अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023: भारतीय बाघ संरक्षण | 02 Aug 2023

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, प्रोजेक्ट टाइगर, 1973, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, बाघ अभयारण्य

मेन्स के लिये:

बाघ संरक्षण का महत्त्व, संबंधित पहल

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, 2023 पर प्रकाशित दो महत्त्वपूर्ण रिपोर्टों ने भारत में बाघ संरक्षण की स्थिति और इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

  • भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित भारतीय बाघ अभयारण्य के प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (Management Effectiveness Evaluation- MEE), 2022 (पाँचवें चक्र) रिपोर्ट में भारतीय बाघ अभयारण्यों की प्रगति और चुनौतियों की संयुक्त तस्वीरें सामने आई हैं।
  • दूसरी ओर, चीनी विज्ञान अकादमी और जंगली बिल्लियों के संरक्षण के लिये समर्पित एक वैश्विक संगठन पैंथेरा के एक अध्ययन से बांग्लादेश में बाघों की तस्करी और अवैध शिकार की गंभीर समस्या का पता चला है।
  • भारत में जंगली बाघों की संख्या वर्ष 2006 में मात्र 1,400 थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 3,167 हो गई है, इस संख्या को बनाए रखने के लिये देश की वन क्षमता के बारे में चर्चा शुरू हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023

  • प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को धारीदार बिल्ली के संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उसके प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिये वैश्विक प्रणाली का समर्थन करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस (ITD) के रूप में मनाया जाता है।
  • ITD की स्थापना वर्ष 2010 में रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में जंगली बाघों की संख्या में गिरावट के बारे में जागरूकता बढ़ाने, उन्हें विलुप्त होने से बचाने और बाघ संरक्षण के कार्य को प्रोत्साहित करने के लिये की गई थी।

MEE रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • समग्र प्रबंधन के प्रदर्शन में सुधार:
    • इस रिपोर्ट में 33 मापदंडों का उपयोग करके 51 बाघ अभयारण्यों का मूल्यांकन किया गया है।
    • अधिकतम अंक के प्रतिशत के आधार पर परिणामों को चार समूहों में विभाजित किया गया था। 12 टाइगर रिज़र्वों ने 'उत्कृष्ट (Excellent)' श्रेणी (स्कोर >= 90%) प्राप्त किया, 21 ने  'बहुत अच्छा (Very Good)' (75-89%) स्कोर किया, 13 ने 'अच्छा (Good)' (60-74%) स्कोर किया तथा 5 को 'निष्पक्ष (Fair)' (50-59% स्कोरिंग) श्रेणियों के रूप में वर्गीकृत किया गया।
    • बाघ अभयारण्यों में प्रबंधन प्रदर्शन के लिये औसत स्कोर 51 बाघ अभयारण्यों के लिये 78.01% (50% से 94% के बीच) का समग्र औसत स्कोर दर्शाता है।
  • जलवायु कार्रवाई की सबसे कमज़ोर क्षेत्र के रूप पहचान:
    • इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन और कार्बन कैप्चर प्रयासों को भारतीय बाघ अभयारण्यों के लिये सबसे कमज़ोर प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है, जिसे वर्तमान चक्र में 60% का सबसे कम स्कोर प्राप्त हुआ है।
    • जलवायु परिवर्तन बाघ अभ्यारण्यों, विशेष रूप से सुंदरबन जैसे उच्च तीव्रता वाले जलवायु प्रभावों से प्रभावित क्षेत्रों, के लिये एक बड़ी चिंता का विषय है।
  • संरक्षण प्रयासों में निधि प्रवाह की बाधा:
    • केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ अन्य दानदाताओं से अपर्याप्त धनराशि, बाघ रिज़र्व प्रबंधन के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
    • बाघ अभयारण्यों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले पाँच क्षेत्रों में निधि प्रवाह रैंक (Fund Flow Rank) से संबंधित तीन पैरामीटर।
    • बाघ संरक्षण के लिये वास्तविक फंड आवंटन (Actual Fund Allocation) वर्ष 2018-19 से कम हो गया है, वर्ष 2022-23 में इसमें वृद्धि हुई है लेकिन वास्तविक फंड रिलीज़ (Actual Fund Release) सीमित है।
      • जटिल मांग तथा आपूर्ति प्रक्रियाओं ने निधि प्रवाह को और धीमा कर दिया है, जिससे संरक्षण प्रयासों में विलंब हो रहा है।
    • वित्त की कमी बुनियादी ढाँचे के रखरखाव, गाँवों के पुनर्वास और मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन को प्रभावित करती है।
  • परिदृश्य एकीकरण और मानव-वन्यजीव संघर्ष में अनुकूलता:
    • परिदृश्य एकीकरण और मानव-वन्यजीव संघर्षों का मुकाबला करने के लिये 85 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले बेहतर प्रदर्शन संकेतक पाए गए।
  • शीर्ष तथा खराब प्रदर्शन करने वाले रिज़र्व:
    • केरल में पेरियार टाइगर रिज़र्व लगभग 94% के MEE स्कोर के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्त्ता के रूप में सामने आया है, इसके बाद मध्य प्रदेश में सतपुड़ा और कर्नाटक में बांदीपुर हैं।
    • पश्चिम बंगाल का सुंदरबन, जो कि मैंग्रोव वाला विश्व का एकमात्र बाघ रिज़र्व है, इसे 'बहुत अच्छी (Very Good)' श्रेणी के साथ 32वाँ स्थान प्राप्त हुआ।
    • केवल 50% के साथ मिज़ोरम में डंपा को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाघ अभयारण्य के रूप में पहचाना जाता है, इसके बाद छत्तीसगढ़ में इंद्रावती और असम में नामेरी का स्थान है।
    • कुल मिलाकर 29 बाघ अभयारण्यों ने पिछले मूल्यांकन की तुलना में अपनी स्थिति में सुधार किया है, जबकि दो अभयारण्यों की स्थिति अभी भी वही बनी हुई है।
  • MEE का महत्त्व: 
    • यह रिपोर्ट शीर्ष भारतीय वन्यजीव विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक विस्तृत विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है और संरक्षित क्षेत्रों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के विश्व आयोग की रूपरेखा का अनुसरण करती है।
      • यह संरक्षण प्रयासों में अंतराल की पहचान करती है और बाघों के दीर्घकालिक अस्तित्व के लिये अधिक प्रभावी रणनीतियों को अपनाने में मदद करती है।

पैंथेरा द्वारा किये गए अनुसंधान की मुख्य विशेषताएँ:

  • पैंथेरा द्वारा किये गए अध्ययन में बांग्लादेश को लुप्तप्राय बाघों के अवैध शिकार और तस्करी के लिये एक प्रमुख केंद्र के रूप में उजागर किया गया है।
  • इसने देश और विदेश में बांग्लादेशी अभिजात वर्ग के बढ़ते वर्ग की पहचान की जो औषधीय, आध्यात्मिक तथा सजावटी उद्देश्यों के लिये बाघ के अंगों की मांग को बढ़ा रहा है।
  • शोध से पता चला है कि बांग्लादेश से बाघ के अंगों की आपूर्ति भारत, चीन और मलेशिया सहित 15 देशों के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया तथा जापान जैसे विकसित G-20 देशों को की जा रही थी।
  • बांग्लादेश में बाघों के एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान सुंदरबन में बाघों के अवैध शिकार में शामिल समुद्री डाकू समूहों की घुसपैठ देखी गई, जिससे बाघों की आबादी में उल्लेखनीय गिरावट आई।
  • अध्ययन में बाघों के अवैध शिकार के लिये चार स्रोत स्थलों की पहचान की गई, जिनमें भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन, भारत में काज़ीरंगा-गर्मपानी (Garampani) पार्क, म्याँमार का उत्तरी वन परिसर और भारत में नामदफा-रॉयल मानस पार्क शामिल हैं।
  • बाघों की तस्करी में शामिल व्यापारियों ने लॉजिस्टिक्स कंपनियों के मालिक होने और कानूनी वन्यजीव व्यापार के लिये लाइसेंस होने के कारण अवैध रूप से प्राप्त बाघ के अंगों को आसानी से छिपा दिया।
  • शोध में बांग्लादेश सरकार द्वारा विशिष्ट खिलाड़ियों, व्यापार मार्गों और अवैध शिकार के मुद्दों को लक्षित करते हुए एक समस्या-उन्मुख दृष्टिकोण का सुझाव दिया गया

बाघ संरक्षण की भारत के वनों की क्षमता को लेकर चिंता:

  • संरक्षित क्षेत्रों के बाहर विचरण: बाघों की लगभग 30% आबादी संरक्षित क्षेत्रों के बाहर विचरण करती है जिस कारण मानव बस्तियों में इनके घुस आने के मामले सामने आते रहते हैं, इससे मानव-बाघ संघर्ष होता है।
    • बाघों की बढ़ती आबादी के साथ एक सवाल यह भी है कि क्या भारत के जंगल इन शीर्ष शिकारी पशुओं को सही वातावरण प्रदान करने की क्षमता के अनुरूप हैं।
  • बाघ गलियारों का संकुचन: रेलवे लाइनों, राजमार्गों और नहरों जैसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण के परिणामस्वरूप बाघ गलियारे संकुचित हो रहे हैं, जो कि दो बड़े वन क्षेत्रों को जोड़ने वाला प्रमुख मार्ग है।
  • मानव-प्रधान क्षत्रों में प्रवेश: ऐसा माना जाता है कि बाघ शाकाहारी जीवों की तलाश में जंगलों को छोड़ तेज़ी से मानव-प्रधान क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं। यह व्यवहार लैंटाना जैसी आक्रामक प्रजातियों द्वारा प्राकृतिक वनस्पतियों के अधिग्रहण से प्रेरित है, जो प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है तथा इन्हें मनुष्यों के निवास वाले क्षेत्रों में भोजन की तलाश करने के लिये बाध्य करता है।
  • असमान जनसंख्या वितरण: भारत में 53 बाघ अभयारण्य हैं जो 75,000 वर्ग किमी. में फैले हुए  हैं, केवल 20 अभयारण्य (एक-तिहाई क्षेत्र) बाघ संरक्षण के लिये हैं, यह असमान जनसंख्या वितरण को दर्शाता है।

आगे की राह: 

  • बाघ आवासों के बेहतर संरक्षण के लिये वन प्रबंधन प्रथाओं को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
  • वन क्षेत्रों के बीच अप्रतिबंधित आवाजाही की सुविधा के लिये बाघ गलियारों को सुरक्षित और पुनर्स्थापित किया जाना चाहिये।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन के लिये साक्ष्य-आधारित रणनीतियाँ लागू किये जाने की आवश्यकता है।
  • इन संघर्षों को कम करने के लिये बाघ अभयारण्यों के आसपास गाँवों का पुनर्वास में तेज़ी लाना आवश्यक है।
  • मानवाधिकारों और अन्य प्रजातियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संरक्षण के लिये एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये।
  • मानव-प्रधान क्षेत्रों में बाघों की गतिविधियों और सामाजिक सहिष्णुता पर शोध करना।
  • आवास संबंधी समस्या के समाधान के लिये स्थायी बुनियादी ढाँचे का विकास सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
  • स्थानीय समुदाय को बाघों सहित संरक्षण परियोजनाओं का समर्थन जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में "क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)" के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है? (2020) 

(a) कॉर्बेट
(b) रणथंभौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीशैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: (c) 

  • “क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat), जिसे टाइगर रिज़र्व कोर क्षेत्र भी कहा जाता है, की पहचान वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम (डब्ल्यूएलपी), 1972 के अंतर्गत की गई है। वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर अनुसूचित जनजाति या ऐसे अन्य वनवासियों के अधिकारों को प्रभावित किये बिना ऐसे क्षेत्रों को बाघ संरक्षण के लिये सुरक्षित रखा जाना आवश्यक है। सीटीएच की अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा उद्देश्य के लिये गठित विशेषज्ञ समिति के परामर्श से की जाती है।
  • कोर/क्रांतिक बाघ आवास क्षेत्र:
    • कॉर्बेट (उत्तराखंड): 821.99 वर्ग किमी
    • रणथंभौर (राजस्थान): 1113.36 वर्ग किमी
    • सुंदरबन (पश्चिम बंगाल): 1699.62 वर्ग किमी
    • नागार्जुनसागर श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश का हिस्सा): 2595.72 वर्ग किमी
  • अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ