बदलती गतिशीलता के बावजूद भारत हथियारों के आयात में विश्व में प्रथम | 30 Mar 2024

प्रिलिम्स:

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट, भारत के हथियार आयात गतिशीलता, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ, रक्षा औद्योगिक गलियारे, रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार

मेन्स:

हथियार उद्योग से संबंधित भारत सरकार की हालिया पहल

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अंतर्राष्ट्रीय हथियार हस्तांतरण के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत  वर्ष 2019 से 2023 की अवधि के दौरान वैश्विक स्तर पर अग्रणी हथियार आयातक के रूप में उभरा है

  • इस समय-सीमा के दौरान, वर्ष 2014 से 2018 की अवधि की तुलना में भारत के आयात में 4.7% की वृद्धि हुई।

वर्तमान SIPRI डेटा की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? 

  • हथियार आयातक: वर्ष 2019-23 में 10 सबसे बड़े हथियार आयातकों में से नौ, जिनमें भारत, सऊदी अरब और कतर शीर्ष 3 में शामिल हैं, जो कि एशिया तथा ओशिनिया या मध्य पूर्व के देशों में थे।
    • गौरतलब है, कि इस समय यूक्रेन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार आयातक बनकर उभरा है।
  •  हथियार निर्यातक: संयुक्त राज्य अमेरिका, वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्त्ता, ने वर्ष 2014-18 और वर्ष 2019-23 की अवधि के बीच हथियारों के निर्यात में 17% की वृद्धि देखी।
    • समवर्ती रूप से, फ्राँस विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्त्ता बन गया।
    • मज़बूत सैन्य-औद्योगिक क्षमता के साथ, यूरोप के पास वैश्विक हथियार निर्यात का एक तिहाई हिस्सा है।
    • इसके विपरीत, रूस में -53% की कमी के साथ आधे से अधिक की बहुत बड़ी गिरावट देखी गई।
  • भारत के हथियार आयात की गतिशीलता: यद्यपि रूस भारत का प्राथमिक हथियार आपूर्तिकर्त्ता बना रहा, जो इसके हथियारों के आयात का 36% हिस्सा था, यह वर्ष 1960-64 के बाद पहली 5 वर्ष की अवधि थी जहाँ रूसी हथियार वितरण भारत के कुल हथियार आयात के आधे से भी कम थी।
    • भारत अब अपनी बढ़ती रक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये फ्राँस और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों की ओर रुख कर रहा है, साथ ही अपने घरेलू हथियार उद्योग को भी बढ़ावा दे रहा है।

SIPRI क्या है?

  • यह एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो संघर्ष, आयुध, हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण पर अनुसंधान के लिये समर्पित है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1966 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुई थी।
  • यह नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और इच्छुक जनता को खुले स्रोतों पर आधारित डेटा, विश्लेषण एवं सिफारिशें प्रदान करता है।

हथियारों के आयात को कम करने के लिये भारत सरकार की हालिया पहल क्या हैं?

  • परिचय: भारत का दूसरा सबसे बड़ा सशस्त्र बल रक्षा क्षेत्र क्रांति के शिखर पर है।
    • अंतरिम बजट 2024-25 में रक्षा मंत्रालय को कुल 6.2 लाख करोड़ रुपए का आवंटन प्राप्त हुआ।
    • इस आवंटन के भीतर, ₹17.2 लाख करोड़ विशेष रूप से नई खरीद के लिये पूंजीगत व्यय के लिये नामित किये गए थे।
      • यह पूंजी आवंटन 2023-24 के बजट अनुमान की तुलना में 5.78% की वृद्धि दर्शाता है।
  • पहल: 
    • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ: सरकार उन विशिष्ट घटकों और उप-प्रणालियों की पहचान करने के लिये सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी करती है जिनका निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाना चाहिये।
      • सैन्य मामलों के विभाग ने हाल ही में 5वीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी की है जिसमें 98 वस्तुएँ शामिल हैं, जो रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी विनिर्माण को और बढ़ावा देती हैं।
    • रक्षा क्षेत्र में बढ़ी FDI सीमा: इसे वर्ष 2020 में ऑटोमैटिक रूट से 74% और सरकारी रूट से 100% तक बढ़ा दिया गया है।
    • रक्षा औद्योगिक गलियारा: रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किये गए हैं।
      • उत्तर प्रदेश कॉरिडोर में आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झाँसी, कानपुर और लखनऊ के नोड शामिल हैं।
      • तमिलनाडु कॉरिडोर में चेन्नई, कोयंबटूर, होसुर, सलेम और तिरुचिरापल्ली के नोड शामिल हैं।
    • रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (idEX): iDEX का लक्ष्य रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास के लिये एक पारितंत्र विकसित करना है।
      • यह उद्योगों, MSME, स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स, अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं और शिक्षाविदों जैसे विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए उन्हें भारतीय रक्षा तथा एयरोस्पेस आवश्यकताओं के लिये अनुसंधान एवं विकास के लिये अनुदान, वित्त पोषण और समर्थन प्रदान करता है।
      • इस पहल को कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइज़ेशन (DIO) द्वारा वित्त पोषित और प्रबंधित किया जाता है।
    • सृजन पोर्टल: यह विक्रेताओं के लिये उन रक्षा उपकरणों के निर्माण के अवसर खोजने के लिये वन-स्टॉप शॉप है जो पहले आयात किये जाते थे।
      • रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (DPSU) और अन्य सरकारी एजेंसियाँ उन विशिष्ट वस्तुओं के संबंध में विवरण पोस्ट करने के लिये सृजन का उपयोग कर सकती हैं जिनका वे देशज रूप से विकसित करना चाहते हैं।
      • इससे भारतीय कंपनियों को अपनी रुचि व्यक्त करने और उत्पादन में सहयोग करने का अवसर मिलता है।

आगे की राह 

  • रक्षा नवाचार क्षेत्र: विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों को रक्षा नवाचार क्षेत्र के रूप में नामित करना, रक्षा स्टार्टअप और उच्च तकनीक कंपनियों को आकर्षित करने के लिये बुनियादी ढाँचे का समर्थन तथा नियामक लचीलेपन की पेशकश करना।
  • सुव्यवस्थित खरीद प्रक्रिया: घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये स्वदेशी रक्षा उत्पादों की खरीद प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाना। 
    • स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को प्राथमिकता देने वाली पारदर्शी और कुशल खरीद नीतियों को लागू करना।
  • स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन: स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में लगी कंपनियों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन, कर लाभ और सब्सिडी प्रदान करना। रक्षा स्टार्टअप और छोटे पैमाने के उद्यमों के समृद्ध बनने हेतु एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
  • निर्यात को बढ़ावा देना: एक मज़बूत रक्षा निर्यात उद्योग का निर्माण करना जो आगे के अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने के लिये राजस्व उत्पन्न कर सके और इज़रायल के मॉडल के समान केवल घरेलू बजट पर निर्भरता को कम कर सके।