भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाना | 31 Aug 2023
प्रिलिम्स के लिये:आपातकालीन खरीद, UAV, टेथर्ड ड्रोन, SWARM ड्रोन, मेक प्रोजेक्ट, iDEX (रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार) मेन्स के लिये:भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं को बढ़ाने का महत्त्व |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
अपनी समग्र परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिये भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement- EP) के तहत 130 टेथर्ड ड्रोन और 19 टैंक-ड्राइविंग सिमुलेटर की खरीद के लिये अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
- लंबे समय तक संचालित होने वाले टेथर्ड ड्रोन सिस्टम का उपयोग ऊँचाई वाले क्षेत्रों में किया जा सकता है।
नोट:
- वर्ष 2016 के उरी हमले के बाद पहली बार सशस्त्र बलों को आपातकालीन वित्तीय शक्तियाँ प्रदान की गई थीं, जिसका उद्देश्य खरीद की धीमी नौकरशाही प्रणाली को रोकने में सहायता करना था। इन वित्तीय शक्तियों के तहत प्रत्येक सेवा स्वयं 300 करोड़ रुपए के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकती है।
टेथर्ड ड्रोन और सिमुलेटर:
- टेथर्ड ड्रोन: टेथर्ड ड्रोन मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) की एक श्रेणी है जो एक टेथर्ड के माध्यम से ज़मीन-आधारित स्टेशन से जुड़े होते हैं।
- टेथर्ड ड्रोन सिस्टम, जिनके पंख दिन और रात दोनों समय फैले हुए होते हैं, का उद्देश्य सतर्क रक्षक रहना है, जो सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिये लगातार महत्त्वपूर्ण डेटा और वीडियो फीड भेजते हैं।
- विमानन के अलावा टेथर्ड ड्रोन से निगरानी में एक आदर्श बदलाव आया है, जो कैमरे और रेडियो जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरणों के भार के साथ ज़मीन पर टिके रहते हैं।
- अपनी उन्नत सेंसर तकनीक और विशाल क्षेत्रों का निर्बाध दृश्य प्रदान करने की क्षमता के साथ टेथर्ड ड्रोन युद्ध के मैदान पर स्थितिजन्य जागरूकता और सामरिक निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- सिमुलेटर: यह माना जाता है कि सिमुलेटर वास्तव में टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों (Infantry Combat Vehicles- ICV) के ड्राइवरों के प्रशिक्षण में मदद करेंगे तथा प्रशिक्षण के दौरान टैंक एवं ICV पर टूट-फूट को कम करने में योगदान देंगे।
भारतीय सेना ने अपनी तैयारी में कैसे सुधार किया है?
- भारतीय सेना वर्ष 2023 को 'परिवर्तन के वर्ष' के रूप में मना रही है तथा "अपनी क्षमताओं में बहुत बड़ा परिवर्तन" लाने हेतु कार्यात्मक प्रक्रियाओं को नया रूप देने एवं पुनः तैयार करने के लिये कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
- वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बाद से सेना ने निगरानी और भार वहन हेतु छोटे ड्रोन के लिये भारत की नई स्टार्ट-अप कंपनियों के साथ अनुबंधों की एक श्रृंखला संपन्न की है।
- लॉजिस्टिक तथा नैनो ड्रोन, काउंटर-ड्रोन, लोइटर म्यूनिशन (loiter munitions), SWARM ड्रोन, UAV-लॉन्च प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल एवं स्वचालित स्पेक्ट्रम मॉनीटरिंग सिस्टम जैसी उच्च तकनीकें खरीदी जा रही हैं।
- 'आत्मनिर्भरता' के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप सेना विभिन्न माध्यमों जैसे- 'मेक' परियोजनाओं, iDEX (Innovation for Defence Excellence) तथा अग्रणी प्रौद्योगिकी संस्थानों में 'सेना कक्ष' (Army Cells) की स्थापना जैसे आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से स्वदेशीकरण के साथ आधुनिकीकरण की स्थिति हासिल कर रही है जिससे सेना की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु कुछ पहलें:
- रक्षा औद्योगिक गलियारा
- आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
- डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
- रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति (2020) का मसौदा
- रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)
- मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति
- भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030
- नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO)
भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत के जटिल भू-रणनीतिक वातावरण और संघर्षों के इतिहास को देखते हुए अपनी सीमाओं तथा नागरिकों की सुरक्षा के लिये रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है।
- निवारण: भारत की मज़बूत रक्षा ताकतें क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान कर विरोधियों को संघर्ष या शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू करने से हतोत्साहित कर सकती हैं।
- संघर्ष समाधान: संघर्ष की गंभीर स्थिति में बेहतर रक्षा क्षमताओं के परिणामस्वरूप त्वरित और अधिक अनुकूल समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
- आतंकवाद का मुकाबला: भारत ने आतंकवाद और कई विद्रोही गतिविधियों का सामना किया है, रक्षा क्षमताओं में वृद्धि ने अधिक प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियानों को संभव बनाया है।
- सामरिक स्वायत्तता: रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने से रक्षा उपकरणों, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के लिये बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ती है।
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