भारत-संयुक्त अरब अमीरात संबंध | 10 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL), बराक न्यूक्लियर पावर प्लांट, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG), इंडिया स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व लिमिटेड (ISPRL), आई2यू2 ग्रुपिंग, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA), अभ्यास डेज़र्ट साइक्लोन, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), अब्राहम एकॉर्ड , खाड़ी देश। मेन्स के लिये :भारत के लिये संयुक्त अरब अमीरात का महत्त्व तथा भारत-संयुक्त अरब अमीरात संबंधों से जुड़ी चुनौतियाँ। |
स्रोत : द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने आपसी संबंधों को सुदृढ़ करने तथा अपनी व्यापक सामरिक साझेदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से द्विपक्षीय वार्ता की।
- अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की मेज़बानी भारत के प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में की। दोनों देशों ने ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने हेतु कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित प्रमुख समझौते क्या हैं?
- असैन्य परमाणु सहयोग: भारत और UAE ने असैन्य परमाणु सहयोग के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस समझौते में बराका परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन और रख-रखाव के लिये भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) एवं अमीरात परमाणु ऊर्जा कंपनी (ENEC) शामिल हैं।
- बराका परमाणु ऊर्जा संयंत्र UAE में अबू धाबी अमीरात के भीतर अल धफरा में स्थित है। यह अरब विश्व का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।
- ऊर्जा:
- LNG आपूर्ति: यूएई और भारत के बीच दीर्घकालिक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आपूर्ति के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व (SPR): पेट्रोलियम की आपूर्ति के लिये इंडिया स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व लिमिटेड (ISPRL) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- SPR कच्चे तेल के भंडार हैं, जिन्हें देशों द्वारा बनाए रखा जाता है, जो भू-राजनीतिक अनिश्चितता या आपूर्ति व्यवधानों के समय में भी कच्चे तेल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
- फूड पार्क: भारत में फूड पार्कों के विकास पर गुजरात सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत और यूएई I2U2 समूह का हिस्सा हैं, जिसके तहत गुजरात एवं मध्य प्रदेश में फूड पार्कों की परिकल्पना की गई थी।
यूएई भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- रणनीतिक राजनीतिक भागीदारी: भारत-यूएई संबंधों को ‘व्यापक रणनीतिक भागीदारी’ के स्तर तक ले जाना और ‘रणनीतिक सुरक्षा वार्ता’ की स्थापना दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनीतिक एवं रणनीतिक संरेखण को दर्शाती है।
- द्विपक्षीय व्यापार: यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- वर्ष 2022 में हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) ने व्यापार को और बढ़ावा दिया है, द्विपक्षीय व्यापार 72.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (अप्रैल 2021-मार्च 2022) से बढ़कर 84.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (अप्रैल 2022-मार्च 2023) हो गया है, जो प्रतिवर्ष 16% की वृद्धि दर्ज करता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): वित्त वर्ष 2023 के दौरान यूएई भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है।
- वित्त वर्ष 2023 में यूएई से भारत में एफडीआई 2021-22 में 1.03 बिलियन अमरीकी डॉलर से तीन गुना बढ़कर 3.35 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- ऊर्जा सुरक्षा: यूएई भारत के लिये एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है और भारत के सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व (SPR) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वित्त: UAE में भारत के रुपे कार्ड और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की शुरूआत बढ़ते वित्तीय सहयोग को उजागर करती है।
- दोनों देश सीमा पार लेनदेन के लिये भारतीय रुपए (INR) और UAE दिरहम (AED) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCS) प्रणाली पर सहमत हुए।
- अंतरिक्ष अन्वेषण: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और UAE अंतरिक्ष एजेंसी (UAESA) ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण व उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: UAE और भारत ने आतंकवाद-रोधी, खुफिया जानकारी साझा करने तथा संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत किया है। उदाहरण के लिये, अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन।
- इसके अतिरिक्त इस अवधि के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों, आकाश वायु रक्षा प्रणालियों और तेजस लड़ाकू जेट जैसे भारतीय रक्षा उत्पादों में UAE की रुचि बढ़ी।
- बहुपक्षीय जुड़ाव: I2U2 समूह (भारत-इज़रायल-यूएई-अमेरिका) का गठन और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) में UAE की भागीदारी क्षेत्रीय एवं वैश्विक बहुपक्षीय जुड़ाव में UAE के सामरिक व आर्थिक महत्त्व को दर्शाती है।
- क्षेत्रीय स्थिरता: अब्राहम एकॉर्ड में UAE की भूमिका और इसके बाद इज़रायल के साथ राजनयिक संबंधों का सामान्यीकरण क्षेत्रीय सद्भाव एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में UAE के महत्त्व को रेखांकित करता है।
- मध्य पूर्व में स्थिरता भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं (तेल और गैस आयात) के लिये खाड़ी देशों पर बहुत अधिक निर्भर है।
- सांस्कृतिक और प्रवासी/डायस्पोरा संबंध: संयुक्त अरब अमीरात में लगभग 3.5 मिलियन की संख्या वाला विशाल भारतीय प्रवासी समुदाय दोनों देशों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।
- अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के उद्घाटन जैसी पहल सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के साझा मूल्यों को दर्शाती है, जो भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाती है।
- कोविड-19 के दौरान सहयोग: कोविड-19 महामारी के दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे को चिकित्सा आपूर्ति, उपकरण और टीके उपलब्ध कराए।
- स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इस सहयोग ने उनकी साझेदारी को मज़बूत किया है और संकट के समय एक-दूसरे को समर्थन देने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है।
भारत-UAE संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- व्यापार श्रेणियों का सीमित विविधीकरण: CEPA द्वारा समग्र व्यापार को बढ़ावा देने के बावजूद नई श्रेणियों में विस्तार करने में अपर्याप्त प्रगति हुई है।
- व्यापार अभी भी कुछ क्षेत्रों जैसे रत्न एवं आभूषण, पेट्रोलियम और स्मार्टफोन तक ही सीमित है, जिससे व्यापक आर्थिक लाभ में बाधा आती है तथा व्यापार विविधीकरण में कमी आती है।
- बढ़ती आयात लागत: UAE से आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2022-23 में वर्ष-दर-वर्ष 19% बढ़कर 53,231 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- आयात में यह वृद्धि तथा कुछ श्रेणियों पर अत्यधिक निर्भरता व्यापार संतुलन को प्रभावित करती है और भारत के व्यापार अधिशेष पर दबाव डालती है।
- गैर-टैरिफ बाधाएँ: भारतीय निर्यातकों को अनिवार्य हलाल प्रमाणीकरण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे प्रसंस्कृत वस्तुओं की निर्यात मात्रा कम हो जाती है। ये गैर-टैरिफ बाधाएँ UAE में भारत की बाज़ार पहुँच और प्रतिस्पर्धा को सीमित कर सकती हैं।
- मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ: कफाला प्रणाली से संबंधित मुद्दे, विशेषकर प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों से संबंधित मुद्दे, चिंता का विषय हैं।
- कफाला (प्रायोजन प्रणाली) खाड़ी देशों में नागरिकों और कंपनियों को प्रवासी श्रमिकों के रोज़गार एवं आव्रजन/अप्रवासन स्थिति पर लगभग पूर्ण नियंत्रण प्रदान करती है।
- राजनयिक संतुलन अधिनियम: क्षेत्रीय संघर्षों, जैसे कि इज़रायल-हमास युद्ध और ईरान व अरब देशों के बीच तनाव, से निपटने की आवश्यकता भारत के लिये अतिरिक्त चुनौतियाँ पेश करती है।
- पाकिस्तान को वित्तीय सहायता: पाकिस्तान को UAE की वित्तीय सहायता भारत विरोधी गतिविधियों के लिये संभावित दुरुपयोग के संदर्भ में चिंताएँ उत्पन्न करती है।
- यह सहायता भारत और UAE के बीच संघर्ष उत्पन्न कर सकती है, जिससे कूटनीतिक प्रयास जटिल हो सकते हैं।
आगे की राह
- व्यापार विविधीकरण को बढ़ावा: अधिक संतुलित व्यापार संबंध स्थापित करने और व्यापक आर्थिक लाभों का दोहन करने के लिये प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा एवं फार्मास्यूटिकल्स जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- आर्थिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण: संयुक्त उद्यमों और साझेदारी के अवसरों की खोज करने की आवश्यकता है, जो आर्थिक सहयोग को बढ़ा सकते हैं और उच्च आयात लागत के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
- मानवाधिकारों पर संवाद बढ़ाना: कफाला प्रणाली से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिये UAE अधिकारियों के साथ चर्चा शुरू की जानी चाहिये। ऐसे सुधारों करने चाहिये जो प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों और कार्य स्थितियों, जो अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के अनुरूप हों, में सुधार करें।
- साझा हितों के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना: साझा हितों पर तालमेल बिठाने के लिये सक्रिय कूटनीति में शामिल होकर यह सुनिश्चित करना चाहिये कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण द्विपक्षीय संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ें।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की विदेश नीति रणनीति में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद् (गल्फ कोऑपरेशन काउन्सिल)' का सदस्य नहीं है? (2016) (a) ईरान उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2008)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) प्रश्न. परियोजना ‘मौसम’ को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015) |