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भारतीय अर्थव्यवस्था

MSMEs में NPA की बढ़ोतरी

  • 15 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

MSME और संबंधित योजनाएँ।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, MSMEs क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और सरकार द्वारा घोषित कई ऋण पुनर्गठन योजनाओं और पैकेजों के बावजूद कोविड महामारी ने ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) को बहुत अधिक प्रभावित किया है।

  • MSMEs की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPAs) या इन उद्यमों द्वारा डिफॉल्ट किये गए ऋण, सितंबर 2021 तक 20,000 करोड़ रुपए बढ़कर 1,65,732 करोड़ रुपए का हो गया, जो सितंबर 2020 में 1,45,673 करोड़ रुपए था।
  • MSMEs के ‘बैड लोन’ अब 17.33 लाख करोड़ रुपए के ‘सकल अग्रिम’ (Gross Advances) का 9.6% है, जबकि सितंबर 2020 में यह 8.2% था।
  • इससे पहले MSME मंत्रालय ने ‘MSME IDEA HACKATHON 2022’ के साथ ‘एमएसएमई इनोवेटिव स्कीम’ (इनक्यूबेशन, डिज़ाइन और IPR) लॉन्च की थी।

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गैर-निष्पादित परिसंपत्ति क्या है?

  • NPA उन ऋणों या अग्रिमों के वर्गीकरण को संदर्भित करता है, जो डिफाॅल्ट हो जाते हैं या जिनके मूलधन या ब्याज़ का अनुसूचित भुगतान बकाया होता है।
  • अधिकतर मामलों में ऋण को गैर-निष्पादित के रूप में तब वर्गीकृत किया जाता है, जब ऋण का भुगतान न्यूनतम 90 दिनों की अवधि के लिये न किया गया हो।
  • शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ वह राशि है जो सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों से ‘प्रोविज़न अमाउंट’ की कटौती के बाद प्राप्त होती है।

MSMEs पर कोविड-19 का प्रभाव:

  • ‘बैड लोन’ में वृद्धि रिज़र्व बैंक द्वारा जनवरी 2019, फरवरी 2020, अगस्त 2020 और मई 2021 में MSMEs के लिये घोषित चार ऋण पुनर्गठन योजनाओं के बाद भी हुई।
    • इन योजनाओं के तहत 1,16,332 करोड़ रुपए के 24.51 लाख MSMEs खातों के ऋणों का पुनर्गठन किया गया। रिज़र्व बैंक की ओर से जारी मई 2021 के सर्कुलर के तहत 51,467 करोड़ रुपए के ऋणों का पुनर्गठन किया गया।
  • महामारी के कारण सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक होने के कारण सरकार द्वारा मार्च 2020 में कोविड महामारी के मद्देनज़र देशव्यापी सख्त लॉकडाउन की घोषणा के बाद हज़ारों MSMEs या तो बंद हो गए या उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई।

MSMEs की स्थिति में सुधार हेतु किये गए प्रयास:

  • MSMEs की आर्थिक स्थिति में सुधार करने हेतु रिज़र्व बैंक और सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) सहित कई उपाय पेश किये, जिसके तहत MSMEs और व्यवसायों को 3 लाख करोड़ रुपए का असुरक्षित ऋण प्रदान किया गया।
  • रिज़र्व बैंक ने MSMEs को परिसंपत्ति वर्गीकरण डाउनग्रेड के बिना ऋण के एकमुश्त पुनर्गठन की योजना का लाभ उठाने की अनुमति दी और साथ ही कृषि, एमएसएमई व आवास क्षेत्र को ऋण देने हेतु NBFCs (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-एमएफआई के अलावा) को अनुमति दी।
  • हालाँकि इन पुनर्गठन योजनाओं और पैकेजों से उन हज़ारों इकाइयों को कुछ भी लाभ नहीं हुआ, जो पहले से ही डिफाॅल्ट थीं।
  • ऐसा इसलिये है, क्योंकि ECLGS योजना के तहत पात्र होने के लिये उधारकर्त्ता का बकाया 29 फरवरी, 2020 तक 60 दिनों से कम या 60 दिनों तक का होना चाहिये ।

NPA/बैड लोन से संबंधित कानून और प्रावधान:

विगत वर्षों के प्रश्न

निम्नलिखित में से कौन समावेशी विकास के सरकार के उद्देश्य को आगे बढ़ाने में सहायता कर सकता है? (2011)

  1. स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देना
  3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू करना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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