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ODOP का ONDC के साथ एकीकरण

  • 30 Aug 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एक ज़िला एक उत्पाद, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित पहल, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना का औपचारिकरण, आत्मनिर्भर अभियान, स्वयं सहायता समूह।

मेन्स के लिये:

एक ज़िला एक उत्पाद पहल का महत्त्व, कृषि विपणन में सुधार के तरीके।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) के साथ एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) पहल के एकीकरण का आह्वान किया।

  • ONDC खरीददार और विक्रेताओं को एक निष्पक्ष व तटस्थ मंच पर एक साथ लाकर ODOP की सीमाओं को और विस्तारित करने में मदद करेगा।
  • यह देश के सुदूर क्षेत्रों में समृद्धि लाने में सहायता करेगा।

एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण:

  • परिचय:
    • ODOP, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (PMFME) योजना के औपचारिकरण के अंतर्गत अपनाया गया एक दृष्टिकोण है।
    • यह PMFME योजना के समर्थन बुनियादी ढाँचे की मूल्य शृंखला विकास और संरेखण के लिये रूप-रेखा प्रदान करेगा। एक ज़िले में ODOP उत्पादों के एक से अधिक समूह हो सकते हैं।
      • एक राज्य में एक से अधिक निकटवर्ती ज़िलों को मिलाकर ODOP उत्पादों का एक समूह बनाया जा सकता है।
    • राज्य मौजूदा समूहों और कच्चे माल की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए ज़िलों के लिये खाद्य उत्पादों की पहचान करेंगे।
    • ODOP खराब होने वाली उपज आधारित या अनाज आधारित या एक क्षेत्र में व्यापक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थ जैसे, आम, आलू, अचार, बाजरा आधारित उत्पाद, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, आदि हो सकता है।
    • इस योजना के तहत अपशिष्ट से धन उत्पादों सहित कुछ अन्य पारंपरिक और नवीन उत्पादों को सहायता प्रदान की जा सकती है।
      • उदाहरण के लिये आदिवासी क्षेत्रों में शहद, लघु वन उत्पाद, पारंपरिक भारतीय हर्बल खाद्य पदार्थ जैसे हल्दी, आँवला, आदि।
  • महत्त्व:
    • क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने से तुलनात्मक लाभ वाले ज़िलों में विशिष्ट कृषि उत्पादों के विकास में मदद मिलेगी।
    • इससे सामान्य सुविधाएँ और अन्य सहायता सेवाएँ प्रदान करने में आसानी होगी।

PMFME योजना

  • परिचय
    • इसे आत्मनिर्भर अभियान (वर्ष 2020) के तहत शुरू किया गया है, इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा व्यक्तिगत सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना तथा किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों एवं उत्पादक सहकारी समितियों को सहायता प्रदान करना है।
    • यह योजना आगत खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में पैमाने का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
  • इसे पाँच वर्ष (2020-21 से 2024-25) की अवधि के लिये लागू किया जाएगा।
  • वित्तपोषण:
    • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें 10,000 करोड़ रुपए का परिव्यय शामिल है।
    • इस योजना के तहत परिव्यय को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा किया जाएगा। उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में, विधायिका वाले केंद्रशासित प्रदेशों के साथ 60:40 के अनुपात और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के लिये केंद्र द्वारा शतप्रतिशत व्यय किया जाएगा।

आगे की राह

  • ODOP को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों, कार्यक्रमों, बैठकों और सम्मेलनों का एक हिस्सा बनाना चाहिये।
  • जीआई टैगिंग प्रक्रिया को सरल, सुव्यवस्थित और तेज़ी से ट्रैक करने की आवश्यकता है।
  • स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, निर्यात हब के रूप में ज़िला आदि जैसे सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों को ODOP के विजन के साथ जोड़ा जाए।
  • निफ्ट, एनआईडी और आईआईएफटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों से ODOP को आगे बढ़ाने के लिये रचनात्मक तरीके खोजना चाहिये।
  • ODOP उत्पादों को ब्रांड करने की आवश्यकता है, जिनमें से अधिकांश प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल हों।
  • जीआई टैगिंग प्रक्रिया को सरल, सुसंगत और तेज करते हुए जीआई टैग उत्पादों की सूची का विस्तार करने की भी आवश्यकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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