आंतरिक सुरक्षा
अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023
- 09 Aug 2023
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प्रिलिम्स के लिये:अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023, अंडमान और निकोबार कमांड, भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना कमांड। मेन्स के लिये:अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 की मुख्य विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा ने सशस्त्र बलों के बीच दक्षता, अनुशासन और एकजुटता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पारित किया है।
अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023:
- पृष्ठभूमि:
- वर्तमान में सशस्त्र बल के कर्मियों को उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों- सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 और वायु सेना अधिनियम, 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है।
- हालाँकि इनके कार्यों की विविध प्रकृति ने कभी-कभी अंतर-सेवा प्रतिष्ठानों में प्रभावी अनुशासन, समन्वय और त्वरित कार्यवाही हेतु चुनौतियाँ पैदा की हैं।
- अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 अपने दूरदर्शी प्रावधानों के साथ इन चिंताओं का समाधान करता है।
- वर्तमान सेवा अधिनियम के नियम एवं विनियम, जो कई वर्षों तक समय और कानूनी जाँच का सामना कर चुके हैं, ISO विधेयक, 2023 के तहत किसी भी बदलाव के अधीन नहीं हैं।
- वर्तमान में सशस्त्र बल के कर्मियों को उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों- सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 और वायु सेना अधिनियम, 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- प्रयोज्यता: यह विधेयक सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी नियमित कर्मियों पर लागू है।
- इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार भारत में स्थापित और संचालित किसी भी बल को नामित करने का अधिकार रखती है, जिस पर विधेयक के प्रावधान लागू होंगे।
- अंतर-सेवा संगठन: मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को विधेयक के तहत गठित माना जाएगा। इनमें अंडमान और निकोबार कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं।
- केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना- तीनों सेवाओं में से कम-से-कम दो से संबंधित कर्मी हों।
- प्रयोज्यता: यह विधेयक सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी नियमित कर्मियों पर लागू है।
नोट:
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संयुक्त कमान भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थिएटर कमान/कमांड है, जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है।
- भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में 17 कमांड हैं। थल सेना और वायु सेना की 7-7 कमानें हैं। नौसेना के पास 3 कमान हैं।
- प्रत्येक कमांड का नेतृत्व 4-स्टार रैंक के सैन्य अधिकारी द्वारा किया जाता है।
- विस्तारित कमान और नियंत्रण प्राधिकरण: विधेयक के केंद्रीय सिद्धांतों में से एक अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ (Commander-in-Chief) या ऑफिसर-इन-कमांड (Officer-in-Command) को कमान और नियंत्रण प्राधिकरण का विस्तार करना है।
- मौजूदा ढाँचे के विपरीत जहाँ इन अधिकारियों के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक तथा प्रशासनिक शक्तियों का अभाव है, विधेयक उन्हें पूर्ण कमान और नियंत्रण का अधिकार देता है।
- इसमें अनुशासन बनाए रखना तथा सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों का उचित निष्पादन सुनिश्चित करना शामिल है।
- कमांडिंग ऑफिसर (Commanding Officer): यह बिल एक कमांडिंग ऑफिसर की अवधारणा पेश करता है, जो किसी यूनिट, जहाज़ या प्रतिष्ठान की देख-रेख के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- यह अधिकारी अपने यूनिट-विशिष्ट कर्तव्यों के अलावा अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड द्वारा सौंपे गए कार्यों को भी करता है।
- केंद्र सरकार का प्राधिकार: एक अंतर-सेवा संगठन का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा।
- सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या सार्वजनिक हित के आधार पर भी निर्देश जारी कर सकती है।