अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत जापान 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक
- 22 Aug 2024
- 20 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत-प्रशांत क्षेत्र, आसियान, संयुक्त राष्ट्र चार्टर, वीर गार्जियन, धर्म गार्जियन, जिमेक्स, मानव रहित जमीनी वाहन, 26/11 मुंबई हमला, बौद्ध धर्म मेन्स के लिये:भारत-जापान संबंध, रणनीतिक साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा, आसियान एवं क्षेत्रीय कूटनीति |
स्रोत : द हिंदू
चर्चा में क्यों ?
भारत और जापान ने हाल ही में नई दिल्ली में अपनी तीसरी 2+2 विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की।
- बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के संदर्भ में हुई चर्चा में विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत और जापान 2+2 बैठक की मुख्य बातें क्या हैं?
- स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र: दोनों देशों ने स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।
- इस रणनीतिक संरेखण को क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति से बढ़ावा मिलता है।
- मंत्रियों ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया तथा हिंद-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण (AOIP) का समर्थन किया।
- AOIP एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में सहयोग, स्थिरता एवं शांति को बढ़ावा देने में आसियान की केंद्रीय भूमिका पर ज़ोर देता है।
- यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों पर नियम-आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये आसियान की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
- उन्होंने जुलाई 2024 में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में चर्चा के बाद चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) के भीतर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- जापान और भारत ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिये तीसरे देशों को सुरक्षा सहायता में सहयोग करने की सलाह दी है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: मंत्रियों ने रक्षा सहयोग को अपनी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के एक स्तंभ के रूप में मान्यता दी।
- वर्ष 2022 में ज़ारी जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मज़बूत किया।
- वीर गार्जियन (2023), धर्म गार्जियन (सैन्य), जिमेक्स (नौसेना), शिन्यू मैत्री (वायुसेना) और मालाबार (ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ) जैसे बहुपक्षीय अभ्यासों में हुई प्रगति पर ज़ोर दिया गया।
- उन्होंने मानव रहित ज़मीनी वाहनों (UGV) और रोबोटिक्स सहयोग में प्रगति की सराहना की।
- दोनों देश समकालीन सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिये वर्ष 2008 के संयुक्त घोषणा-पत्र को संशोधित और अद्यतन करने पर सहमत हुए। यह अद्यतन वर्तमान प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करेगा और विकसित हो रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के साथ संरेखित होगा।
- आतंकवाद और उग्रवाद: दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की निंदा की, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों और अन्य घटनाओं के अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया।
- आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने, वित्तपोषण चैनलों को बंद करने और आतंकवादियों की आवाज़ाही को रोकने के प्रयासों का समर्थन किया गया, जिसमें अल कायदा, ISIS/Daesh, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे समूहों का विशेष उल्लेख किया गया।
- प्रौद्योगिकी: चर्चा में जापान के एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना (UNICORN) और संबंधित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर प्रकाश डाला गया।
- यूनिकॉर्न सिस्टम एक एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना है, जो कई एंटेना को एक सींग के आकार की संरचना में एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य रडार सिग्नेचर को कम करना है, जिससे युद्धपोतों को दुश्मन बलों द्वारा कम पहचाना जा सके।
- यह प्रणाली मिसाइलों और ड्रोनों का भी पता लगा सकती है तथा व्यापक क्षेत्र में रेडियो तरंगों को पहचानने की अपनी क्षमता के माध्यम से स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ा सकती है।
- दोनों पक्षों ने भारत में जापानी नौसेना के जहाज के रख-रखाव की संभावना तलाशने पर सहमति व्यक्त की तथा भविष्य में रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग पर चर्चा की।
- यूनिकॉर्न सिस्टम एक एकीकृत जटिल रेडियो एंटीना है, जो कई एंटेना को एक सींग के आकार की संरचना में एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य रडार सिग्नेचर को कम करना है, जिससे युद्धपोतों को दुश्मन बलों द्वारा कम पहचाना जा सके।
- महिला, शांति और सुरक्षा (WPS): जापान तथा भारत ने शांति अभियानों में महिलाओं की भूमिका पर ज़ोर दिया एवं महिला, शांति व सुरक्षा (WPS) एजेंडे का समर्थन किया।
- WPS एजेंडा एक वैश्विक ढाँचा है, जिसका उद्देश्य संघर्ष के लैंगिक प्रभावों को संबोधित करना और शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। इस एजेंडे को वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (UNSCR) 1325 को अपनाने के साथ औपचारिक रूप दिया गया था, जो संघर्षों को रोकने और हल करने, शांति निर्माण और संघर्ष के बाद की बहाली में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।
2+2 बैठकें क्या हैं?
- परिचय: 2+2 बैठकें दो देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय राजनयिक वार्ता होती हैं।
- यह प्रारूप रणनीतिक सुरक्षा और रक्षा मुद्दों पर गहन चर्चा की सुविधा प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना और आपसी चिंताओं का समाधान करना है, जिससे संघर्षों को सुलझाने और मज़बूत साझेदारी बनाने में सहायता मिल सकती है।
- भारत के 2+2 साझेदार:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रमुख 2+2 साझेदार है। भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता वर्ष 2018 में हुई थी।
- इस वार्ता ने पूर्ववर्ती सामरिक एवं वाणिज्यिक वार्ता का स्थान लिया तथा इसका उद्देश्य सामरिक सहयोग को बढ़ाना तथा साझा चिंताओं का समाधान करना था।
- रूस: रूस के साथ पहली 2+2 बैठक 2021 में हुई थी। दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर समान विचार साझा करते हैं और इस मंच का उपयोग क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला पर चर्चा करने के लिये करते हैं।
- अमेरिका और रूस के अतिरिक्त भारत ने रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने, रणनीतिक सहयोग बढ़ाने एवं बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने के लिये ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्राजील व यूनाइटेड किंगडम के साथ 2+2 बैठकें की हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रमुख 2+2 साझेदार है। भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता वर्ष 2018 में हुई थी।
भारत और जापान के लिये ASEAN का क्या महत्त्व है?
- ASEANअपने सामरिक, आर्थिक एवं भू-राजनीतिक महत्त्व के कारण भारत और जापान दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भारत के लिये ASEAN उसकी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाता है।
- भारत संबंधों को मज़बूत करने तथा महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बुनियादी अवसरंचना परियोजनाओं और आर्थिक समझौतों में संलग्न है।
- जापान के लिये ASEAN एक प्रमुख व्यापार साझेदार और निवेश गंतव्य है, जहाँ जापान विकास सहायता एवं बुनियादी अवसरंचना परियोजनाओं के माध्यम से अपनी आर्थिक उपस्थिति का लाभ उठा रहा है।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के हस्ताक्षरकर्त्ता के रूप में जापान व्यापार और आर्थिक सहयोग के एक बड़े ढाँचे के माध्यम से ASEAN के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मज़बूत करता है।
- दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने, क्षेत्रीय खतरों का प्रतिकार करने तथा नियम-आधारित व्यवस्था और स्थिर, खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये ASEAN के साथ सहयोग करते हैं।
भारत-जापान संबंध कैसे विकसित हुए हैं?
- प्रारंभिक आदान-प्रदान: जापान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंध छठी शताब्दी में जापान में बौद्ध धर्म के आगमन के साथ शुरू हुआ, जिसमें भारतीय सांस्कृतिक और दार्शनिक प्रभाव महत्त्वपूर्ण थे।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के संबंध: वर्ष 1949 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा यूनो चिड़ियाघर (टोक्यो) में एक हाथी भेजना, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नए सिरे से संबंधों की शुरुआत का प्रतीक था।
- वर्ष 1952 में शांति संधि पर हस्ताक्षर और राजनयिक संबंधों की स्थापना जापान की युद्ध के बाद की पहली संधियों में से एक थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान की रिकवरी को भारतीय लौह अयस्क से सहायता मिली और जापान ने वर्ष 1958 से भारत को येन ऋण देना शुरू कर दिया।
- सामरिक साझेदारी: 2000 के दशक में "वैश्विक साझेदारी" की स्थापना के साथ यह संबंध और भी मज़बूत हुआ। वर्ष 2014 में "विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी" के स्तर तक उन्नयन सहित नेताओं के बीच बाद की बैठकों ने उनके द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते महत्त्व को उजागर किया।
- वर्ष 2015 में सहयोग की रूपरेखा को रेखांकित करते हुए ‘जापान और भारत विज़न 2025’ की घोषणा की गई थी।
- सहयोग के प्रमुख क्षेत्र:
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: 2008 में ज़ारी "सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा" ने "2+2" बैठकों तथा वर्ष 2020 में हस्ताक्षरित अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (ACSA) सहित चल रहे सुरक्षा संवादों की नींव रखी।
- दोनों देशों के रक्षा बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान को सुविधाजनक बनाने के लिये ACSA पर हस्ताक्षर किये गए।
- आर्थिक संबंध: जापान और भारत के आर्थिक संबंध मज़बूत हुए हैं, क्योंकि जापान भारत में एक महत्त्वपूर्ण निवेशक है। वर्ष 2021 तक जापान भारत का 13वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और 5वाँ सबसे बड़ा निवेशक था।
- प्रमुख पहलों में "भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी" और "स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी" शामिल हैं, जिनका उद्देश्य आपसी निवेश एवं ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना है।
- वर्ष 2019 G20 ओसाका शिखर सम्मेलन के दौरान जापान और भारत ने अहमदाबाद व कोबे के बीच सिस्टर-सिटी संबंध को औपचारिक रूप देने के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- यह समझौता वर्ष 2016 के समझौता ज्ञापन पर आधारित है, जिसके तहत गुजरात और ह्योगो प्रान्त के बीच सिस्टर-सिटी संबंध स्थापित किया गया था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकसित की गई ‘सिस्टर-सिटी अवधारणा’ को विभिन्न देशों के शहरों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों, व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- जापान ने वर्ष 2023 में अगले पाँच वर्षों के दौरान भारत में 5 ट्रिलियन येन (लगभग 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर) निवेश करने का संकल्प लिया है, जो कि इसकी पिछली प्रतिबद्धता में एक बड़ी वृद्धि है।
- भारत जापानी आधिकारिक विकास सहायता (ODA) का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है, जिसमें दिल्ली मेट्रो और जापान की शिंकानसेन प्रणाली का उपयोग करके हाई-स्पीड रेलवे पहल जैसी उल्लेखनीय परियोजनाएँ शामिल हैं।
- वित्त वर्ष 2022 में जापानी सहायता में अनुदान और तकनीकी सहयोग के साथ-साथ 567.5 बिलियन येन का ऋण शामिल था।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: वर्ष 2017 को जापान-भारत मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान का वर्ष घोषित किया गया।
- वर्ष 2022 में ‘जापान-दक्षिण-पश्चिम एशिया आदान-प्रदान वर्ष’ भारत व अन्य दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिये जापान की प्रतिबद्धता को और भी उजागर करता है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: 2008 में ज़ारी "सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा" ने "2+2" बैठकों तथा वर्ष 2020 में हस्ताक्षरित अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (ACSA) सहित चल रहे सुरक्षा संवादों की नींव रखी।
नोट: वर्ष 1942 में कैप्टन मोहन सिंह ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की मांग करने वाले भारतीय युद्धबंदियों (POW) के साथ जापानी सहायता से पहली भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया।
- जापानी सेना के साथ विवाद के कारण दिसंबर 1942 तक इसका विघटन हो गया।
- जुलाई 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने INA को आज़ाद हिंद फौज़ में पुनर्गठित किया, जिसमें पूर्व INA सैनिकों को भारतीय स्वयंसेवकों के साथ एकजुट किया गया।
जापान के संदर्भ में मुख्य तथ्य:
- जापान पूर्वी एशिया का एक द्वीप राष्ट्र है, जो प्रशांत महासागर में स्थित है। यह पाँच मुख्य द्वीपों (होक्काइडो, होन्शू, शिकोकू, क्यूशू और ओकिनावा) और लगभग 4,000 छोटे द्वीपों का एक द्वीपसमूह है।
- जापान जापान सागर, चीन, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और रूस के पूर्व में स्थित है। यह उत्तर में ओखोटस्क सागर से लेकर दक्षिण में पूर्वी चीन सागर और ताइवान तक फैला हुआ है।
- जापान के नाम को बनाने वाले अक्षरों का अर्थ है ‘सूर्य की उत्पत्ति (Sun-Origin)’, यही वज़ह है कि जापान को ‘उगते हुए सूर्य का देश’ के रूप में भी जाना जाता है।
- यह एक पर्वतीय देश है, जिसमें जापानी आल्प्स होन्शू से नीचे तक विस्तृत हैं तथा माउंट फ़ूजी इसकी सबसे ऊँची चोटी है।
- इस देश में प्रायः भूकंप आते रहते हैं और यहाँ लगभग 200 ज्वालामुखी हैं। यह रिंग ऑफ फायर के पश्चिमी तट पर स्थित है।
- जापान में एक संवैधानिक राजतंत्र के साथ एक संसदीय सरकार है। सम्राट शाही परिवार का मुखिया और औपचारिक राज्य का मुखिया होता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत-जापान संबंधों के विकास पर चर्चा कीजिये और उन प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिये जिन्होंने उनके द्विपक्षीय संबंधों को आयाम दिया है। ये संबंध व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका एवं तुर्की उत्तर: (a) व्याख्या:
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