अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-सऊदी अरब संबंध
- 23 Apr 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी, सदा तनसीक सैन्य अभ्यास, द्विपक्षीय हज समझौता मेन्स के लिये:भारत की विदेश नीति और रणनीतिक साझेदारियाँ, भारत-सऊदी अरब संबंध, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के भीतर भारत के रणनीतिक गठबंधन |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की राजकीय यात्रा की और भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद (SPC) की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की।
भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय सहभागिता के प्रमुख परिणाम क्या हैं?
- मंत्रिस्तरीय नई समितियाँ: SPC की दूसरी बैठक में रक्षा सहयोग और पर्यटन एवं सांस्कृतिक सहयोग पर दो नई मंत्रिस्तरीय समितियों का गठन किया गया।
- SPC अब चार प्रमुख समितियों के माध्यम से कार्य करती है: राजनीतिक, कौंसलीय और सुरक्षा सहयोग; रक्षा सहयोग; अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, निवेश एवं प्रौद्योगिकी; तथा पर्यटन व् सांस्कृतिक सहयोग।
- उच्च स्तरीय निवेश कार्यबल (HLTF): सऊदी अरब ने भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की वचनबद्धता व्यक्त की है, जिसमें ऊर्जा, बुनियादी ढाँचा, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- HLTF ने भारत में दो रिफाइनरियों की स्थापना में सहयोग प्रदान किया है तथा कराधान में प्रगति हासिल की है, जिससे भविष्य में निवेश सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन/समझौते:
- अंतरिक्ष सहयोग: शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये अंतरिक्ष गतिविधियों में सहयोग के लिये सऊदी अंतरिक्ष एजेंसी और भारतीय अंतरिक्ष विभाग के बीच समझौता ज्ञापन।
- स्वास्थ्य सहयोग: सऊदी अरब ने स्वास्थ्य सेवा में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये भारत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- डोपिंग रोधी सहयोग: सऊदी अरब डोपिंग रोधी समिति (SAADC) और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) (भारत) के बीच डोपिंग रोधी शिक्षा और निवारण पर समझौता ज्ञापन ।
- डाक सहयोग: सऊदी पोस्ट कॉर्पोरेशन (SPL) और डाक विभाग, भारत के बीच आवक सतह पार्सल सेवाओं में सहयोग पर समझौता हुआ।
विगत वर्षों में भारत-सऊदी अरब संबंधों में किस प्रकार विकास हुआ है?
- राजनयिक और रणनीतिक संबंध: भारत और सऊदी अरब ने वर्ष 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किये, जिनमें दिल्ली घोषणा (2006) और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान रियाद घोषणा (2010) शामिल हैं, जिससे संबंधों का रणनीतिक साझेदारी में विस्तार हुआ।
- वर्ष 2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी यात्रा के साथ SPC का गठन हुआ।
- आर्थिक सहयोग:
- व्यापार: भारत, सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि सऊदी अरब, भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है जिसमें भारतीय निर्यात 11.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 31.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- निवेश: सऊदी अरब में भारतीय निवेश लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जो आईटी, दूरसंचार, फार्मा और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है।
- भारत में सऊदी अरब का निवेश 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है जिसके तहत सार्वजनिक निवेश कोष (PIF) शामिल है।
- सऊदी अरब वर्ष 2000-2024 तक 3.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संचयी FDI राशि के साथ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) इक्विटी प्रवाह में 20वें स्थान पर है।
- व्यापार: भारत, सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जबकि सऊदी अरब, भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- ऊर्जा साझेदारी: वित्त वर्ष 2023-24 में सऊदी अरब, भारत का कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत (भारत के कुल कच्चे तेल आयात का 14.3%) था।
- यह तीसरा सबसे बड़ा तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) आपूर्तिकर्त्ता (कुल LPG आयात में 18.2%) भी था।
- रक्षा साझेदारी: पहला भारत-सऊदी संयुक्त भूमि अभ्यास (EX-SADA TANSEEQ) वर्ष 2024 में भारत में आयोजित किया गया था और द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'अल मोहद अल हिंदी' भी आयोजित किया गया।
- सांस्कृतिक संबंध: भारत और सऊदी अरब ने वर्ष 2024 के द्विपक्षीय हज समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत लगभग 1.75 लाख भारतीय तीर्थयात्रियों का कोटा आवंटित किया गया। यह समझौता भारत की उस पहल के भी अनुरूप है, जिसमें बिना मेहरम के महिला तीर्थयात्रियों को अनुमति दिया जाना शामिल है।
- वर्ष 2017 में खेल गतिविधि के रूप में मान्यता मिलने के बाद सऊदी अरब में योग को लोकप्रियता मिली। वर्ष 2018 में सुश्री नौफ अल-मारवाई को सऊदी अरब में योग को बढ़ावा देने के लिये पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
- सऊदी अरब में 2.6 मिलियन की संख्या वाला भारतीय समुदाय, सऊदी अरब में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
भारत-सऊदी अरब संबंधों में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- श्रम कल्याण संबंधी चिंताएँ: सऊदी अरब में भारतीय ब्लू-कॉलर श्रमिकों के बीच खराब कार्य स्थितियाँ, समय पर वेतन न मिलना और शोषण संबंधी रिपोर्टें आम हैं।
- कफाला प्रणाली (जिसके तहत श्रमिकों और नियोक्ता के बीच विधिक समझौता होता है) जैसे प्रतिबंधात्मक श्रम कानून, श्रमिकों की गतिशीलता और अधिकारों को सीमित करते हैं।
- व्यापार घाटा में असंतुलन: कच्चे तेल के आयात के कारण वर्ष 2023-24 में सऊदी अरब के साथ भारत का व्यापार घाटा लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। जबकि सऊदी अर्थव्यवस्था विज़न 2030 के तहत विविधीकरण कर रही है, यह अभी भी तेल पर निर्भर है।
- सऊदी तेल पर भारत की निर्भरता से इनके बीच व्यापार असंतुलन बना हुआ है।
- सऊदी अरब की विदेश नीति और क्षेत्रीय अस्थिरता: यमन में सऊदी अरब की सैन्य कार्रवाई, कतर की नाकाबंदी एवं सीरिया में इसकी संलिप्तता से खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता होने से इस क्षेत्र में भारत के सुरक्षा और आर्थिक हित प्रभावित होते हैं।
- सऊदी-ईरान प्रतिद्वंद्विता विशेष रूप से ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के क्षेत्र में भारत के लिये कूटनीतिक चुनौती उत्पन्न करती है जिसके दोनों देशों के साथ रणनीतिक संबंध हैं।
- चीन और पाकिस्तान के साथ मज़बूत संबंधों की ओर सऊदी अरब का रुख भारत के अमेरिका के साथ पारंपरिक गठबंधन को चुनौती देता है, जिससे सऊदी अरब और उसके व्यापक क्षेत्रीय गठबंधनों के साथ अपने सामरिक संबंधों को संतुलित करने के भारत के प्रयास जटिल हो जाते हैं।
भारत और सऊदी अरब के बीच संबंधों को मज़बूत करने के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- हरित ऊर्जा सहयोग: सऊदी अरब के विजन 2030 में विविधीकरण का लक्ष्य रखा गया है, तथा सौर और हरित हाइड्रोजन में भारत की विशेषज्ञता संयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये द्वार खोलती है।
- सऊदी अरब के विशाल रेगिस्तानों में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएँ हैं और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से दोनों देश विश्व का सबसे बड़ा सौर क्षेत्र बना सकते हैं, जिससे सतत् ऊर्जा और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार साझेदारी: भारत की IT और AI विशेषज्ञता, सऊदी अरब के तकनीकी नवाचार अभियान के साथ मिलकर, अगली पीढ़ी की वित्तीय प्रणालियों और AI समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए "डिजिटल सिल्क रोड" के सह-विकास के लिये एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
- रियाद या बंगलूरू में एक संयुक्त AI और फिनटेक इनोवेशन लैब निवेश को बढ़ावा दे सकती है और मध्य पूर्व और एशिया के लिये अत्याधुनिक समाधान तैयार कर सकती है।
- सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देना: IMEC (भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा) व्यापार, ऊर्जा और सेवाओं में निर्बाध संपर्क के लिये एक सामरिक अवसर प्रदान करता है, जो इस क्षेत्र को एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति में बदल देता है।
- अत्याधुनिक व्यापार और शिपिंग केंद्रों के विकास से वैश्विक व्यापार नेटवर्क में दोनों देशों की स्थिति मज़बूत होगी।
- GCC मंच का उपयोग: चूँकि सऊदी अरब अधिक मुखर विदेश नीति की ओर अग्रसर है, इसलिये GCC (खाड़ी सहयोग परिषद) के भीतर विशेष रूप से ईरान और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ विकसित संबंधों के संदर्भ में भारत के राजनयिक चैनल क्षेत्रीय स्थिरता और शांति प्रयासों पर सहयोग को सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी के रणनीतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। यह विकसित हो रहा संबंध भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' का सदस्य नहीं है? (2016) (a) ईरान उत्तर: (a) व्याख्या:
अत: विकल्प (a) सही है। मेन्सप्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017) |