अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-मिस्र संबंध
- 27 Jan 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), गणतंत्र दिवस मेन्स के लिये:भारत और मिस्र के बीच संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह पहली बार है जब मिस्र के किसी राष्ट्रपति को यह सम्मान दिया गया है।
- इस अवसर पर परेड में मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी ने भी भाग लिया।
नोट: मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रण महत्त्वपूर्ण सम्मान है, इसका प्रतीकात्मक महत्त्व बहुत अधिक है। प्रत्येक वर्ष मुख्य अतिथि के रूप में नई दिल्ली की पसंद कई कारणों- रणनीतिक और कूटनीतिक, व्यावसायिक हित तथा भू-राजनीति से तय होती है।
भारत-मिस्र संबंध:
- इतिहास:
- विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं, यथा- भारत और मिस्र के बीच संपर्क का इतिहास काफी पुराना है और इसका पता सम्राट अशोक के समय से लगाया जा सकता है।
- अशोक के अभिलेखों में टॉलेमी-द्वितीय के तहत मिस्र के साथ उसके संबंधों का उल्लेख है।
- आधुनिक काल में महात्मा गांधी और मिस्र के क्रांतिकारी साद जगलुल का साझा लक्ष्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
- 18 अगस्त, 1947 को राजदूत स्तर पर राजनयिक संबंधों की स्थापना की संयुक्त रूप से घोषणा की गई थी।
- वर्ष 1955 में भारत और मिस्र ने एक मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किये। वर्ष 1961 में भारत और मिस्र ने यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया एवं घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement- NAM) की स्थापना की।
- वर्ष 2016 में भारत और मिस्र ने राजनीतिक-सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक सहयोग तथा लोगों के बीच संबंधों के सिद्धांतों पर एक नए युग के लिये नई साझेदारी बनाने के अपने इरादे को रेखांकित करते हुए एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया।
- विश्व की दो सबसे पुरानी सभ्यताओं, यथा- भारत और मिस्र के बीच संपर्क का इतिहास काफी पुराना है और इसका पता सम्राट अशोक के समय से लगाया जा सकता है।
- वर्तमान परिदृश्य:
- इस वर्ष की बैठक के दौरान भारत और मिस्र दोनों द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" के रूप में बेहतर बनाने पर सहमत हुए।
- रणनीतिक साझेदारी के मोटे तौर पर चार तत्त्व होंगे: राजनीतिक; रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक जुड़ाव, वैज्ञानिक तथा शैक्षणिक सहयोग, सांस्कृतिक एवं लोगों बीच संपर्क।
- भारत एवं मिस्र ने प्रसार भारती और मिस्र के राष्ट्रीय मीडिया प्राधिकरण के बीच विषय-सामग्री विनिमय, क्षमता निर्माण तथा सह-निर्माण की सुविधा हेतु तीन वर्ष के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding -MoU) पर हस्ताक्षर किये।
- इस समझौते के तहत दोनों प्रसारक द्विपक्षीय आधार पर खेल, समाचार, संस्कृति, मनोरंजन जैसी विभिन्न शैलियों के अपने कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करेंगे।
- इस वर्ष की बैठक के दौरान भारत और मिस्र दोनों द्विपक्षीय संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" के रूप में बेहतर बनाने पर सहमत हुए।
- OIC में भागीदार:
- भारत, मिस्र को मुस्लिम-बहुल देशों के बीच एक उदार इस्लामी देश के रूप में और इस्लामिक सहयोग संगठन (Organization for Islamic Cooperation -OIC) में एक भागीदार के रूप में देखता है।
- आतंकवाद और सुरक्षा:
- इस गणतंत्र दिवस की बैठक के दौरान भारत और मिस्र ने विश्व भर में फैल रहे आतंकवाद को लेकर चिंता व्यक्त की क्योंकि यह मानवता के लिये सबसे गंभीर खतरा है। नतीजतन, दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिये ठोस कार्रवाई की जानी आवश्यक है।
- दोनों देश रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने पर ज़ोर दे रहे हैं। इसके अलावा दोनों देशों की वायु सेनाओं ने 1960 के दशक में लड़ाकू विमानों के विकास पर सहयोग किया तथा भारतीय पायलटों ने 1960 के दशक से 1980 के दशक के मध्य तक मिस्र के समकक्ष पायलटों को प्रशिक्षित किया।
- भारतीय वायु सेना (Indian Air Force- IAF) और मिस्र की वायु सेना दोनों ही फ्राँसीसी राफेल लड़ाकू जेट का उपयोग करते हैं।
- वर्ष 2022 में दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसमें अभ्यास में भाग लेने और प्रशिक्षण में सहयोग करने का भी फैसला किया गया है।
- भारतीय सेना और मिस्र की सेना के बीच पहला संयुक्त विशेष बल अभ्यास, "अभ्यास चक्रवात- I" 14 जनवरी, 2023 से राजस्थान के जैसलमेर में चल रहा है।
- सांस्कृतिक संबंध:
- वर्ष 1992 में काहिरा में मौलाना आज़ाद सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (MACIC) की स्थापना हुई। यह केंद्र दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता रहा है।
- मिस्र के समक्ष चुनौतियाँ:
- मिस्र की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकटपूर्ण रही है, जिसने मिस्र द्वारा रूस एवं यूक्रेन से आयात किये जाने वाले लगभग 80% खाद्यान्न की आपूर्ति और मिस्र के विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित किया।
- वर्ष 2022 में गेहूँ के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद भारत ने मिस्र को 61,500 मीट्रिक टन के शिपमेंट की अनुमति दी।
- मिस्र द्वारा भारत से मेट्रो परियोजनाओं, स्वेज़ नहर आर्थिक क्षेत्र, स्वेज़ नहर में दूसरा चैनल और मिस्र में एक नई प्रशासनिक राजधानी सहित बुनियादी ढाँचे में निवेश हेतु सहयोग की मांग की जा रही है है।
- 50 से अधिक भारतीय कंपनियों ने मिस्र में 3.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
- मिस्र की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों में महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकटपूर्ण रही है, जिसने मिस्र द्वारा रूस एवं यूक्रेन से आयात किये जाने वाले लगभग 80% खाद्यान्न की आपूर्ति और मिस्र के विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित किया।
- भू-सामरिक चिंताएँ:
- मिस्र के साथ चीन का द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो वर्ष 2021-22 में भारत के 7.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से दोगुना है। पिछले आठ वर्षों के दौरान चीनी निवेश को लुभाने के लिये मिस्र के राष्ट्रपति ने सात बार चीन की यात्रा की है।
- पश्चिम एशिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश मिस्र, एक महत्त्वपूर्ण भू-रणनीतिक स्थान पर है क्योंकि वैश्विक व्यापार का 12% स्वेज़ नहर से होकर गुज़रता है जो कि मिस्र का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है।
- यह भारत के लिये एक प्रमुख बाज़ार है और यूरोप तथा अफ्रीका दोनों के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। हालाँकि इसके महत्त्वपूर्ण पश्चिम- एशियाई और अफ्रीकी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते भी हैं जो भारत के लिये चिंता का विषय है।
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