भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग | 22 Feb 2025

प्रिलिम्स के लिये:

PM गति शक्ति, राष्ट्रीय जलमार्ग, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, PM मित्र पार्क, मेगा फूड पार्क

मेन्स के लिये:

भारत के परिवहन नेटवर्क में अंतर्देशीय जलमार्गों की भूमिका, बुनियादी ढाँचा और विकास

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम के जोगीघोपा में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (IWT) टर्मिनल के उद्घाटन की सराहना की तथा वस्तु परिवहन के लिये भारत के विशाल अंतर्देशीय जलमार्गों (लगभग 14,500 किमी नौगम्य जलमार्ग) की क्षमता पर प्रकाश डाला।

जोगीघोपा के अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन टर्मिनल के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • IWT टर्मिनल: यह असम में ब्रह्मपुत्र नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग-2) पर स्थित है।
    • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 1988 के अंतर्गत बांग्लादेश सीमा (धुबरी) से असम में ब्रह्मपुत्र नदी के सदिया (891 किमी) को राष्ट्रीय जलमार्ग-2 घोषित किया गया।
  • महत्त्व: जोगीघोपा IWT टर्मिनल PM गति शक्ति के अनुरूप होने के साथ आर्थिक विकास के क्रम में अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
    • यह भूटान और बांग्लादेश के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के रूप में कार्य करता है, जो जोगीघोपा में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP) से जुड़ता है, जिससे असम और पूर्वोत्तर में वस्तुओं की आवाजाही तथा रसद को बढ़ावा मिलता है।
    • इससे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा मिलता है। परिवहन लागत और पारगमन समय कम होता है।
    • भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मज़बूत करता है। सड़क, रेल और जलमार्गों को एकीकृत करके मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी में सुधार करता है। भूटान के लिये सीधे जलमार्ग पहुँच प्रदान करता है, जिससे सड़क नेटवर्क पर निर्भरता कम होती है।

अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन क्या है?

  • परिचय: इसका तात्पर्य नदियों, नहरों, झीलों और अन्य अंतर्देशीय जल निकायों जैसे नौगम्य जलमार्गों पर लोगों और वस्तुओं की आवाजाही से है।
  • विधायी ढाँचा: 
    • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1985: वर्ष 1986 में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
    • IWAI एक स्वायत्त संगठन है, जो राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास, रखरखाव और विनियमन के लिये ज़िम्मेदार है।
      • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016: उन्नत नौवहन और नौवहन के लिये 111 अंतर्देशीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया।
    • अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 2021: अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 1917 को प्रतिस्थापित किया गया, अंतर्देशीय पोतों के लिये एक समान नियम पेश किये गए, जिससे पूरे भारत में सुरक्षा, नेविगेशन और अनुपालन सुनिश्चित हुआ।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग होने के मानदंड: किसी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग माने जाने के लिये उसकी लंबाई 50 कि.मी. होनी चाहिये तथा उस पर शक्तिशाली जहाज़ों का आवागमन हो सके (शहरी क्षेत्रों और अंतर-बंदरगाह यातायात को छोड़कर)।
    • इसे एकाधिक राज्यों की सेवा करनी चाहिये या समृद्ध आंतरिक क्षेत्रों या प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ना चाहिये या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये रणनीतिक नौवहन का समर्थन करना चाहिये या ऐसे क्षेत्रों को जोड़ना चाहिये जहाँ अन्य परिवहन साधनों की कमी हो।  
  • भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों की वृद्धि: वर्ष 2014 के बाद से संचालित राष्ट्रीय जलमार्गों में 767% की वृद्धि और माल ढुलाई में 635% की वृद्धि हुई है।
  • कार्गो यातायात 18 मिलियन टन से बढ़कर 133 मिलियन टन (वित्त वर्ष 2023-24) हो गया, जिसमें 22% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) रही।
  • सरकारी पहल: समुद्री भारत विज़न 2030, सागरमाला कार्यक्रम, और नदियों को जोड़ने के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना
  • भारत में प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग: 

राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) संख्या

स्थान

NW-1: गंगा-भागीरथी-हुगली नदी तंत्र (हल्दिया-इलाहाबाद)

उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल

NW-3: वेस्ट कोस्ट नहर (कोट्टापुरम-कोल्लम), चंपकारा और उद्योगमंडल नहरें

केरल

NW-4: कृष्णा नदी (मुक्तियाला - विजयवाड़ा)

आंध्र प्रदेश

NW-10: अंबा नदी

महाराष्ट्र

NW-68: मांडवी नदी (उसगाँव ब्रिज से अरब सागर तक)

गोवा

NW-73: नर्मदा नदी

गुजरात, महाराष्ट्र

NW-100: तापी नदी

गुजरात, महाराष्ट्र

NW-97: सुंदरबन जलमार्ग

पश्चिम बंगाल (भारत-बाँग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से)

भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) विकसित करने के लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं?

श्रेणी 

लाभ

चुनौतियाँ

लागत क्षमता

लागत प्रभावी और ईंधन कुशल परिवहन मोड

अधिक गाद जमाव और बालूकरण (शोल निर्माण) से रखरखाव लागत बढ़ जाती है।

पर्यावरणीय प्रभाव

न्यून कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण अनुकूल परिवहन

मौसम में उतार-चढ़ाव (कई नदियों की गहराई उथली होती है) और ड्रेजिंग से नदी के तल, जलीय जीवन पर प्रभाव पड़ता है, तथा पारिस्थितिकीय चिंताओं के कारण सामुदायिक प्रतिरोध उत्पन्न होता है।

यातायात में कमी

सड़कों और रेलमार्गों पर बोझ कम होता है

पर्याप्त नौवहन सहायता और जलमार्ग परिवहन टर्मिनलों का अभाव

व्यापार एवं संपर्क

घरेलू और सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देता है (जैसे, भारत-बाँग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग)

असंगत जल प्रवाह, क्योंकि इसका प्रमुख हिस्सा सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिये मोड़ दिया जाता है।

क्षेत्रीय विकास

दूरवर्ती क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है

अपर्याप्त जेटी और बंदरगाहों सहित बुनियादी ढाँचे का अभाव

पर्यटन संभावना

नदी पर्यटन और क्रूज़ उद्योग को बढ़ावा मिलता है

बड़े जलयानों अथवा जहाज़ों के लिये पुल और ऊर्ध्वाधर निकासी संबंधी मुद्दे

निजी निवेश

बहु-मॉडल परिवहन एकीकरण को प्रोत्साहित करता है

निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी और निवेश

आगे की राह

  • कार्गो और यात्री आवागमन: कार्गो आवागमन को बढ़ावा देने के लिये पीएम मित्र पार्क और मेगा फूड पार्क जैसे आर्थिक क्षेत्रों के साथ अंतर्देशीय जलमार्गों को एकीकृत किये जाने की आवश्यकता है। क्रूज़ भारत मिशन के माध्यम से यात्री परिवहन को बढ़ाने के लिये क्रूज़ पर्यटन का विकास किया जाना चाहिये।
  • प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गों पर प्रोत्साहन और निर्धारित अनुसूचित सेवाओं के साथ जलवाहक योजना के अंतर्गत माल के आवागमन को बढ़ावा देना चाहिये।
  • वित्तीय एवं नीतिगत सहायता: अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास हेतु निधि जुटाने, जलमार्ग संबंधी बुनियादी ढाँचे का वर्द्धन करने, नदी सामुदायिक विकास योजना के माध्यम से पारंपरिक नौवहन प्रथाओं का संरक्षण करने की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: वित्तीय प्रोत्साहन और कर लाभ प्रदान कर टर्मिनल विकास, पोत निर्माण और कार्गो हैंडलिंग में निजी निवेश को आकर्षित करना चाहिये।
  • सतत् विकास: हरित जहाज़ों को अपनाना, तथा सतत् ड्रेजिंग तकनीकें पर्यावरण अनुकूल अंतर्देशीय जलमार्ग विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • इन उपायों से प्रदूषण कम होगा, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होगी तथा पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए दीर्घकालिक नौवहन सुनिश्चित होगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. अंतर्देशीय जलमार्ग का भारत के बहु-मॉडल परिवहन नेटवर्क में किस प्रकार योगदान हो सकता है?

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन की समस्याओं और संभावनाओं का उल्लेख कीजिये। (2016)