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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत मालदीव संबंध

  • 04 Aug 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मालदीव का भूगोल, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, भारत मालदीव संबंध, हिंद महासागर क्षेत्र

मेन्स के लिये:

भारत-मालदीव संबंध, भारत और इसके पड़ोसी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने मालदीव के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

  • प्रधानमंत्री ने हिंद महासागर में अंतर्राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शांति तथा स्थिरता के लिये रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में भारत एवं मालदीव के बीच समन्वय महत्त्वपूर्ण है।

Maldives

द्विपक्षीय वार्ता:

  • सुरक्षा:
    • हिंद महासागर क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत मालदीव सुरक्षा बल को 24 वाहन एवं एक नौसैनिक नाव उपलब्ध कराएगा, साथ ही द्वीपीय राष्ट्र के सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा।
    • भारत मालदीव के 61 द्वीपों में पुलिस सुविधाओं के निर्माण में भी सहयोग करेगा।
  • माले कनेक्टिविटी परियोजना:
    • दोनों नेताओं ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित 500 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की परियोजना के का भी स्वागत किया।
      • दोनों नेताओं ने भारत से प्राप्त अनुदान और रियायती ऋण सहायता के तहत बनाए जा रहे 500 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के वर्चुअल आधारशिला समारोह में भाग लिया।
  • समझौते:
    • मालदीव के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिये दोनों देशों ने छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें शामिल हैं:
      • साइबर सुरक्षा
      • क्षमता निर्माण
      • आवास
      • आपदा प्रबंधन
      • आधारभूत संरचना का विकास
        • भारत ने द्वीपीय राष्ट्र को कुछ आधारिक संरचना परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करने के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के वित्तीय सहायता की घोषणा की।

भारत-मालदीव संबंध :

  • सुरक्षा सहयोग:
    • हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री द्वारा मालदीव की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एन्फोर्समेंट (National College for Policing and Law Enforcement- NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
  • पुनर्वास केंद्र:
    • अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट (Addu Reclamation and Shore Protection Project) हेतु 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • अड्डू में एक ‘ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ (Drug Detoxification And Rehabilitation Centre) का निर्माण भारत की मदद से किया गया है।
      • यह सेंटर स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्यपालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
  • आर्थिक सहयोग:
    • पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और बहुत से भारतीय वहाँ रोज़गार के लिये जाते हैं।
    • अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
    • भारत मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
      • महामारी संबंधी चुनौतियों के बावज़ूद वर्ष 2021 में, द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 31% की वृद्धि दर्ज की गई।

भारत-मालदीव संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • राजनैतिक अस्थिरता:
    • भारत की प्रमुख चिंता इसकी सुरक्षा और विकास पर पड़ोसी देशों की राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव रहा है।
    • फरवरी 2015 में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट ने भारत की पड़ोस नीति के समक्ष एक वास्तविक कूटनीतिक परीक्षा जैसी स्थिति उत्पन्न की है।
  • कट्टरता:
    • पिछले एक दशक में, इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता दिखाई दे रहा है।
      • यह पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी हमलों के लिये लॉन्च पैड के रूप में मालदीव के द्वीपों का उपयोग करने की आशंका को जन्म देता है।
  • चीनी पक्ष:
    • हाल के वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
    • चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय है।
    • इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ समझौते के लिये 'चाइना कार्ड' का उपयोग शुरू कर दिया है।

आगे की राह

  • यद्यपि भारत मालदीव का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है, किंतु भारत को अपनी स्थिति पर संतुष्ट नहीं होना चाहिये और मालदीव के विकास के प्रति अधिक ध्यान देना चाहिये।
  • दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये।
    • इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (विशेषकर चीन की) की वृद्धि प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
  • वर्तमान में 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे भारत सरकार द्वारा समर्थन प्रदान नहीं किया जा सकता है।
    • यदि 'इंडिया आउट' के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी से हल नहीं किया जाता है और भारत, मालदीव के लोगों को द्वीप राष्ट्र पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में प्रभावी ढंग से नहीं समझाता है, तो यह अभियान मालदीव में घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

  1. 'द स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' नीति से आप क्या समझते हैं? यह भारत को कैसे प्रभावित करती है? इसका मुकाबला करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों का संक्षेप में वर्णन कीजिये। (2013)
  2. पिछले दो वर्षों में मालदीव में राजनीतिक विकास पर चर्चा कीजिये। क्या वे भारत के लिये चिंता का कोई कारण हो सकते हैं? (2013)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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