की खाड़ी में इस द्वीप समूह की उपस्थिति के कारण भारत-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में भारत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है।
  • हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गई कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को "समुद्री और स्टार्टअप हब" के रूप में विकसित किया जाएगा।

Andaman-Nicobar-Islands

फ्लोरोसिस

  • फ्लोरोसिस (Fluorosis) एक कॉस्मेटिक (Cosmetic) स्थिति है जो दाँतों को प्रभावित करती है।
  •  यह स्थिति जीवन के प्रारंभिक आठ वर्षों के दौरान फ्लोराइड के संपर्क में आने के कारण उत्पन्न होती है और इस समय स्थायी दाँत आ रहे होते हैं।
  • दाँत आने के बाद फ्लोरोसिस से प्रभावित लोगों के दाँतों में हल्की विवर्णता देखी जा सकती है।

आगे की राह

  • भारत को जापान से अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता है, इसलिये अधिक सहभागिता और सहयोग दोनों देशों के लिये फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • मेक इन इंडिया (Make in India) के संबंध में अत्यधिक संभावनाएँ हैं। भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी का विलय करके संयुक्त उद्यम लगाए जा सकते हैं।
  • नज़दीकी सहयोग एशिया और इंडो-पैसिफिक के साथ-साथ भौतिक तथा डिजिटल स्पेस में चीन की बढ़ती भूमिका से निपटने का सबसे अच्छा उपाय है।

स्रोत: द हिंदू

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