रक्षा बलों के बीच एकीकरण
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तीनों रक्षा सेवाओं के बीच एकीकरण के लिये नौ कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई है जिसमें रसद, खुफिया, सूचना प्रवाह, प्रशिक्षण, प्रशासन, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और रखरखाव आदि शामिल हैं।
- 'थिएटरीकरण' (परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिये एक सामान्य कमांडर के तहत एक ही थिएटर में तीनों सेवाओं की इकाइयों को एकीकृत करना) की प्रक्रिया सशस्त्र बलों द्वारा किये गए पुनर्गठन प्रयास का हिस्सा है, जिसे रक्षा बलों के एकीकरण और एकीकृत थिएटर कमांड के निर्माण के माध्यम से पूरा किया जाएगा।
तीनों रक्षा सेवाओं के बीच एकीकरण (Integration Among Three Defense Services):
- भारत में तीनों रक्षा सेवाओं के एकीकरण में इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड (ITC), चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का कार्यालय, साइबर एवं स्पेस कमांड की स्थापना, संसाधन साझाकरण एवं संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास सुनिश्चित करना शामिल है।
- इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड:
- एकीकृत थियेटर कमांड में सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण किसी भौगोलिक क्षेत्र के लिये एक ही कमांड के अधीन तीनों सशस्त्र सेनाओं (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) के एकीकृत कमांड की परिकल्पना की गई है।
- इन बलों (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) के कमांडर अपनी क्षमताओं और एवं संसाधनों के साथ किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होंगे।
- एकीकृत थिएटर कमांड किसी एक विशिष्ट सेवा के प्रति जवाबदेह नहीं होगा।
- तीनों बलों का एकीकरण संसाधनों के दोहराव को कम करेगा। एक सेवा के तहत उपलब्ध संसाधन को अन्य सेवाओं में भी उपयोग किया जा सकेगा।
- सेनाएँ एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जान पाएंगी, जिससे रक्षा प्रतिष्ठान की एकजुटता मज़बूत होगी।
- शेकतकर समिति ने 3 एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की सिफारिश की है- चीन सीमा के लिये उत्तरी कमांड, पाकिस्तान सीमा के लिये पश्चिमी कमांड और समुद्री भूमिका के लिये दक्षिणी कमांड।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में संयुक्त कमांड:
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक संयुक्त कमांड है।
- यह भारतीय सशस्त्र बलों का पहला त्रि-सेवा थिएटर कमांड है, जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है।
- इसका गठन वर्ष 2001 में द्वीपों में सैन्य परिसंपत्तियों की तेज़ी से तैनाती बढ़ाकर दक्षिण-पूर्व एशिया और मलक्का जलडमरूमध्य में भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा के लिये किया गया था।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक संयुक्त कमांड है।
- अन्य त्रि-सेवा कमांड, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज़ कमांड (SFC), देश की परमाणु परिसंपत्तियों की डिलीवरी और परिचालन नियंत्रण की देखभाल करता है।
- वर्तमान स्थिति:
- भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में 17 कमांड हैं। थल सेना और वायुसेना की 7-7 कमांड हैं। नौसेना के पास 3 कमांड हैं।
- प्रत्येक कमांड का नेतृत्व एक 3-स्टार रैंक का सैन्य अधिकारी करता है।
तीनों सेवाओं के बीच एकीकरण में हाल के विकास:
- CDS की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का निर्माण रक्षा बलों के एकीकरण और उन्नति की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है।
- विशेष रूप से सैन्य मामलों से संबंधित कार्य DMA के दायरे में आएंगे। पहले ये कार्य रक्षा विभाग (DoD) के अधिदेश थे।
- CDS: जैसा कि वर्ष 1999 में कारगिल समीक्षा समिति द्वारा सुझाया गया था, यह सरकार का एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार है।
- यह तीनों सेनाओं के कामकाज़ की देख-रेख और उनका समन्वय करता है।
- DMA के प्रमुख के रूप में CDS को अंतर-सेवा खरीद निर्णयों को प्राथमिकता देने का अधिकार प्राप्त है।
- CDS का महत्त्व:
- सशस्त्र बलों और सरकार के बीच तालमेल: CDS रक्षा मंत्रालय की नौकरशाही और सशस्त्र सेवाओं के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा देता है।
- संचालन में संयुक्तता: पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) को निष्क्रिय कर दिया गया है क्योंकि CDS संचालन में अधिक संयुक्तता को बढ़ावा देता है।
- भारतीय वायुसेना (IAF) की चिंताएँ:
- इस मॉडल के संबंध में सेना और नौसेना द्वारा थिएटर कमांड का समर्थन करने के बावजूद IAF को अपनी हवाई संपत्तियों के विभाजन, कमांड के नामकरण, थिएटर कमांड के नेतृत्व एवं प्रमुखों की शक्तियों के कम होने को लेकर चिंता है।
- नई यूनिफार्म:
- ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और जनरल रैंक के सभी अधिकारी एक ही रंग के बेरेट, रैंक के सामान्य बैज, समान बेल्ट बकल एवं जूते पहनेंगे तथा कंधों पर लेन्यार्ड/डोरी को हटाने का प्रस्ताव है।
- हाल ही में लोकसभा में अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 पेश किया गया ताकि नामित सैन्य कमांडरों, चाहे वे किसी भी सेवा से संबंधित हों, को सैनिकों का कार्यभार संभालने और अनुशासन लागू करने का अधिकार दिया जा सके।
अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023:
- इस प्रणाली में पाँच संयुक्त सेवा कमांड- पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, समुद्री और वायु रक्षा के शामिल होने की संभावना है।
- केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है, जिसमें एक संयुक्त सेवा कमांड शामिल हो सकता है।
- यह अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ/ऑफिसर-इन-कमांड को अनुशासन बनाए रखने एवं थल सेना, नौसेना और वायुसेना के सभी कर्मियों के कर्त्तव्यों का उचित निर्वहन सुनिश्चित करने में सशक्त बनाएगी।
- किसी अंतर-सेवा संगठन का कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड ऐसे अंतर-सेवा संगठन का प्रमुख होगा।