भारत, ईरान और चाबहार बंदरगाह | 09 Oct 2023
प्रिलिम्स के लिये:चाबहार बंदरगाह, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, भारतीय मुद्रा (रुपए) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वोस्ट्रो खाता मेन्स के लिये:भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व, भारत और ईरान के बीच विवाद के क्षेत्र |
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
भारत और ईरान, चाबहार बंदरगाह पर परिचालन के लिये 10 वर्ष के समझौते को अंतिम रूप देने में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति की दिशा में अग्रसर हैं, जिसके तहत प्रमुख समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
- इसके अतिरिक्त दोनों देश ईरान के क्षय हो रहे मुद्रा भंडार जिससे विशेषकर फार्मास्यूटिकल्स, अनाज और चाय जैसी वस्तुओं के व्यापार में बाधा उत्पन्न हुई है, के मुद्दे के समाधान पर विचार कर रहे हैं।
भारत के लिये चाबहार बंदरगाह का महत्त्व:
- परिचय:
- चाबहार ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह है। यह सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तट पर स्थित है।
- चाबहार में दो मुख्य बंदरगाह हैं- ‘शाहिद कलंतरी’ और ‘शाहिद बेहेश्ती’।
- शाहिद कलंतरी बंदरगाह का विकास 1980 के दशक में किया गया था।
- ईरान ने भारत को शाहिद बेहिश्ती बंदरगाह विकसित करने की परियोजना की पेशकश की थी जिसकी भारत द्वारा सराहना की गई।
- चाबहार पोर्ट डील के संबंध में प्रगति और अपडेट:
- दोनों देशों ने वर्ष 2016 में भारत के लिये बंदरगाह के शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल को 10 वर्षों के लिये विकसित और संचालित करने के लिये एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- हालाँकि समझौते के कुछ खंडों पर मतभेद सहित कई कारकों के कारण दीर्घकालिक समझौते को अंतिम रूप देने में देरी हुई है।
- विवादों के मामले में मध्यस्थता के क्षेत्राधिकार से संबंधित खंड, मुख्य मुद्दों में से एक था।
- भारत चाहता था कि मध्यस्थता कार्य किसी तटस्थ राष्ट्र में की जाए, जबकि ईरान की इच्छा थी कि यह कार्य उसके अपने न्यायालय अथवा किसी मित्र राष्ट्र में हो।
- कुछ हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत और ईरान ने मध्यस्थता के मुद्दे पर मतभेदों को कम किया है तथा दोनों पक्ष इन मामलों को दुबई की मध्यस्थता न्यायालयों में उठाने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
- दोनों पक्षों ने टैरिफ, सीमा शुल्क क्लीयरेंस तथा सुरक्षा व्यवस्था जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की है।
- चाबहार बंदरगाह का महत्त्व:
- वैकल्पिक व्यापार मार्ग: ऐतिहासिक रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुँच मुख्य रूप से पाकिस्तान के माध्यम से पारगमन मार्गों पर निर्भर रही है।
- चाबहार बंदरगाह एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है जो पाकिस्तान के बाह्य मार्ग से होकर गुज़रता है, जिससे अफगानिस्तान से व्यापार करने हेतु भारत की पड़ोसी देशों पर निर्भरता कम हो जाती है।
- भारत तथा पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अतिरिक्त चाबहार बंदरगाह भारत की ईरान तक पहुँच को सक्षम बनाने में सहायता करेगा, जो कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा का प्रमुख प्रवेश द्वार है, जिसमें भारत, ईरान, रूस, मध्य एशिया तथा यूरोप के बीच समुद्री, रेल एवं सड़क मार्ग शामिल हैं।
- चाबहार बंदरगाह एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है जो पाकिस्तान के बाह्य मार्ग से होकर गुज़रता है, जिससे अफगानिस्तान से व्यापार करने हेतु भारत की पड़ोसी देशों पर निर्भरता कम हो जाती है।
- आर्थिक लाभ: चाबहार बंदरगाह भारत को मध्य एशिया के संसाधन-संपन्न तथा आर्थिक उन्मुख क्षेत्र के लिये प्रवेश द्वार प्रदान करता है।
- इसकी सहायता से इन बाज़ारों में भारत के व्यापार और निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं, जिससे संभावित रूप से भारत में आर्थिक विकास तथा रोज़गार सृजन हो सकता है।
- मानवीय सहायता: चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान में मानवीय सहायता तथा पुनर्निर्माण प्रयासों के लिये एक अहम भूमिका निभा सकता है।
- भारत क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान करते हुए अफगानिस्तान को सहायता, आधारभूत अवसंरचना के विकास में मदद आदि में सहयोग प्रदान करने के लिये बंदरगाह का उपयोग कर सकता है।
- सामरिक प्रभाव: चाबहार बंदरगाह को विकसित तथा संचालित करके भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक प्रभाव को बढ़ा सकता है, जिससे भारत की भू-राजनीतिक स्थिति सशक्त होगी।
- वैकल्पिक व्यापार मार्ग: ऐतिहासिक रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुँच मुख्य रूप से पाकिस्तान के माध्यम से पारगमन मार्गों पर निर्भर रही है।
भारत और ईरान के बीच आर्थिक संबंध:
- स्थिति:
- विगत वर्षों में ईरान और भारत के बीच व्यापार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखा गया है। वर्ष 2019-20 में ईरान से भारत का आयात, मुख्य रूप से कच्चे तेल का आयात लगभग 90% गिरकर 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया जो कि वर्ष 2018-19 में 13.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- इसके अलावा ईरान के वोस्ट्रो खाते में रुपए के भंडार में कमी देखी गई है, जिससे बासमती चावल और चाय जैसी प्रमुख भारतीय वस्तुओं को आयात करने की उसकी क्षमता प्रभावित हुई है।
- पुनः प्रवर्तन:
- भारत और ईरान के बीच व्यापार, जो कि अमेरिकी एवं पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण प्रभावित हुआ है, को पुनः प्रवर्तित करने के लिये दोनों देश रुपए-रियाल व्यापार के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
- यह प्रयास जुलाई 2022 में भारतीय रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये चालान और भुगतान की अनुमति देने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्णय के अनुरूप है।
- रुपए-रियाल व्यापार का तात्पर्य अमरिकी डॉलर (USD) जैसी व्यापक रूप से स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करने के बजाय भारत और ईरान के बीच उनकी संबंधित मुद्राओं- भारतीय रुपए (INR) तथा ईरानी रियाल (IRR) का उपयोग करके व्यापार करना है।
- व्यापार हेतु इस प्रकार के विकल्प का उपयोग प्रायः तब किया जाता है जब अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण कई देशों के लिये किसी विशेष राष्ट्र के साथ वैश्विक मुद्राओं के उपयोग से व्यापार करना कठिन हो जाता है, जैसा कि अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान के मामले में हुआ था।
- भारत और ईरान के बीच व्यापार, जो कि अमेरिकी एवं पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण प्रभावित हुआ है, को पुनः प्रवर्तित करने के लिये दोनों देश रुपए-रियाल व्यापार के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है? (2017)
उत्तर: C मेन्स:प्रश्न. इस समय जारी अमेरिका-ईरान नाभिकीय समझौता विवाद भारत के राष्ट्रीय हितों को किस प्रकार प्रभावित करेगा? भारत को इस स्थिति के प्रति क्या रवैया अपनाना चाहिये? (2018) प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) |