अंतर-सेवा संगठन अधिनियम | 22 May 2024
प्रिलिम्स के लिये:अंतर-सेवा संगठन (ISO) (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, सेना अधिनियम, 1950, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) मेन्स के लिये:अंतर-सेवा संगठन (ISO) अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ, सशस्त्र बलों के एकीकरण का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम को अधिसूचित किया है, जो अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को सेना की सभी शाखाओं के कर्मियों का प्रबंधन करने, संचालन को सुव्यवस्थित करने तथा सहयोग को बढ़ावा देने का अधिकार देता है।
अंतर-सेवा संगठन {Inter-Services Organisations (Command, Control, and Discipline) Act - ISO} अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- पृष्ठभूमि:
- वर्तमान में सशस्त्र बल सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 और वायु सेना अधिनियम, 1950 जैसे विशिष्ट सेवा अधिनियमों के तहत कार्य करते हैं।
- हालाँकि, इन कृत्यों की विविध प्रकृति कभी-कभी अंतर-सेवा प्रतिष्ठानों में समान अनुशासन, समन्वय और त्वरित कार्यवाही बनाए रखने में चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
- ISO अधिनियम मौजूदा सेवा अधिनियमों, नियमों या विनियमों में किसी भी बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता है।
- वर्तमान में सशस्त्र बल सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 और वायु सेना अधिनियम, 1950 जैसे विशिष्ट सेवा अधिनियमों के तहत कार्य करते हैं।
- अधिनियम की विशेषताएँ:
- ISO नेतृत्व को सशक्त बनाना:
- यह अधिनियम ISO के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी विशिष्ट शाखा (सेना, नौसेना, वायु सेना) की परवाह किये बिना, उनकी कमान के तहत सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक एवं प्रशासनिक नियंत्रण रखने का अधिकार देता है।
- यह कमांड संरचना को सरल बनाता है और ISO के भीतर कुशल निर्णय लेना सुनिश्चित करता है।
- ISO का गठन और वर्गीकरण:
- अंडमान और निकोबार कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी जैसे मौजूदा ISO को अधिनियम के तहत औपचारिक रूप से मान्यता दी जाएगी।
- केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें तीन सेवाओं: सेना, नौसेना और वायु सेना में से कम-से-कम दो से संबंधित कर्मचारी हों।
- ISO को एक ऑफिसर-इन-कमांड के अधीन रखा जाएगा।
- एक संयुक्त सेवा कमान (त्रि-सेवा) भी बनाई जा सकती है, जिसे कमांडर-इन-चीफ की कमान के तहत रखा जाएगा।
- प्रयोज्यता और अहर्ताएँ:
- इसे सेना, नौसेना और वायु सेना से अतिरिक्त अन्य केंद्रीय नियंत्रित बलों तक बढ़ाया जा सकता है।
- यह कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर्स-इन-कमांड के लिये पात्रता मानदंडों को निर्धारित करता है, जिसमें प्रत्येक सेवा के उच्च पदस्थ अधिकारियों को निर्दिष्ट किया जाता है।
- नियंत्रण और कमांडिंग ऑफिसर:
- केंद्र सरकार ISO पर अंतिम अधिकार रखती है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रशासन और सार्वजनिक हित से संबंधित निर्देश जारी कर सकती है।
- यह ISO के अंतर्गत एक विशिष्ट इकाई, जहाज़ या प्रतिष्ठान के लिये ज़िम्मेदार कमांडिंग ऑफिसर पद की स्थापना करता है।
- वे उच्च नेतृत्व द्वारा सौंपे गए कर्त्तव्यों का पालन करेंगे और उनके पास अपने आदेश के तहत कर्मियों के संबंध में अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार होगा।
- ISO नेतृत्व को सशक्त बनाना:
नोट:
- भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर से संबंधित, संयुक्त कमांड भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थिएटर कमांड है।
- भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में कुल 17 कमांड हैं। थल सेना और वायु सेना की 7-7 कमांड हैं। नौसेना के पास केवल 3 कमांड हैं।
- प्रत्येक कमांड का नेतृत्व एक 4-स्टार रैंक वाला सैन्य अधिकारी करता है।
- सशस्त्र बलों का थियेटराइज़ेशन:
- यह एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के लिये एकल एकीकृत कमांड संरचना के तहत सेना, वायु सेना और नौसेना का एकीकरण है।
- इसके तहत उस क्षेत्र में तीनों सेनाओं की सभी संपत्तियों और संसाधनों को एक ही कमांडर के अधीन रखा जाता है जो सभी सैन्य अभियानों की योजना बनाने तथा उन्हें निष्पादित करने के लिये ज़िम्मेदार होता है।
सशस्त्र बलों के एकीकरण का क्या महत्त्व है?
- संवर्धित परिचालन प्रभावशीलता:
- संयुक्त योजना और प्रशिक्षण सेवाओं के बीच बेहतर समन्वय और समझ को बढ़ावा देते हैं, जो आधुनिक युद्ध के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिये: अंतर-सेवा संगठन (Inter-Service Organisations- ISO) अधिनियम, 2024 ISO के नेतृत्व को एकीकृत कमांड निष्पादित करने का अधिकार देता है।
- संयुक्त योजना और प्रशिक्षण सेवाओं के बीच बेहतर समन्वय और समझ को बढ़ावा देते हैं, जो आधुनिक युद्ध के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- त्वरित निर्णय लेना:
- एकीकृत इकाइयों के भीतर सुव्यवस्थित कमांड संरचनाएँ युद्ध के मैदान पर त्वरित निर्णय लेने की अनुमति देती हैं।
- वर्ष 2019 में स्थापित चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) सरकार का एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार है, जो रक्षा योजना और खरीद में बेहतर समन्वय की सुविधा प्रदान करता है।
- एकीकृत इकाइयों के भीतर सुव्यवस्थित कमांड संरचनाएँ युद्ध के मैदान पर त्वरित निर्णय लेने की अनुमति देती हैं।
- इष्टतम संसाधन उपयोग:
- यह एकीकरण प्रयासों के दोहराव को कम करता है और सभी सेवाओं में संसाधन आवंटन को अनुकूलित करता है।
- एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण का उद्देश्य सुव्यवस्थित योजना, लॉजिस्टिक्स और संचालन सुनिश्चित करना है।
सशस्त्र बलों के एकीकरण के संबंध में सरकार की पहल:
निष्कर्ष:
भारतीय सशस्त्र बलों के एकीकरण की प्रक्रिया एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण रही है और इस संदर्भ में किये गए अब तक के प्रयास सही दिशा में प्रतीत होते हैं। साथ ही चीन की इंफाॅर्मेशन सपोर्ट फोर्स, साइबरस्पेस फोर्स या संयुक्त राज्य अमेरिका की साइबरस्पेस फोर्स के समान आधुनिक युद्ध प्रणालियों को शामिल करने से आधुनिक युद्ध आवश्यकताओं तथा चुनौतियों के अनुकूल बनने में भारत की रक्षा-संबंधी क्षमताओं में वृद्धि हो सकती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. अंतर-सेवा संगठन (Inter-Services Organisations -ISOs) अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। सशस्त्र बलों के एकीकरण से संबंधित महत्त्व और चुनौतियाँ क्या हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संविधान में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का कहाँ उल्लेख है? (2014) (a) संविधान की उद्देशिका में उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. "बहुधार्मिक व बहुजातीय समाज के रूप में भारत की विविध प्रकृति, पड़ोस में दिख रहे अतिवाद के संघात के प्रति निरापद नहीं है।" ऐसे वातावरण के प्रतिकार के लिये अपनाई जाने वाली रणनीतियों के साथ विवेचना कीजिये। [2014] |