विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना
- 22 Dec 2023
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना, विनियमित विखंडन प्रतिक्रिया, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB)। मेन्स के लिये:काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना, भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के तरीके। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KAPS), गुजरात की चौथी इकाई ने अपनी पहली महत्त्वपूर्णता - विनियमित विखंडन प्रतिक्रिया की शुरुआत - हासिल कर ली है, जिससे वाणिज्यिक उपयोग के लिये बिजली उत्पन्न करने हेतु इसके अंतिम परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
क्रांतिकता (Criticality) क्या है?
- विद्युत उत्पादन की दिशा में क्रांतिकता पहला कदम है। एक परमाणु रिएक्टर को महत्त्वपूर्ण तब कहा जाता है जब रिएक्टर के अंदर परमाणु ईंधन विखंडन शृंखला प्रतिक्रिया को बनाए रखता है।
- प्रत्येक विखंडन प्रतिक्रिया, प्रतिक्रियाओं की शृंखला को बनाए रखने के लिये पर्याप्त संख्या में न्यूट्रॉन जारी करती है। इस घटना में ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिसका उपयोग भाप उत्पन्न करने के लिये किया जाता है जो बिजली बनाने के लिये टरबाइन को घुमाता है।
- विखंडन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक परमाणु का नाभिक दो या दो से अधिक छोटे नाभिकों और कुछ उपोत्पादों में विभाजित हो जाता है।
- जब नाभिक विभाजित होता है, तो विखंडित टुकड़ों (प्राथमिक नाभिक) की गतिज ऊर्जा को उष्मीय ऊर्जा के रूप में ईंधन में अन्य परमाणुओं में स्थानांतरित किया जाता है, जिसका उपयोग अंततः टरबाइनों को चलाने तथा भाप का उत्पादन करने के लिये किया जाता है।
क्रांतिकता (Criticality) प्राप्त करने का महत्त्व:
- विद्युत उत्पादन के लिये मील का पत्थर:
- यह चरण यह स्पष्ट करता है कि रिएक्टर निरंतर बिजली उत्पादन के लिये आवश्यक नियंत्रित और सतत शृंखला प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकता है। यह व्यावसायिक उपयोग के लिये पूर्ण संचालन और विद्युत उत्पादन का अग्रदूत है।
- प्रौद्योगिकी प्रगति:
- काकरापार रिएक्टर, विशेष रूप से यूनिट 3 और 4, फुकुशिमा दाइची आपदा जैसी पिछली परमाणु घटनाओं की सीख से प्रेरित उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से लैस हैं।
- इनमें स्टील-लाइन वाली रोकथाम प्रणालियाँ और निष्क्रिय क्षय ताप निष्कासन प्रणालियाँ शामिल हैं, जो सुरक्षा एवं विश्वसनीयता को बढ़ाती हैं।
- ऊर्जा स्थिरता और जलवायु लक्ष्य:
- न्यून कार्बन स्रोत के रूप में परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये भारत के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है।
- जैसा कि संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑफ पार्टीज़ (COP26) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वादा किया गया थ कि भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी 50% विद्युत् ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से उत्पन्न करना है।
काकरापार रिएक्टर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- मौजूदा KAPS रिएक्टर यूनिट-1 और यूनिट-2 में से प्रत्येक की क्षमता 220 मेगावाट है। लेकिन नई 700MW परियोजनाएँ, यूनिट-3 और यूनिट-4, विश्व के सबसे सुरक्षित रिएक्टरों में से हैं।
- यूनिट-3 और 4 रिएक्टरों में स्टील-लाइन वाली आंतरिक रोकथाम प्रणालियाँ हैं जो दुर्घटना की स्थिति में किसी भी रेडियोधर्मी सामग्री को उत्सर्जित होने से रोकती हैं।
- इनमें निष्क्रिय क्षय ताप निष्कासन प्रणालियाँ भी हैं, जो बंद होने पर भी रिएक्टर को सुरक्षित रूप से ठंडा करती हैं।
कैसी रही है भारत की परमाणु यात्रा?
- प्रारंभिक विकास:
- भारत का परमाणु कार्यक्रम वर्ष 1940 के दशक में शुरू हुआ और वर्ष 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) की स्थापना के साथ इसको गति मिली।
- भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले होमी जहाँगीर भाभा ने इसके प्रारंभिक चरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट:
- भारत ने भारत ने पोखरण में ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा 1974 के रूप में अपना पहला शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट किया, जो परमाणु प्रौद्योगिकी में इसके प्रवेश को चिह्नित करता है।
- मई 1998 में पोखरण-II को 5 परमाणु परीक्षणों की एक शृंखला के रूप में आयोजित किया गया था जिसमें एक थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण भी शामिल था जिसका उद्देश्य परमाणु हथियार क्षमता का प्रदर्शन करना था।
- असैन्य परमाणु सहयोग:
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर होने के बावजूद, भारत ने वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते सहित विभिन्न देशों के साथ नागरिक परमाणु समझौतों पर वार्ता की, जिससे प्रौद्योगिकी सहयोग और परमाणु ईंधन आपूर्ति की अनुमति मिली।
- स्वदेशी परमाणु क्षमताएँ:
- भारत ने आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक कौशल का प्रदर्शन करते हुए दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) व फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) सहित स्वदेशी परमाणु तकनीक विकसित की।
- न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा देश के परमाणु रिएक्टर निर्माण और संचालन का नेतृत्व करने के साथ, भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में लगातार वृद्धि हुई है।
- भारत ने आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक कौशल का प्रदर्शन करते हुए दाबयुक्त भारी जल रिएक्टर (PHWR) व फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) सहित स्वदेशी परमाणु तकनीक विकसित की।
- सुरक्षा और विनियम:
- भारत ने परमाणु संबंधी सुविधाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिये परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (Atomic Energy Regulatory Board- AERB) की निगरानी में कड़े सुरक्षा मानकों एवं नियामक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया।
- परमाणु ऊर्जा ने भारत के ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने, ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- भारत ने परमाणु संबंधी सुविधाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिये परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (Atomic Energy Regulatory Board- AERB) की निगरानी में कड़े सुरक्षा मानकों एवं नियामक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया।
- वर्तमान स्थिति तथा भविष्य की योजनाएँ:
- वर्तमान में भारत में न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) के अधीन 23 नाभिकीय विद्युत संयंत्र परिचालन में हैं, जिनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 7,480 मेगावाट है।
- NPCIL 7,500 मेगावाट की कुल क्षमता वाले KAPS यूनिट-4 सहित नौ और संयंत्रों का निर्माण कर रहा है।
- वर्ष 2023 तक भारत की कुल उत्पादन क्षमता 417 गीगावॉट है, जिसमें से 43 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होती है। हालाँकि तेज़ी से विकास के बावजूद, भारत की कुल ऊर्जा उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा की भूमिका अभी भी कम है।
- सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन में नाभिकीय ऊर्जा का योगदान लगभग 2.8 प्रतिशत था।
- भारत ने अपने नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जिनका उद्देश्य वर्ष 2031 तक अपनी क्षमता को तीन गुना करना है।
- हालाँकि सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण एवं नियामक बाधाओं पर जनता की चिंताएँ जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. परमाणु रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है- (2011) (a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा कर देना उत्तर: (a) मेन्स: प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों एवं भयों की विवेचना कीजिये। (2018) |