अंटार्कटिक में भारत का नया डाकघर | 19 Apr 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), हिमाद्रि, दक्षिण गंगोत्री, मैत्री उत्तर भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम, अंटार्कटिक संधि प्रणाली

मेन्स के लिये:

अंटार्कटिक में भारत के अनुसंधान स्टेशन का महत्त्व

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में डाक विभाग ने लगभग चार दशकों के बाद अंटार्कटिक के भारती अनुसंधान केंद्र में डाकघर की दूसरी शाखा खोली है।

  • अंटार्कटिक के लिये इच्छित पत्रों को अब एक नए प्रयोगात्मक पिन कोड- MH-1718 के साथ संबोधित किया जाएगा, जो एक नई शाखा के लिये विशिष्ट है।
  • वर्तमान में मैत्री और भारती दो सक्रिय अनुसंधान स्टेशन हैं जिन्हें भारत अंटार्कटिक में संचालित करता है।

अंटार्कटिक में भारत के डाकघर का क्या महत्त्व है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ:
    • वर्ष 1984 में भारत ने अंटार्कटिक में अपना पहला डाकघर दक्षिण गंगोत्री (भारत का पहला अनुसंधान स्टेशन) में स्थापित किया।
    • दुर्भाग्य से वर्ष 1988-89 में दक्षिण गंगोत्री बर्फ में डूब गया और बाद में इसे निष्क्रिय कर दिया गया था।
  • परंपरा को जारी रखना:
    • भारत ने 26 जनवरी, 1990 को अंटार्कटिक में मैत्री अनुसंधान केंद्र पर एक और डाकघर स्थापित किया।
    • भारत के दो अंटार्कटिक अनुसंधान बेस, मैत्री और भारती हालाँकि 3,000 किमी. दूर हैं लेकिन दोनों गोवा डाक प्रभाग के अंतर्गत आते हैं।
  • परिचालन प्रक्रिया:
    • अंटार्कटिक में डाकघर के लिये आने वाले पत्र गोवा में राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) को भेजे जाते हैं।
    • NCPOR से अंटार्कटिक के लिये रवाना हुए शोधकर्त्ता अपने साथ पत्रों को ले जाते हैं।
      • अनुसंधान बेस पर पत्रों को 'रद्द' कर दिया जाता है, वापस लाया जाता है और डाक के माध्यम से वापस कर दिया जाता है।
      • 'रद्दीकरण' शब्द का तात्पर्य स्टांप या डाक स्टेशनरी पर लगाए गए उस निशान से है जो उसे पुन: उपयोग के लिये बेकार कर देता है।
  • रणनीतिक उपस्थिति:
    • अंटार्कटिक में भारतीय डाकघर का अस्तित्त्व एक रणनीतिक उद्देश्य की पूर्ति करता है।
    • यह भारतीय क्षेत्र के अंर्तगत वह स्थान है जहाँ आमतौर पर भारतीय डाकघर संचालित है। भारत के पास अंटार्कटिक महाद्वीप पर स्वयं को स्थापित करने के लिये यह एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है क्योंकि यह क्षेत्र अंटार्कटिक संधि के तहत विदेशी एवं तटस्थ है।
    • यह वैज्ञानिक अन्वेषण एवं पर्यावरण के नेतृत्व के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
  • अंटार्कटिक की शासन व्यवस्था:
    • अंटार्कटिक संधि क्षेत्रीय दावों को समाप्त करती है और साथ ही सैन्य अभियानों एवं परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने तथा वैज्ञानिक खोज पर ज़ोर देती है।
    • इस विदेशी भूमि में एक भारतीय डाकघर का होना संधि की भावना के अनुरूप है।

भारत का अंटार्कटिक कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय:
    • यह राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) के अंर्तगत एक वैज्ञानिक अनुसंधान तथा अन्वेषण कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत वर्ष 1981 में हुई जब अंटार्कटिका पर पहला भारतीय अभियान चलाया गया।
      • NCPOR की स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी।
  • दक्षिणी गंगोत्री:
    • दक्षिणी गंगोत्री भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में अंटार्कटिक में स्थापित पहला भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान स्टेशन था।
    • हालाँकि यह वर्ष 1988-89 में बर्फ में डूब गया था तथा बाद में इसे निष्क्रिय कर दिया गया था।
  • मैत्री:
    • मैत्री अंटार्कटिक में भारत का दूसरा स्थायी अनुसंधान स्टेशन है। यह वर्ष 1989 में निर्मित किया गया था।
    • मैत्री, शिरमाकर ओएसिस नामक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। भारत ने मैत्री के आस-पास मीठे पानी की एक झील भी बनाई जिसे प्रियदर्शिनी झील के नाम से जाना जाता है।
  • भारती:
    • भारती, वर्ष 2012 से भारत का नवीनतम अनुसंधान स्टेशन है। इसका निर्माण शोधकर्त्ताओं को खराब मौसम के बावजूद सुरक्षित रूप से कार्य करने में सहायता हेतु किया गया है।
    • यह भारत की पहली प्रतिबद्ध अनुसंधान सुविधा है और मैत्री से लगभग 3000 किमी. पूर्व में स्थित है।
  • अन्य अनुसंधान सुविधाएँ:
    • सागर निधि:
      • वर्ष 2008 में भारत ने अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के गौरव सागर निधि को प्रारंभ किया।
      • यह एक बर्फ श्रेणी का जहाज़ है, जो 40 सेमी. गहराई की पतली बर्फ को काट सकता है और साथ ही यह अंटार्कटिक जल में नौवहन करने वाला पहला भारतीय जहाज़ है।
      • यह देश में अपनी तरह का पहला जहाज़ है, साथ ही इसका प्रयोग दूर से संचालित होने वाले वाहनों (ROV) तथा गहरे समुद्र में नोड्यूल खनन प्रणाली के प्रक्षेपण और पुनर्प्राप्ति के साथ-साथ सुनामी अध्ययन के लिये भी कई बार किया गया है।

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अंटार्कटिक संधि प्रणाली क्या है?

  • परिचय:
    • यह अंटार्कटिक में राज्यों के बीच संबंधों को विनियमित करने के लिये की गई व्यवस्थाओं का सम्मिश्रण है।
    • इसका उद्देश्य सभी मानव जाति के हित में यह सुनिश्चित करना है कि अंटार्कटिक का उपयोग हमेशा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जाता रहेगा और यह अंतर्राष्ट्रीय कलह का कारण नहीं बनेगा।
    • यह एक वैश्विक उपलब्धि है और 50 से अधिक वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की पहचान रही है।
    • ये समझौते कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और अंटार्कटिक की अद्वितीय भौगोलिक, पर्यावरणीय और राजनीतिक विशेषताओं के लिये बनाए गए हैं और इस क्षेत्र के लिये एक मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय शासन ढाँचा तैयार करते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • हालाँकि अंटार्कटिक संधि कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करने में सक्षम है, लेकिन 1950 के दशक की तुलना में 2020 में परिस्थितियाँ मौलिक रूप से भिन्न हैं।
      • अंटार्कटिक आंशिक रूप से प्रौद्योगिकी के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण भी अधिक सुलभ है। मूल 12 देशों की तुलना में अब इस महाद्वीप में अधिक देशों के वास्तविक हित हैं।
      • कुछ वैश्विक संसाधन, विशेषकर तेल दुर्लभ होते जा रहे हैं। अंटार्कटिक संसाधनों, विशेष रूप से मत्स्य पालन और खनिजों में राष्ट्रों के हितों के संबंध में काफी अटकलें हैं।
      • इसलिये संधि पर हस्ताक्षर करने वाले सभी, विशेषकर महाद्वीप में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वालों को संधि के भविष्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • संधि प्रणाली के प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समझौते:
    • वर्ष 1959 की अंटार्कटिक संधि।
    • अंटार्कटिक सील के संरक्षण के लिये 1972 का कन्वेंशन।
    • अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर 1980 का कन्वेंशन।
    • अंटार्कटिक संधि के लिये पर्यावरण संरक्षण पर 1991 का प्रोटोकॉल।

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Polar and Ocean Research):

  • इसकी स्थापना 25 मई 1998 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास संस्थान के रूप में की गई थी।
  • पहले इसे राष्ट्रीय अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र (National Centre for Antarctic and Ocean Research) के रूप में जाना जाता था, NCAOR भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है जो ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार है।
  • यह देश में ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ संबंधित लॉजिस्टिक गतिविधियों की योजना, प्रचार, समन्वय और निष्पादन के लिये नोडल एजेंसी है।
  • इसके उत्तरदायित्वों में शामिल हैं:
    • भारतीय अंटार्कटिक अनुसंधान बेस "मैत्री" और "भारती" तथा भारतीय आर्कटिक बेस "हिमाद्रि" का प्रबंधन एवं रखरखाव।
    • मंत्रालय के अनुसंधान पोत ORV सागर कन्या के साथ-साथ मंत्रालय द्वारा चार्टर्ड अन्य अनुसंधान जहाज़ों का प्रबंधन।
      • महासागर अनुसंधान वाहन (ORV) सागर कन्या एक बहुमुखी महासागर अवलोकन प्लेटफॉर्म है, जो तकनीकी रूप से उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों और संबंधित सुविधाओं से सुसज्जित है।
  • यह गोवा राज्य में स्थित है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. अंटार्कटिक प्रयासों में भारत की प्रमुख उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ क्या हैं? अंटार्कटिक में भारत की उपस्थिति इसकी वैश्विक स्थिति और वैज्ञानिक क्षमताओं में कैसे योगदान देती है। वर्णन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जून की 21वीं तारीख को सूर्य: (2019)

(a) उत्तर ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है
(b) दक्षिण ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है
(c) मध्याह्न में भूमध्य रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है
(d) मकर-रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. आर्कटिक की बर्फ और अंटार्कटिक के ग्लेशियरों का पिघलना किस तरह अलग-अलग ढंग से पृथ्वी पर मौसम के स्वरूप और मनुष्य की गतिविधियों पर प्रभाव डालते हैं? स्पष्ट कीजिये। (2021)

प्रश्न. भारत आर्कटिक प्रदेश के संसाधनों में किस कारण गहन रुचि ले रहा है? (2018)