शासन व्यवस्था
इंटरनेट की स्वतंत्रता
- 03 Apr 2024
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, अनुच्छेद 370, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144। मेन्स के लिये:इंटरनेट स्वतंत्रता, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और क्षमता, पारदर्शिता और जवाबदेही। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
लगातार पाँच वर्षों से भारत इंटरनेट प्रतिबंध लगाने वाले देशों की वैश्विक सूची में शीर्ष पर है, वर्ष 2016 और वर्ष 2022 के बीच दुनिया में दर्ज किये गए सभी ब्लैकआउट में से लगभग 60% भारत में हुए हैं।
- पिछले दशक में राज्य द्वारा लगाए गए शटडाउन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिये खतरे का हवाला दिया है। हालाँकि अधिकार समूहों ने तर्क दिया है कि ये शटडाउन अदालत के निर्देशों का भी उल्लंघन करते हैं।
भारत में इंटरनेट शटडाउन के प्रमुख रुझान क्या हैं?
- इंटरनेट शटडाउन के उदाहरण:
- सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (Software Freedom Law Centre- SFLC) द्वारा एकत्र किये गए आँकड़ों के अनुसार, भारत सरकार ने 1 जनवरी, 2014 और 31 दिसंबर, 2023 के बीच कुल 780 शटडाउन लगाए।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और कृषि विधेयक 2020 प्रस्तुत करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ।
- भारत का इंटरनेट प्रतिबंध वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को हुए कुल नुकसान के 70% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार रहा।
- भारत ने वर्ष 2023 में 7,000 घंटे से अधिक समय तक इंटरनेट बंद रखा।
- क्षेत्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर में पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक 433 शटडाउन देखे गए।
- जातीय झड़पों के बीच वर्ष 2023 में सबसे लंबा ब्लैकआउट मई से दिसंबर तक मणिपुर में हुआ।
- क्षेत्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर में पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक 433 शटडाउन देखे गए।
- SFLC डेटा के अनुसार, वर्ष 2015 और 2022 के बीच 55,000 से अधिक वेबसाइटें ब्लॉक की गईं।
- सेंसर की गई सामग्री का सबसे बड़ा हिस्सा IT अधिनियम की धारा 69A के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा किया गया था।
- गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित संगठनों के लिंक के कारण URL ब्लॉक कर दिये गए थे।
- वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता:
- फ्रीडम हाउस की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में लगातार 13वें वर्ष गिरावट आई है और 29 देशों में ऑनलाइन मानवाधिकारों के लिये माहौल खराब हो गया है।
- पिछले तीन वर्षों में भारत की रैंकिंग इसी बेंचमार्क के आस-पास रही है।
- वर्ष 2016-2017 में भारत ने 59 अंक और वर्ष 2023 में 50 हासिल किये थे।
- फ्रीडम हाउस की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में लगातार 13वें वर्ष गिरावट आई है और 29 देशों में ऑनलाइन मानवाधिकारों के लिये माहौल खराब हो गया है।
इंटरनेट शटडाउन से संबंधित प्रावधान क्या हैं?
- भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2) जो दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के साथ पठित है:
- ये नियम संघ या राज्य के गृह सचिव को सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के मामले में किसी भी टेलीग्राफ या तार सेवा (इंटरनेट सहित) को निलंबित करने का आदेश देने की अनुमति देते हैं।
- ऐसे आदेश की एक समिति द्वारा पाँच दिनों के भीतर समीक्षा की जानी चाहिये और यह एक बार में 15 दिनों से अधिक अवधि तक जारी नहीं रह सकता। किसी अत्यावश्यक स्थिति में, संघ या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर का अधिकारी आदेश जारी कर सकता है।
- हालाँकि कानून यह परिभाषित नहीं करता है कि आपातकालीन या सुरक्षा मुद्दा क्या है। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामले, 2020 में दोहराया कि इंटरनेट शटडाउन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और अनिश्चित काल तक चलने वाला शटडाउन असंवैधानिक है।
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144:
- यह धारा एक ज़िला मजिस्ट्रेट, एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को विशेष रूप से राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक शांति में किसी भी उपद्रव या गड़बड़ी को रोकने या प्रतिबंधित करने के लिये आदेश जारी करने का अधिकार देती है।
- ऐसे आदेशों में किसी विशेष क्षेत्र में एक निर्दिष्ट अवधि के लिये इंटरनेट सेवाओं का निलंबन शामिल हो सकता है।
इंटरनेट शटडाउन के संबंध में क्या तर्क हैं?
- घृणा वाक् / हेट स्पीच और गलत सूचना को रोकता है:
- इंटरनेट शटडाउन से घृणा वाक् और फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है जो हिंसा तथा दंगे भड़का सकते हैं।
- उदाहरण के लिये, सरकार ने गलत सूचना से निपटने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिये गणतंत्र दिवस पर किसानों के विरोध के बाद दिल्ली NCR में इंटरनेट बंद करने की घोषणा की।
- किसी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को रोकता है:
- इंटरनेट शटडाउन से सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को बाधित करने वाले विरोध प्रदर्शनों के आयोजन एवं लामबंदी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।
- उदाहरण के लिये, सरकार ने किसी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और अलगाववादी आंदोलनों को रोकने के लिये अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर एवं देश के अन्य हिस्सों में इंटरनेट शटडाउन लगा दिया।
- राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करता है:
- इंटरनेट शटडाउन राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को बाह्य खतरों तथा साइबर अटैक से बचाने में मदद कर सकता है।
- उदाहरण के लिये, सरकार ने चीन के साथ गतिरोध के दौरान किसी भी जासूसी या उपद्रव को रोकने के लिये कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया था।
- उपभोग से आपत्तिजनक सामग्री पर अंकुश:
- इंटरनेट शटडाउन से उस कंटेंट के वितरण और उपभोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है जो कुछ समूहों या व्यक्तियों के लिये हानिकारक या आपत्तिजनक हो सकती है।
- उदाहरण के लिये, सरकार आपत्तिजनक छवियों या वीडियो के प्रसार को रोकने के लिये कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट के प्रयोग को बंद कर देती है।
इंटरनेट शटडाउन से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- अधिकारों का उल्लंघन:
- इंटरनेट शटडाउन अनुच्छेद 19(1)(a) और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं इंटरनेट के माध्यम से किसी भी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 19(1)(a) तथा अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है- सर्वोच्च न्यायालय में अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामला, 2020।
- इंटरनेट शटडाउन सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करता है जिसे राज नारायण बनाम यूपी राज्य (वर्ष 1975) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार घोषित किया गया है।
- इंटरनेट शटडाउन इंटरनेट के अधिकार का भी उल्लंघन करता है जिसे केरल उच्च न्यायालय ने फहीमा शिरीन बनाम केरल राज्य मामले में अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार घोषित किया था।
- इंटरनेट शटडाउन अनुच्छेद 19(1)(a) और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- जवाबदेहिता का अभाव:
- शटडाउन प्रायः स्पष्ट कानूनी ढाँचे अथवा निरीक्षण तंत्र के बिना लागू किये जाते हैं जिससे इंटरनेट पहुँच पर मनमाना और अनुपातहीन प्रतिबंध संभव होता है।
- संबद्ध विषय में जवाबदेहिता तंत्र का अभाव अधिकारियों द्वारा अपनी शक्ति के दुरुपयोग के जोखिम को बढ़ा देता है जो प्रभावित होने वाले व्यक्तियों के लिये पर्याप्त औचित्य अथवा दायित्व के बिना शटडाउन लगा सकते हैं।
- आर्थिक व्यवधान:
- तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों के अतिरिक्त इंटरनेट शटडाउन से संबंधित महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव भी होते हैं। ऑनलाइन वाणिज्य, संचार और वित्तीय लेन-देन में होने वाले व्यवधान से व्यवसाय संचालन बाधित होता है, आर्थिक विकास तथा निवेश प्रभावित होता है जिससे अंततः दीर्घकालिक विकास अत्यधिक प्रभावित हो सकता है।
- Top10VPN के अनुसार, इंटरनेट शटडाउन के कारण वर्ष 2023 की पहली छमाही में भारत को 2,091 करोड़ रुपए ($255.2 मिलियन) का नुकसान हुआ।
- तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों के अतिरिक्त इंटरनेट शटडाउन से संबंधित महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव भी होते हैं। ऑनलाइन वाणिज्य, संचार और वित्तीय लेन-देन में होने वाले व्यवधान से व्यवसाय संचालन बाधित होता है, आर्थिक विकास तथा निवेश प्रभावित होता है जिससे अंततः दीर्घकालिक विकास अत्यधिक प्रभावित हो सकता है।
- सामाजिक व्यवधान:
- इंटरनेट शटडाउन संचार नेटवर्क को बाधित करके, महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक पहुँच में बाधा डालकर और व्यक्तियों को उनके समुदायों से अलग कर सामाजिक व्यवस्था को बाधित करता है। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक एकजुटता प्रभावित हो सकती है क्योंकि इस दौरान लोग प्रभावी ढंग से संपर्क करने, संगठित अथवा एकजुट होने में असमर्थ होते हैं जिससे उनमें अलगाव और विराग की भावना जागृत हो सकती है।
आगे की राह
- सरकारी अधिकारियों को अनुराधा भसीन मामले (2020) में सर्वोच्च नयायालय द्वारा दिये गए निर्देशों का अनुपालन करना चाहिये। सर्वोच्च नयायालय द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देश निम्नलिखित थे:
- निलंबन का उपयोग केवल अस्थायी अवधि के लिये किया जा सकता है।
- निलंबन नियमों के तहत इंटरनेट सेवाओं को रोकने के संबंध में जारी किये गए किसी भी प्रकार के आदेश में आनुपातिकता के सिद्धांत का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए उसे आवश्यक अवधि से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
- निलंबन नियमों के तहत इंटरनेट सेवाओं को रोकने के लिये जारी किया गया किसी भी प्रकार का आदेश न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
- इंटरनेट शटडाउन को नियंत्रित करने वाले विधिक और विनियामक ढाँचे को सुदृढ़ करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुसार उनका उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
- सरकार को तार अधिनियम (Telegraph Act) और उसके नियमों में संशोधन करना चाहिये, जो अद्यतन तथा सुस्पष्ट नहीं हैं एवं इनमें संवैधानिक व मानवाधिकार मानकों का अनुपालन निहित नहीं हैं।
- सरकार को कानून-व्यवस्था में व्यावधान, सांप्रदायिक हिंसा, आतंकवादी हमलों, परीक्षाओं और राजनीतिक अस्थिरता का समाधान करने के लिये अन्य अल्प हस्तक्षेप वाले उपायों पर विचार करना चाहिये जिसमें विशिष्ट वेबसाइटों अथवा संबंधित सामग्री तक पहुँच अवरुद्ध करना, चेतावनी अथवा सलाह जारी करना, नागरिक समाज तथा मीडिया के साथ जुड़ना अथवा अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती करना शामिल है।
प्रश्न: इंटरनेट शटडाउन से संबंधित सांविधिक और मानवाधिकार संबंधी चिंताओं का मूल्यांकन कीजिये तथा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उनका समाधान करने हेतु उपायों का विवरण दीजिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (2014) |