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भारतीय अर्थव्यवस्था

नई ‘बैड बैंक’ संरचना

  • 17 Sep 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बैड बैंक, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी, इंडिया डेब्ट रिज़ॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड, नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड, सरफेसी अधिनियम

मेन्स के लिये:

नई बैड बैंक संरचना द्वारा NPA की समस्या का समाधान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स’ की पुनर्प्राप्ति के लिये ‘नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) द्वारा जारी ‘सिक्योरिटी रिसीप्ट्स’ को वापस करने के लिये 30,600 करोड़ रुपए की गारंटी को मंज़ूरी दी है।

  • NARCL एक नई बैड बैंक संरचना का हिस्सा है, जिसकी घोषणा बजट 2021 में की गई थी।

प्रमुख बिंदु

  • नई बैड बैंक संरचना के बारे में:
    • भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अत्यधिक NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) के समाधान के लिये भारत सरकार ने बैंकों से ‘स्ट्रेस्ड एसेट्स’ हासिल करने और फिर उन्हें बाज़ार में बेचने हेतु दो नई संस्थाओं की स्थापना की है।
      • NPA उन ऋणों या अग्रिमों के वर्गीकरण को संदर्भित करता है जो डिफॉल्ट रूप में हैं या बकाया हैं।
    • NARCL: इसे कंपनी अधिनियम के तहत शामिल किया गया है और इसने एक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) के रूप में लाइसेंस के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन किया।
      • NARCL विभिन्न चरणों में विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों से लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की दबाव वाली संपत्ति का अधिग्रहण करेगी।
      • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) NARCL में 51% स्वामित्व बनाए रखेंगे।
    • IDRCL: एक अन्य संस्था ‘इंडिया डेब्ट रिज़ॉल्यूशन कंपनी लिमिटेड’ (IDRCL) बाज़ार में तनावग्रस्त संपत्तियों को बेचने की कोशिश करेगी।
      • IDRCL में PSB और सार्वजनिक वित्तीय संस्थान (FI) की अधिकतम 49% हिस्सेदारी होगी। शेष 51% हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं के पास होगी।
    • NARCL-IDRCL संरचना एक नई ‘बैड बैंक’ संरचना है।
  • NARCL-IDRCL संरचना की आवश्यकता: 
    • मौजूदा ARCs दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान में सहायक रहे हैं, विशेष रूप से छोटे मूल्य के ऋणों के लिये।
    • दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) सहित विभिन्न उपलब्ध समाधान तंत्र उपयोगी साबित हुए हैं।
    • हालांँकि  NPAs के बड़े स्टॉक को देखते हुए अतिरिक्त विकल्पों की आवश्यकता महसूस हुई और इस प्रकार केंद्रीय बजट 2021 में NARCL-IDRCL संरचना की घोषणा की गई थी।
  • NARCL-IDRCL की कार्यप्रणाली और गारंटी की पेशकश:
    •  सर्वप्रथम NARCL बैंकों से बैड लोन की  खरीद करेगा।
    • यह सहमत मूल्य (Agreed Price) का 15% नकद में भुगतान करेगा और शेष 85% "सुरक्षा रसीद"( Security Receipts) के रूप में होगा।
    • जब संपत्तियांँ बेची जाती हैं तो IDRCL की मदद से वाणिज्यिक बैंकों को बाकी का भुगतान किया जाएगा।
    • यदि बैड बैंक बैड लोन को बेचने में असमर्थ है, या उसे घाटे में बेचना है, तो सरकारी गारंटी लागू होगी।
      • वाणिज्यिक बैंक को क्या मिलना चाहिये था और बैड बैंक क्या जुटाने में सक्षम था, इसके मध्य का अंतर सरकार द्वारा प्रदान किये गए 30,600 करोड़ रुपए से पूरा  किया जाएगा।
    • यह गारंटी पांँच वर्ष की अवधि के लिये बढ़ाई गई है।

नोट:

  • सुरक्षा रसीद को सरफेसी अधिनियम की धारा 2(1) (zg) के तहत परिभाषित किया गया है।
  • इसका अर्थ है कि एक रसीद या अन्य प्रतिभूति, जो एक परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा किसी योजना के अनुसार किसी योग्य खरीदार को जारी की जाती है,  प्रतिभूतिकरण में शामिल वित्तीय संपत्ति में एक अविभाजित अधिकार, शीर्षक या हितधारक द्वारा सुरक्षित खरीद या अधिग्रहण का सबूत होती है।

बैड बैंक

  • संदर्भ: 
    • तकनीकी रूप से बैड बैंक एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (Asset Reconstruction Company-ARC) या परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (Asset Management Company- AMC) है जो वाणिज्यिक बैंकों के बैड ऋणों को अपने नियंत्रण में लेकर उनका प्रबंधन और निर्धारित समय पर धन की वसूली करती है।
    • बैड बैंक ऋण देने और जमा स्वीकार करने की प्रकिया का भाग नहीं होता है, लेकिन वाणिज्यिक बैंकों की बैलेंस शीट ठीक करने में मदद करता है।
    • बैड लोन का अधिग्रहण आमतौर पर ऋण के बुक वैल्यू से कम होता है और बैड बैंक बाद में जितना संभव हो उतना वसूल करने की कोशिश करता है।
  • बैड बैंक के प्रभाव: 
    • वाणिज्यिक बैंकों का दृष्टिकोण: वाणिज्यिक बैंक उच्च NPA स्तर के कारण परेशान हैं, बैड बैंक की स्थापना से इससे निपटने में मदद मिलेगी।
      • ऐसा इसलिये है क्योंकि बैंक अपनी सभी ऐसी संपत्तियों से छुटकारा पा लेगा, जो एक त्वरित कदम में उसके मुनाफे को कम कर रहे थे।
      • जब वसूली का पैसा वापस भुगतान के रूप में दिया जाएगा, तो यह बैंक की स्थिति में सुधार करेगा। इस बीच यह फिर से उधार देना शुरू कर सकता है।
    • सरकार और करदाता परिप्रेक्ष्य: चाहे डूबे हुए ऋणों से ग्रसित PSB का पुनर्पूंजीकरण हो या सुरक्षा रसीदों की गारंटी देना हो, पैसा करदाताओं की जेब से आ रहा है।
      • जबकि पुनर्पूंजीकरण और इस तरह की गारंटी को प्रायः "सुधार" के रूप में नामित किया जाता है, वे एक अच्छे रूप में बैंड अनुदान/सहायता (Band Aids) हैं।
      • PSBs में ऋण देने की प्रक्रिया में सुधार करना ही एकमात्र स्थायी समाधान है।
      • अगर बैड बैंक बाज़ार में ऐसे बैड एसेट्स को बेचने में असमर्थ रहते हैं तो वाणिज्यिक बैंकों को राहत देने की योजना ध्वस्त हो जाएगी। इसका भार वास्तव में करदाता पर पड़ेगा।

आगे की राह:

  • जब तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रबंधन राजनेताओं और नौकरशाहों के प्रति समर्पित रहेंगे, व्यावसायिकता में कमी बनी रहेगी और उधार देने में विवेकपूर्ण मानदंडों को उल्लंघन होता रहेगा।
  • इसलिये एक बैड बैंक एक अच्छा विचार है, लेकिन मुख्य चुनौती बैंकिंग प्रणाली में अंतर्निहित संरचनात्मक समस्याओं से निपटने और उसके अनुसार सुधारों की घोषणा करने में है।

स्रोत: द हिंदू

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